चंद्र ग्रहण भी सूर्य ग्रहण की तरह ही एक खगोलीय घटना है। वैज्ञानिक रूप से ये जितना महत्वपूर्ण माना गया है उतना ही महत्वपूर्ण ये धार्मिक व ज्योतिषीय दृष्टि से भी है। चंद्रमा पर धरती की छाया पड़ने से चंद्र ग्रहण लगता है। लेकिन 5 जून को लगने वाला ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देग। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा। ज्योतिष में उपच्छाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है। जिस कारण इसका सूतक काल भी नहीं माना जाता। ये ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगने जा रहा है। जो भारत में भी दिखाई देगा। जानिए इस ग्रहण के बारे में पूरी डिटेल…
ग्रहण का समय: उपच्छाया चंद्र ग्रहण की शुरुआत 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट से हो जायेगी और इसकी समाप्ति 6 जून 2.32 AM के करीब होगी। जबकि रात 12 बजकर 54 मिनट पर ये ग्रहण अपने पूर्ण प्रभाव में होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
Chandra Grahan/Lunar Eclipse 2020 LIVE Updates: जानिए कब, कहां और कैसे देखें चंद्र ग्रहण लाइव
चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में अंतर? इससे पहले इसी साल 10 जनवरी को भी उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगा था और अब 5 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लगने वाला ग्रहण भी ऐसा ही होगा। चंद्र ग्रहण तब माना जाता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और धरती की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है। इससे चांद का बिंब काला पड़ जाता है। इसे खुली आंखों से देखा जा सकता है।
तो वहीं उपच्छाया चंद्र ग्रहण देखने में सामान्य पूर्णिमा के चांद की तरह ही नजर आएगा। जिसमें अंतर कर पाना मुश्किल होगा। बता दें कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया यानी भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश करके बिना भूभा में जाए ही बाहर निकल कर आ जाता है। इसलिए उपच्छाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं। इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।
कितना सुरक्षित होता है चंद्र ग्रहण देखना
ग्रहण के दौरान कई तरह के नकारात्मक उर्जाओं का उत्सर्जन होता है। चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभावों को नष्ट करने के लिए अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के बाद चंद्र ग्रहण के पश्चात चावल और सफेद तिल का दान करें। बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और गरीबों में दान करें। इससे अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलेगी।
उपच्छाया चंद्रग्रहण जैसे-जैसे अपनी समाप्ति की ओर बढ़ेगा उसका रूप मलीन हो जाएगा। रात करीब 12 बजकर 55 मिनट पर अपने चरम पर होगा। फिलहाल चांद पृथ्वी की भूभा की तरफ बढ़ रहा है।
पृथ्वी का बड़ा हिस्सा जून के चंद्रग्रहण को देख पाने में सक्षम होगा। क्योंकि ये ग्रहण भारत के अलावा यूरोप के अधिकांश भाग, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। कई यूट्यूब चैनल ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं। Slooh और Virtual Telescope चैनल इस घटना को लाइवस्ट्रीम करने के लिए जाने जाते हैं।
बता दें साल 2020 का यह साल का दूसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण है। पहला उपच्छाया चंद्रग्रहण 10 जनवरी को भी लगा था। इस साल कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं।
यह चन्द्र ग्रहण कुल 3 घंटे 18 मिनट तक रहेगा। यहां आप चंद्रग्रहण का आज लाइव प्रसारण और लाइव कवरेज देख सकते हैं।
उपच्छाया चंद्रग्रहण जैसे-जैसे अपनी समाप्ति की ओर बढ़ेगा उसका रूप मलीन हो जाएगा। रात करीब 12 बजकर 55 मिनट पर अपने चरम पर होगा। फिलहाल चांद पृथ्वी की भूभा की तरफ बढ़ रहा है।
चंद्रमा हमारे मन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव डालता है। लोगों का मनना है कि खुद अपने आसपास के लोगों का पूर्णिमा और अमावस्या के समय के बर्ताव के अंतर को देखा जा सकता है। पूर्णिमा पर प्रभाव चंद्रमा का अधिक देखा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर अमावस्या के दौरान सबसे कम देखा जाता है।
