Chandra Grahan or Lunar Eclipse November 2020 Date and Time in India… ज्योतिष शास्त्र में चंद्रग्रहण को बहुत अधिक प्रभावशाली माना जाता है। 30 नवंबर, सोमवार के दिन परम पावन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चंद्रग्रहण लगेगा। जानकारों के अनुसार यह साल 2020 का अंतिम चंद्रग्रहण है।
विद्वानों का कहना है कि यह उपच्छाया ग्रहण (Upchhaya Chandra Grahan) है। इसमें किसी विशेष ग्रह पर केवल चंद्रमा की परछाई आती है। अबकी बार चंद्रग्रहण वृष राशि और रोहिणी नक्षत्र में लगेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक तो भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और एशिया में यह चंद्रग्रहण दिखाई दे सकता है।
विज्ञान में ग्रहण को केवल एक भौगोलिक घटना के रूप में देखा जाता है। जबकि ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को देश-दुनिया में होने वाले एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का मानना है कि चंद्रग्रहण का असर मानव जीवन पर पड़ता है। ग्रहण के सूतक काल को इच्छापूर्ति के लिए अच्छा माना जाता है। कहते हैं कि ग्रहण के दौरान इच्छा पूरी करवाने के लिए किया गया मंत्र जाप बहुत शीघ्र सफल हो सकता है।
कहते हैं कि चंद्रग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए वरना चंद्रग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को सहना पड़ सकता है। चंद्रग्रहण में इस बात का खास ख्याल रखें कि आप और आपके परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखे और ना ही चांद की रोशनी में बैठे। कहते हैं कि इससे चंद्रग्रहण के दौरान चांद को होने वाले कष्ट का असर आपके जीवन में आ सकता है।
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को किसी भी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इनमें चाकू, कैंची, सूई और तलवार आदि शामिल हैं। साथ ही इस दौरान सोना, खाना, पीना, नहाना और किसी की बुराई करने पर भी पाबंदी होती है। ज्योतिष शास्त्र के जानकार बताते हैं कि सूतक काल शुरू होने से लेकर उसका समय पूरा होने तक गर्भवती महिलाओं को अपने हाथ-पैर बिना मोड़े, हाथ में नारियल लेकर बैठना चाहिए और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर इस नारियल को जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।
बता दें कि विद्वानों का मानना है कि यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है। यहां उपच्छाया का अर्थ यह बताया गया है कि चंद्रमा की केवल छाया ही पृथ्वी पर आ पाएगी, इसी छाया की वजह से इस ग्रहण को उपच्छाया चंद्रग्रहण कहा जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण का बहुत अधिक प्रभाव मानव जीवन पर नहीं पड़ता है। इसलिए ही इस ग्रहण को अधिक प्रभावशाली नहीं माना जाता है। कहते हैं कि इस प्रकार का ग्रहण देश और दुनिया पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं डालता है।
साल 2020 में 3 बार चंद्रग्रहण लग चुका है। यह साल का चौथा और आखिरी चंद्रग्रहण है। विद्वानों ने मुताबिक यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है यानी इसका असर बहुत अधिक नहीं पड़ेगा।
कहते हैं कि उपच्छाया चंद्रग्रहण के न्यूनतम नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए। ग्रहण काल में नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल ना करें, खाना ना बनाएं ना खाएं, घर के मंदिर में या मंदिर जाकर पूजा-पाठ ना करें और साथ ही अपने मन में ईश्वर का ध्यान लगाते हुए नाम या मंत्र जाप करें।
चंद्रग्रहण के दौरान किसी भी व्यक्ति की बुराई नहीं करनी चाहिए। कहते हैं कि यह बहुत प्रभावशाली समय होता है। इस दौरान व्यक्ति अगर किसी के साथ बुरा करता है तो उसके साथ भी बुरा हो सकता है।
साल के अंतिम चंद्रग्रहण को इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती हैं। साथ ही इस दिन चंद्रग्रहण दिन में लगने वाला है।
ग्रहण के दौरान किसी नए व शुभ कार्य की शुरुआत करने से बचें. असफलता हाथ लग सकती है. साथ ही ग्रहण के समय कभी भी पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए.
