आज साल के दूसरे चंद्र ग्रहण का दिलचस्प नजारा देखने को मिलेगा। ये एक पेनुमब्रल (penumbral lunar eclipse) यानी उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। इस तरह का ग्रहण इसी साल 10 जनवरी को भी लगा था। भारतीय समय के अनुसार ये ग्रहण रात 11:16 बजे से शुरू होने जा रहा है जिसकी समाप्ति 6 जून 02:32 AM पर होगी। रात 12:54 पर ग्रहण अपने पूर्ण प्रभाव में होगा। खास बात ये है कि भारत के लोग भी इस ग्रहण को देख पायेंगे। इस दौरान चांद के आकार में कोई अंतर नहीं आएगा। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण चांद के आगे एक धुंधली सी छवि देखने को मिलेगी।
क्या है उपच्छाया चंद्र ग्रहण? उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की वास्तविक छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया ही पड़ती है। जिससे इस दौरान चंद्रमा की आकृति में कोई परिवर्तन न आकर उसकी छवि कुछ धुंधली नजर आने लगती है। जिससे चांद सामान्य से थोड़ा गहरे रंग का दिखाई देता है। जबकि पूर्ण चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की वास्तिवक छाया में आता है।
ग्रहण को कहां देखा जाएगा? पृथ्वी का बड़ा हिस्सा जून के चंद्रग्रहण को देख पाने में सक्षम होगा। क्योंकि ये ग्रहण भारत के अलावा यूरोप के अधिकांश भाग, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
लाइव कहां देख सकते हैं? कई यूट्यूब चैनल ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं। Slooh और Virtual Telescope चैनल इस घटना को लाइवस्ट्रीम करने के लिए जाने जाते हैं।
ग्रहण को कैसे देख सकते हैं? चंद्र ग्रहण पूरी तरह से सुरक्षित होता है इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं। अगर आप टेलिस्कोप की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही सही से देखा जा सकेगा।
अगला चंद्र ग्रहण कब? इस साल में सभी उपच्छाया चंद्र ग्रहण हैं। 5 जून के बाद आप 5 जुलाई को यानी ठीक एक महीने बाद फिर से चंद्र ग्रहण का नजारा देख पायेंगे और इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को दिखाई देगा।
क्या है ग्रहण का सूतक काल? इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। क्योंकि ये एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष अनुसार इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता। जिस कारण न तो ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा और न ही किसी भी तरह के काम करने में कोई पाबंदी होगी।
चंद्र ग्रहण के दौरान आसमान में कहीं बादल छाए रहे तो कहीं चंद्रमा साफ नजर आए। पूर्णिमा के दिन कई जगह चांद बादलों में छिपा रहा।
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं। इस ग्रहण को अंग्रेजी में (Penumbra) कहा जाता है। इसके बाद चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है।
क्यों नहीं लगा इस ग्रहण में सूतकशास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण लगने से ठीक पहले सूतक लग जाता है। इस उपच्छाया ग्रहण के लिए दोपहर 3 बजकर 16 मिनट पर सूतक लग जाना था लेकिन उपच्छाया ग्रहण होने की वजह से इसमें सूतक नहीं लगेगा।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण को मन और माता का कारक माना जाता है। जिनकी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित रूप में होता है उसको चंद्रमा की शांति के उपाय करने चाहिए। ग्रहण में ऐसा करना काफी लाभकारी होता है।
उपच्छाया ग्रहण का स्ट्रॉबेरी मून नाम दिया गया है। इसके नामकरण के पीछे का कारण है, अमेरिका में इस समय स्ट्रॉबेरी की फसल की कटाई होती है। इसलिए इसका एक नाम स्ट्रॉबेरी भी रखा गया है।
आयुर्वेद की मान्यता के अनुसार ग्रहण के दौरान एक दरभा घास का उपयोग लाभकारी होता है। पुरातनकाल से ही यह प्रथा प्रचलित है। हालांकि इस प्रथा के पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या होता है पता नहीं चल पाया है।
चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभावों को नष्ट करने के लिए अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद चंद्र ग्रहण के पश्चात चावल और सफेद तिल का दान करें और अपने से बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लें। इससे ग्रहण के अशुभ प्रभावों से आपको मुक्ति मिलेगी।
पृथ्वी का बड़ा हिस्सा जून के चंद्रग्रहण को देख पाने में सक्षम होगा। क्योंकि ये ग्रहण भारत के अलावा यूरोप के अधिकांश भाग, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। कई यूट्यूब चैनल ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं। Slooh और Virtual Telescope चैनल इस घटना को लाइवस्ट्रीम करने के लिए जाने जाते हैं।
चंद्र ग्रहण का प्रभाव व्यक्ति के मन पर पड़ता है। इसके साथ ही यह माता जी को भी प्रभावित करता है। ज्योतिष में चंद्र ग्रहण को मन और माता का कारक माना जाता है। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा पीड़ित अवस्था में हो उन्हें ग्रहण के दौरान चंद्र ग्रह की शांति के उपाय करने चाहिए।
नासा के मुताबिक आज चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक होने के कारण बड़े आकार का नजर आ रहा है। आसमान में यह और दिनों की अपेक्षा ज्यादा चमकीला दिख रहा है। अब से करीब एक घंटे के बाद आप चंद्र ग्रहण को टेलीस्कोप के माध्यम से देख सकते हैं।
ज्योतिष के हिसाब से जून का महीना काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। क्योंकि इस महीने 2 ग्रहण लगने जा रहे हैं। 5 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा पर साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लग रहा है जो 6 जून की मध्य रात्रि तक रहेगा। इसी के कुछ दिन बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। ज्योतिष अनुसार जून को लगने वाले चंद्र ग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिल सकता है।
घरों में ग्रहणकाल में धूप-अगरबत्ती जलाकर रखें, जिससे कि निगेटिव एनर्जी घर से बाहर निकल जाए। इसके साथ ही तुलसी के पौधे को सूतक काल के दौरान ना छूए। और ना ही ग्रहण के दौरान सोना चाहिए। इस दौरान कैंची का प्रयोग न करें। और फूलों को न तोड़े। बालों व कपड़ों को साफ न करें। ग्रहण के दौरान दातुन या ब्रश न करें, गाय, भैंस, बकरी का दोहन न करें।
साल 2020 का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लगा था और अब दूसरा चंद्र ग्रहण 05 जून को लगने जा रहा है। जून में ही 21 तारीख को सूर्य ग्रहण भी लगेगा। इस साल कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं। खास बात ये है कि ये दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई देंगे।
स्कंद पुराण के अनुसार, ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। इस दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए।
5 जून यानी की आज रात को लगने वाले चंद्र ग्रहण को इसलिए स्ट्रोबेरी मून कहा जा रहा है। क्योंकि यह मौसम स्ट्रोबेरी की फसल कटाई का वक्त होता है और इस वजह से चंद्र ग्रहण को स्ट्रॉबेरी मून (Strawberry Moon in June 2020) का नाम दिया गया है।
इस साल में सभी उपच्छाया चंद्र ग्रहण हैं। 5 जून के बाद आप 5 जुलाई को यानी ठीक एक महीने बाद फिर से चंद्र ग्रहण का नजारा देख पायेंगे और इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को दिखाई देगा।
ग्रहण काल के दौरान भगवान शिव की चालीसा का पाठ करें और ऊं नम: शिवाय के मंत्रों का जाप करें। आप जितना ज्यादा भगवान शिव की पूजा करेंगे आपको उतना ही लाभ होगा। इसके अलावा अपनी माता के चरण स्पर्श करें।