हिन्दू धर्म में चन्द्र ग्रहण एक धार्मिक घटना है जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। जिस चन्द्र ग्रहण को नग्न आंखों से ना देख पाएं उसका कोई धार्मिक महत्व नहीं होता है। मात्र उपच्छाया वाले चन्द्रग्रहण नग्न आंखों से दृष्टिगत नहीं होते हैं इसीलिए उनका पंचांग में समावेश नहीं होता है।
चंद्र ग्रहण के अगले दिन सुबह जल्दी उठें और सभी नित्य कर्म करने के बाद लाल रंग का रेशमी कपड़ा लें। इस लाल कपड़े में पीले चावल के 21 अखंडित दानें रखें। ध्यान रहे कोई टूटा हुआ दाना न हो। चावल को हल्दी से रंग लें। उन दानों को कपड़े में बांध लें। अब माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक चौकी बनाएं और उस पर यह लाल कपड़े में बंधे चावल भी रखें। इसके बाद उनकी नियमपूर्वक पूजा करें। पूजन के बाद यह लाल कपड़े में बंधे चावल अपने पर्स में छिपाकर रख लें। इस उपाय से माना जाता है कि माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और धन संबंधी सभी रुकावटें दूर होंगी।
आज पूर्णिमा के दिन लगने वाला ग्रहण आंशिक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा, इसलिए ज्योतिषियों की मानें तो इस ग्रहण का भारत में प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह चंद्र ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा
चंद्र ग्रहण या फिर सूर्य ग्रहण, इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य या फिर भगवान के दर्शन नहीं किए जाते हैं। ऐसे में लोगों को सलाह दी गई है कि घर में पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन करें। शुक्रवार रात चंद्र ग्रहण के दौरान श्रद्धालु अपने-अपने घरों में ही रहकर भगवान को याद कर पूजा पाठ और सुविधानुसार भजन-कीर्तन करें। चंद्र ग्रहण के दौरान लोग यह ध्यान रखें कि इसमें खाना-पीना वर्जित होता है।
चंद्र ग्रहण देखना पूरी तरह से सुरक्षित होता है, इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं. ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही सही से देखा जा सकेगा. अगर आप टेलिस्कोप की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा. साथ ही आप यूट्यूब पर कई चैनलों के माध्यम से भी इस ग्रहण का लाइव नजारा देख पाएंगे...
कुंभ राशि के जातक, आर्थिक मामलों में आपको थोड़ी सी उलझनें महसूस होंगी। घर-परिवार के प्रति आपके खर्चे बढ़ेंगे। फंसे हुए पैसे आपकी परेशानी का कारण बनेंगे। स्वास्थ्य सेवाओं में आपके खर्चे पहले से अधिक रहेंगे।
भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मलिनता प्राप्त होती है।
इस साल ऐसा संयोग बन रहा है, जब एक माह के भीतर तीन ग्रहण लगेंगे। इनमें दो चंद्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण शामिल हैं। ये तीनों ग्रहण 5 जून से 5 जुलाई के बीच लगेंगे, जिनमें जून में दो और जुलाई में एक ग्रहण लगेगा। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ और दान का बड़ा महत्व है। ग्रहण के समय पूजा-पाठ करने से कई गुणा ज्यादा पुण्य मिलता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
5 जून 2020 को पेनुमब्रल चंद्रग्रहण होगा। पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse,) में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा पूरी तरह से संरेखित होते हैं। पृथ्वी चंद्रमा की सतह तक पहुंचने से सूर्य की कुछ रोशनी को अवरुद्ध करती है और चंद्रमा के एक हिस्से को अपनी बाहरी छाया के साथ कवर करती है, जिसे पेनुमब्रल के रूप में भी जाना जाता है।
ये चंद्र ग्रहण भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में दिखाई देगा। ग्रहण काल की शुरुआत रात 11:16 बजे से हो जाएगी। इसका परमग्रास 12:54 बजे पर होगा और इसकी समाप्ति 2:32 AM पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 03 घंटे 15 मिनट की रहेगी।
ग्रहणकाल के दौरान अपना और छोटे बच्चों का भी विशेष ध्यान रखें। चंद्रमा मन का कारक है इस लिए जब ये ग्रसित होता है तो लोगों के मन में नकारात्मक विचार जरूर आते हैं। ग्रहणकाल के दौरान हर किसी को अपने चंद्रमा को बलवान करके की कोशिश जरूर करनी चाहिए। इससे मन पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं आ पाएगा। अपने आपको शुद्ध और पवित्र बनाए रखें।