आकाश में इस साल का अंतिम चंद्रग्रहण लग चुका है. चंद्रग्रहण दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से आरंभ होकर शाम 5 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा
चंद्र ग्रहण सर्वार्थ सिद्धि योग और प्रवर्धमान योग में लगेगा
-चंद्र ग्रहण की तारीख - 30 नवंबर, 2020
-पेनुम्ब्रा से पहला संपर्क - दोपहर 01:04 बजे
-चंद्रग्रहण का कब होगा चरम पर- दोपहर 03:13 बजे
-पेनुम्ब्रा के साथ अंतिम संपर्क - 05:22 बजे
-पेनुब्रल चरण की अवधि - 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड
कहते हैं कि चंद्रग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए वरना चंद्रग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को सहना पड़ सकता है। चंद्रग्रहण में इस बात का खास ख्याल रखें कि आप और आपके परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखे और ना ही चांद की रोशनी में बैठे। कहते हैं कि इससे चंद्रग्रहण के दौरान चांद को होने वाले कष्ट का असर आपके जीवन में आ सकता है।
भोजन ना पकाएं ना खाएं।
कपड़े ना धोएं।
सब्जी व फल आदि ना काटें।
किसी की बुराई ना करें।
किसी जीव की हत्या ना करें।
कुछ विद्वानों का मानना है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है। इसलिए ना तो भारत में सूतक काल माना जाएगा और ना ही किसी कार्य को करने की पाबंदी होगी।
ग्रहण काल के समय भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक माना गया है।घर में पके हुए भोजन में सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता है।चन्द्र ग्रहण किसी भी मास की पूर्णिमा पर घटित होता हैं अतः भगवान सत्यनारायण की कथा करें।जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।
संभव हो तो दान के बाद अन्न दान जरूर करें। शास्त्रों में कहा गया है कि इस प्रकार का दान ब्राह्मणों को ही देना चाहिए। अगर ऐसा संभव ना हो पाए तो आप यह दान गरीब या जरूरतमंदों को भी दे सकते हैं क्योंकि धार्मिक पुस्तकों में यह भी बताया जाता है कि ईश्वर हर एक प्राणी में वास करते हैं वो किसी भी जीवात्मा में कम या ज्यादा मात्रा में नहीं होते हैं।
इस दौरान सोना, खाना, पीना, नहाना और किसी की बुराई करने पर भी पाबंदी होती है।
30 नवंबर, सोमवार को पड़ने वाला ग्रहण साल का आखिरी चंद्रग्रहण है। जानकारों की मानें तो यह ग्रहण भारत में दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो जायेगा और शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। जबकि, दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर यह चंद्रग्रहण चरम पर होगा। उपछाया चंद्रग्रहण का प्रभाव कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक भारत में रहेगा।
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को किसी भी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इनमें चाकू, कैंची, सूई और तलवार आदि शामिल हैं।
चंद्रग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने से रोक देती है. या यूं कहे कि यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चली जाती है.
30 नवंबर, सोमवार को पड़ने वाला ग्रहण साल का आखिरी चंद्रग्रहण है। जानकारों की मानें तो यह ग्रहण भारत में दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो जायेगा और शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। जबकि, दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर यह चंद्रग्रहण चरम पर होगा। उपछाया चंद्रग्रहण का प्रभाव कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक भारत में रहेगा।
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण का बहुत अधिक प्रभाव मानव जीवन पर नहीं पड़ता है। इसलिए ही इस ग्रहण को अधिक प्रभावशाली नहीं माना जाता है। कहते हैं कि इस प्रकार का ग्रहण देश और दुनिया पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं डालता है।
कहते हैं कि चंद्रग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए वरना चंद्रग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को सहना पड़ सकता है। चंद्रग्रहण में इस बात का खास ख्याल रखें कि आप और आपके परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखे और ना ही चांद की रोशनी में बैठे।
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को किसी भी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इनमें चाकू, कैंची, सूई और तलवार आदि शामिल हैं। साथ ही इस दौरान सोना, खाना, पीना, नहाना और किसी की बुराई करने पर भी पाबंदी होती है।
ग्रहण के सूतक काल को इच्छापूर्ति के लिए अच्छा माना जाता है। कहते हैं कि ग्रहण के दौरान इच्छा पूरी करवाने के लिए किया गया मंत्र जाप बहुत शीघ्र सफल हो सकता है।