ज्योतिषविदों की मानें तो उपछाया चंद्र ग्रहण अधिक प्रभावकारक नहीं होता है। इसके चलते सूतक काल की मान्यता भी नगण्य होती है। उपछाया के कारण सामान्य तौर पर दिखने वाले चांद और ग्रहण के दौरान दिख रहे चांद में बहुत अंतर या फर्क नहीं दिखेगा। ग्रहण के दौरान चांद के आकार में बहुत परिवर्तन नहीं दिखेगा, बल्कि चांद के रंग में अंतर नजर जरूर आएगा। इसकी छवि मलिन होने के साथ ही चांद मटमैला दिखेगा।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण को शास्त्रों में वास्तविक चंद्र ग्रहण से अलग माना जाता है। यही वजह है कि इस ग्रहण के नियम भी अलग होते हैं। इस ग्रहण में न तो सूतक माना जाता है और न ही पूजा-पाठ की कोई मनाही है। इसके अलावा उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान जागने की भी पांबदी नहीं है।
इससे पहले इसी साल के शुरुआती महीने में हुआ चंद्र ग्रहण मांद्य चंद्र ग्रहण था जिसे उपच्छाया भी कहा जाता है। मांद्य यानी मंद पड़ने की क्रिया को कहते हैं। इसमें चंद्रमा की छवि धूमिल होती हुई दिखती है। इस क्रिया में चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रस्त नहीं होगा जिस कारण से ग्रहण का सूतक काल प्रभावी नहीं रहेगा।
बता दें कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया यानी भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश करके बिना भूभा में जाए ही बाहर निकल कर आ जाता है। इसलिए उपच्छाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं।
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है. उपछाया शंकु से बाहर निकल जाती है, और भूभा (Umbra) में प्रवेश नहीं करती. इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब धुंधला पड़ता है, ये काला नहीं होता। ना ही चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन आता।
सूतक काल में प्रकृति बहुत ज्यादा संवेदनशील होती है , ऐसे में अशुभ होने की संभावना भी ज्यादा होती है। चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय सूतक लगता है। सूतक में सावधान रहना चाहिए और ईश्वर की आराधना करनी चाहिए। सूतक काल में कुछ सावधानियां भी बरतना चाहिए। सूतक काल में किसी भी तरह के शुभ काम का निषेध रहता है इस समय मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिये जाते है। आज लगने वाला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने की वजह से सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की वास्तविक छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया ही पड़ती है। जिससे इस दौरान चंद्रमा की आकृति में कोई परिवर्तन न आकर उसकी छवि कुछ धुंधली नजर आने लगती है। जिससे चांद सामान्य से थोड़ा गहरे रंग का दिखाई देता है। जबकि पूर्ण चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की वास्तिवक छाया में आता है। इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं लगता।
वृश्चिक राशि में ग्रहण लगने के कारण इस राशि के लोगों पर चंद्र ग्रहण का ज्यादा प्रभाव होगा। इस राशि के लोगों को अपने सेहत का विशेष रूप से ध्यान रखने की जरूरत है। ग्रहण काल के दौरान भगवान शिव की चालीसा का पाठ करें और ऊं नम: शिवाय के मंत्रों का जाप करें। आप जितना ज्यादा भगवान शिव की पूजा करेंगे आपको उतना ही लाभ होगा।
ये उपछाया ग्रहण वृश्चिक राशि में लगेगा। वृश्चिक राशि से अष्टम भाव के अंदर राहु गोचर कर रहे हैं। राहु को संक्रमण, रोगों और बीमारियों का कारक ग्रह माना गया है। राहु राशि से अष्टम भाव के अंदर अपना प्रभाव नहीं दे पाता है और दूषित अवस्था में हो जाता है। इस ग्रहणकाल के दौरान भी राहु अपना अच्छा प्रभाव नहीं दिखा पाएगा जिसकी वजह से लोगों को कुछ ना कुछ परेशानियां लगी रहेंगी।
ये चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में दिखाई देगा. भारत में भी यह ग्रहण तय समय पर दिखाई देगा लेकिन उपछाया ग्रहण होने की वजह से यहां किसी भी तरह के धार्मिक कार्य नहीं रोके जाएंगे. यह चंद्र ग्रहण रात तकरीबन सवा 11 बजे से ढाई बजे तक रहेगा यानी इसकी कुल अवधि करीब तीन घंटे रहेगी. ग्रहण काल में चंद्रमा कहीं से कटा हुआ होने की बजाय अपने पूरे आकार में नजर आएगा. ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में होंगे.