चंद्र ग्रहण के दिन 5 ग्रह वक्री रहेंगे. इतने बड़ी संख्या में ग्रहों का वक्री होना शुभ नहीं माना जाता है। यह बड़ी घटनाओं का कारक माना जाता है। इस दिन बृहस्पति, शुक्र और शनि व्रकी रहेंगे जबकि राहु-केतु सदैव ही वक्री रहते हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान उससे निकलने वाला रेडिएशन आंखों के नाजुक टिशू को डैमेज करता है, जिस वजह से आखों में विजन इशू यानि देखने में दिक्कत हो सकती है। इसे रेटिनल सनबर्न भी कहते हैं। इस वजह से आंखों की रोशनी कुछ वक्त या फिर हमेशा के लिए भी जा सकती है।
इसलिए इसे कभी भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। लेकिन चंद्र ग्रहण के साथ ऐसा कुछ भी नहीं होता है। आप इसे नग्न आंखों से देख सकते हैं। इसके अलावा चश्मा और टेलिस्कोप से भी चंद्र ग्रहण देखा जा सकता है।
ग्रहण काल का सूतक लगते ही खाना-पीना नहीं चाहिए। इस समय कोई भी शुभ कार्य, यहां तक की भगवान की सामान्य पूजा-आरती भी नहीं की जाती। मंदिर के कपाट इस दौरान बंद कर दिए जाते हैं। सूतक लगने के बाद से ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं, जिसका बुरा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है। साथ ही गर्भवती स्त्रियों को धार वाली किसी भी वस्तु का प्रयोग इस दौरान नहीं करना चाहिए।
शास्त्रोक्त मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दिन सात्विक रहकर ईश्वर आराधना करना चाहिए। ग्रहण काल में किए गए कार्यों का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए। इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ग्रहणकाल में खाना-पीना नहीं चाहिए। इस समय बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए। गर्भवती महिलाएं को ग्रहणकाल में विशेष सावधानी बरतना चाहिए और कैंची, चाकू आदि नुकीली चीजों से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए।
चंद्र ग्रहण देखना पूरी तरह से सुरक्षित होता है, इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं. ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही सही से देखा जा सकेगा. अगर आप टेलिस्कोप की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा. साथ ही आप यूट्यूब पर कई चैनलों के माध्यम से भी इस ग्रहण का लाइव नजारा देख पाएंगे...
ज्योतिषविदों की मानें तो उपछाया चंद्र ग्रहण अधिक प्रभावकारक नहीं होता है। इसके चलते सूतक काल की मान्यता भी नगण्य होती है। उपछाया के कारण सामान्य तौर पर दिखने वाले चांद और ग्रहण के दौरान दिख रहे चांद में बहुत अंतर या फर्क नहीं दिखेगा। ग्रहण के दौरान चांद के आकार में बहुत परिवर्तन नहीं दिखेगा, बल्कि चांद के रंग में अंतर नजर जरूर आएगा। इसकी छवि मलिन होने के साथ ही चांद मटमैला दिखेगा।
सूर्य ग्रहण से विपरीत, चंद्र ग्रहण की घटना को नग्न आंखों से देखा जा सकता है। इससे आंखों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2020 में रात्रि के समय चंद्र ग्रहण को आसानी से देखा जा सकता है क्योंकि रात के समय कोई भी हानिकारक किरणें वातावरण में नहीं होंगी। हालांकि, गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि चंद्र ग्रहण के दौरान वो घर से बाहर न निकलें।
जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है. इसे चंद्रग्रहण कहते हैं. जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है. चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है. एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है.
ग्रहण काल के समय भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक माना गया है। घर में पके हुए भोजन में सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता। जानिए ग्रहण काल में क्या करें और क्या न करें
5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण 3 घंटे 18 मिनट का होगा। यह एक पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण होगा। यह चंद्र ग्रहण 5 जून की रात 11:16 बजे से शुरू होगा, रात 12:54 बजे इसका सबसे ज्यादा असर दिखाई देगा और 6 जून 02:34 बजे इसकी समाप्ति हो जायेगी। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse,) में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा पूरी तरह से संरेखित होते हैं. गौरतलब है कि इसके बाद साल का तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई 2020 को लगेगा. जुलाई के बाद इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा.