जानकारों का कहना है कि इस बार चंद्रग्रहण दूसरे क्षितिज पर लगेगा इसलिए भारत में रहने वाले लोग चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे। माना जा रहा है कि इस बार चंद्रग्रहण तब लगेगा जब भारत में दिन होगा यानी सरल शब्दों में बताया जाए तो साल का आखिरी चंद्रग्रहण दिन में लगने वाला है।
30 नवंबर, सोमवार को पड़ने वाला ग्रहण साल का आखिरी चंद्रग्रहण है। जानकारों की मानें तो यह ग्रहण भारत में दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो जायेगा और शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। जबकि, दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर यह चंद्रग्रहण चरम पर होगा। उपछाया चंद्रग्रहण का प्रभाव कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक भारत में रहेगा।
ऐसी मान्यता है कि अगर चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखा जाए तो इससे नजरों से विकार आ सकता है। इसलिए प्राचीन काल से ही ग्रहण लगे हुए चंद्रमा को ना देखने की परंपरा है।
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को किसी भी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इनमें चाकू, कैंची, सूई और तलवार आदि शामिल हैं। साथ ही इस दौरान सोना, खाना, पीना, नहाना और किसी की बुराई करने पर भी पाबंदी होती है। ज्योतिष शास्त्र के जानकार बताते हैं कि सूतक काल शुरू होने से लेकर उसका समय पूरा होने तक गर्भवती महिलाओं को अपने हाथ-पैर बिना मोड़े, हाथ में नारियल लेकर बैठना चाहिए और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर इस नारियल को जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।
कुछ विद्वानों का मानना है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है। इसलिए ना तो भारत में सूतक काल माना जाएगा और ना ही किसी कार्य को करने की पाबंदी होगी।
पहला होता है कुल चंद्रग्रहण,
दूसरा आंशिक, और
तीसरा पेनुमब्रल या उपच्छाया चंद्रग्रहण
चंद्रग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने से रोक देती है. या यूं कहे कि यह तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चली जाती है.
ग्रहण काल के समय भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक माना गया है।
घर में पके हुए भोजन में सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता है।
चन्द्र ग्रहण किसी भी मास की पूर्णिमा पर घटित होता हैं अतः भगवान सत्यनारायण की कथा करें।
जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन प्रभावित करने वाला ग्रह माना जाता है। कहते हैं कि जब चंद्र ग्रहण होता है तो इसका सीधा असर व्यक्ति के मन पर पड़ता है।
कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर सोमवार को है। ये कार्तिक महीने का आखिरी दिन होता है। स्नान और दान के लिहाज से यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। सर्वार्थसिद्धि योग व वर्धमान योग इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन रहेंगे। ये दो शुभ संयोग इस पूर्णिमा को औऱ भी खास बना रहे हैं।
ग्रहण से कई धार्मिक पहलू जुड़े हुए हैं। ग्रहण के दौरान कर्मकांड का भी प्रावधान है। लेकिन अगर चंद्र ग्रहण आपके शहर में दिखाई ना दे रहा हो लेकिन दूसरे देशों अथवा शहरों में दर्शनीय हो तो कोई भी ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड नहीं किया जाता है। लेकिन अगर मौसम की वजह से चन्द्र ग्रहण दर्शनीय न हो तो ऐसी स्थिति में चन्द्र ग्रहण के सूतक का अनुसरण किया जाता है।
बताया जाता है कि ग्रहण के दौरान बनाए हुए खाने में ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा शामिल हो जाती है जिससे उस खाने को खाने वाले लोगों को रोगों और दोषों की शिकायत हो सकती है। जानकारों का मानना है कि ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद साफ पानी से स्नान कर घर का मंदिर धोना चाहिए। फिर मंदिर में ईश्वर के निमित्त ज्योत जलाकर आरती करनी चाहिए।
साल का आखिरी चंद्रग्रहण 30 नवंबर को लगने वाला है. भारत में चंद्रग्रहण का समय दोपहर 1 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो जायेगा और शाम 5:22 बजे समाप्त होगा. कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि यानी अगले सोमवार लगने वाला चंद्र ग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में लगेगा.
विद्वानों की मानें तो कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण की समयावधि में चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए और न ही चांदनी में खड़ा होना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से चंद्रमा का कष्ट मनुष्य पर पड़ता है। ग्रहण के दौरान न खाना बनाएं और न ही खाएं। साथ ही ग्रहण से पहले बने खाने में तुलसी का पत्ता डालकर रखें। ताकि ग्रहण का प्रभाव आपके भोजन पर न पड़ें।