अमेरिका में इन्का साम्राज्य के लोगों का मानना है कि चंद्र ग्रहण के दौरान एक तेंदुआ चांद पर हमला करता है और उसे खाने की कोशिश करता है, जिस कारण चंद्र ग्रहण के दौरान चांद लाल रंग का दिखाई देता है। इसके बाद चांद धरती पर आकर उसे भी खाने की कोशिश करता है। इसी कारण यहां के लोग तेंदुए से बचने के लिए तेज आवाजें निकालते थे और अपने भालों को आसमान की तरफ जोर जोर से हिलाते थे। उसके बाद यहां के लोग कुत्तों को भी पीटते थे ताकि तेंदुआ डर कर भाग जाए। इन देशों में ग्रहण को लेकर ये है मान्यताएं
5 जून यानी की आज रात को लगने वाले चंद्र ग्रहण को इसलिए स्ट्रोबेरी मून कहा जा रहा है। क्योंकि यह मौसम स्ट्रोबेरी की फसल कटाई का वक्त होता है और इस वजह से चंद्र ग्रहण को स्ट्रॉबेरी मून (Strawberry Moon in June 2020) का नाम दिया गया है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन यानी 5 जून को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। वैज्ञानिक नजरिए से ग्रहण जितना महत्वपूर्ण होता है उतना ही इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। ये साल का दूसरा उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। जो 5 जून की रात 11:16 बजे से शुरू होगा और इसकी समाप्ति 6 जून को 02:32 AM पर होगी। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण काफी अहम माना जाता है। जानिए इस दौरान क्या काम करना चाहिए और क्या नहीं…
इस महीने में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों ही लगने वाले हैं। पांच जून को यानी आज चंद्र ग्रहण लगेगा और इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा योग 1962 में बना था। जब शनि मकर राशि में वक्री था। इस बार भी वही योग बन रहा है। ज्योतिषियों ने बताया कि इस बार हिंदी पंचांग के अनुसार एक ही माह में तीन ग्रहण होने वाले हैं। इसमें पांच जून को चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और पांच जुलाई को फिर से चंद्र ग्रहण होगा।
भारत के अलावा यह संपूर्ण एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में दिखाई देगा. हालांकि, उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण आपके लिए सामान्य चांद और ग्रहण वाले चांद में अंतर करना मुश्किल हो सकता है.
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया यानी भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश करके बिना भूभा में जाए ही बाहर निकल कर आ जाता है। इसलिए उपच्छाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं। इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।
ज्योतिष अनुसार उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। क्योंकि ये चंद्र ग्रहण न होकर पृथ्वी की उपच्छाया मात्र ही होता है। इस दौरान चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता। बस चांद पर एक धुंधली सी छवि नजर आती है। वास्तविक चंद्र ग्रहण न होने की ही वजह से इसका सूतक काल नहीं माना जता है।
चंद्र ग्रहण के दौरान या चंद्र ग्रहण को सीधे तौर पर देखना, आपकी आंखों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता. जबकि, सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर यह आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है.
ज्योतिष के हिसाब से जून का महीना काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। क्योंकि इस महीने 2 ग्रहण लगने जा रहे हैं। 5 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा पर साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लग रहा है जो 6 जून की मध्य रात्रि तक रहेगा। इसी के कुछ दिन बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। ज्योतिष अनुसार जून को लगने वाले चंद्र ग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिल सकता है। जानिए आपकी राशि पर इस ग्रहण का क्या पड़ेगा असर…
ज्योतिषियों के मुताबिक इस ग्रहण का भारत में प्रभाव नहीं है इसलिए इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं माना जाएगा। वहीं ग्रहण काल होने के कारण कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण के समय भगवान चंद्रमा या सूर्य को राहु ग्रसित करता है, जिससे भगवान कष्ट में रहते हैं। ऐसे समय में जब भगवान का ध्यान किया जाता है और मंत्र पढ़े जाे हैं तो इससे भगवान को इससे बल मिलता है और उनका कष्ट कम होता है। इसलिए ग्रहण के दौरान भगवान का ध्यान करना अच्छा रहता है। इ
इस वर्ष कुल छह ग्रहण हैं। पहला ग्रहण 10 जनवरी को लग चुका है।
तीन ग्रहण पांच जून से पांच जुलाई के बीच ही लग रहे हैं। इनमें एक सूर्य और दो चंद्र ग्रहण लगेंगे।
2020 में कुल दो सूर्य ग्रहण और चार चंद्र ग्रहण लगने जा रहे हैं।
साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगेगा।
14 दिसंबर को दूसरा सूर्य ग्रहण लगेगा।
पांच जून और पांच जुलाई को चंद्र ग्रहण लगेंगे।
30 नवंबर 2020 को चंद्र ग्रहण लगेगा।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण की शुरुआत 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट से हो जायेगी और इसकी समाप्ति 6 जून की रात 2 बजकर 32 मिनट के करीब होगी। जबकि रात 12 बजकर 54 मिनट पर ये ग्रहण अपने पूर्ण प्रभाव में होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।