ग्रहण का सूतक: चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान सभी तरह के शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। यहां तक कि सूतक काल में भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करना भी मना होता है। मंदिरों के कपाट भी ग्रहण के सूतक काल में बंद कर दिये जाते हैं। सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण के सूतक काल में ज्यादा समय तक नहीं सोना चाहिए। धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण का पूरी दुनिया पर असर होता है। इस साल जून और जुलाई के महीने में करीब 30 दिन के अंदर तीन ग्रहण लगने जा रहे हैं ऐसे में इसका क्या असर होगा। यह ज्योतिष के जानकारों एवं धर्म गुरुओं के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इस वर्ष आषाढ़ के महीने में 6 जून से 5 जुलाई के बीच तीन ग्रहण लगने जा रहे हैं। इनमें से दो ग्रहण भारत में दृश्य होंगे।
वैसे तो ग्रहण के दौरान सोने की भी मनाही होती है लेकिन बीमारी और प्रेग्नेंसी के दौरान यदि जागना संभव ना हो तो ईश्वर का ध्यान कर आप सो सकते हैं। गर्भवती महिलाएं इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि ग्रहण काल के समय प्रेग्नेंट महिलाएं कभी भी नुकीली चीजों जैसे चाकू, कैंची, सूई आदि चीजों का इस्तेमाल न करें। मान्यता है कि इन चीजों का ध्यान न रखने पर शिशु के किसी भी अंग को हानि पहुंच सकती है।
खगोलशास्त्रियों का कहना है कि ये ग्रहण इतनी आसानी से शायद नजर नहीं आए. अगर आसमान साफ होगा और आप पूरे ध्यान से देखेंगे तो इसके प्रभाव आपको नजर आएंगे. इसमें भी चांद के उत्तरी हिस्से की चमक और दक्षिणी हिस्से की चमक में अंतर दिखेगा. बाकी आप विशेष उपकरणों की मदद से इसे अच्छे से देख पाएंगे।
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है. यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी है.
चंद्र ग्रहण को आप http://www.virtualtelescope.eu पर वर्चुअल टेलिस्कोप की मदद से देख सकते हैं. इसके अलावा आप इसे यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर लाइव देख सकते हैं.
मेष: रोज़मर्रा की गतिविधियों में गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। ख़र्च करते वक़्त ख़ुद आगे बढ़ने से बचें, नहीं तो आप खाली जेब लेकर घर लौटेंगे। रिश्तेदार आपके दुःख में भागीदार बनेंगे। अपनी परेशानियाँ उनसे बांटने में हिचकिचाएँ नहीं। निश्चित तौर पर आप उन्हें हल करने में सफल रहेंगे। ख़याली परेशानियों को छोड़ें और अपने साथी के साथ रोमांटिक समय बिताएँ। आपने जो नई जानकारी हासिल की है, वह आपको अपने प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त दिलाएगी। कोई आध्यात्मिक गुरू या बड़ा आपकी सहायता कर सकता है। यह शादीशुदा ज़िन्दगी के सबसे ख़ास दिनों में से एक है। आपको प्रेम की गहराई का अनुभव करेंगे। छुट्टी का पूरा दिन चीज़ों की मरम्मत कराने की कोशिश में ज़ाया हो जाए, यह वाक़ई बहुत बुरा लगता है। ख़ास तौर पर तब जबकि वह चीज़ ठीक भी न हो।
धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही अशुभ माने गये हैं। 5 जून में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण के दौरान बहुत से कार्य वर्जित होते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव काफी ज्यादा रहता है। इसलिए कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत पड़ती है। खासकर गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय ज्यादा सतर्क रहना होता है। जिससे ग्रहण का बुरा प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर न पड़ सके।
चंद्र ग्रहण या फिर सूर्य ग्रहण, इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य या फिर भगवान के दर्शन नहीं किए जाते हैं। ऐसे में लोगों को सलाह दी गई है कि घर में पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन करें।
शुक्रवार रात चंद्र ग्रहण के दौरान श्रद्धालु अपने-अपने घरों में ही रहकर भगवान को याद कर पूजा पाठ और सुविधानुसार भजन-कीर्तन करें। चंद्र ग्रहण के दौरान लोग यह ध्यान रखें कि इसमें खाना-पीना वर्जित होता है।
चंद्र ग्रहण पूरी तरह से सुरक्षित होता है इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं। अगर आप टेलिस्कोप की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको बेहद खूबसूरत नजारा दिखाई देगा। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही सही से देखा जा सकेगा।