साल का तीसरा चंद्र ग्रहण अब खत्म हो चुका है। ये ग्रहण अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में दिखाई दिया। लेकिन भारत में दिन होने की वजह से इस ग्रहण को देखा नहीं जा सका। ज्योतिष अनुसार चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगा था। इसलिए इस राशि के लोगों को ग्रहण सबसे अधिक प्रभावित करेगा। जानिए क्या है चंद्र ग्रहण और यह कैसे लगता है?
चंद्र ग्रहण कैसे लगता है? चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। ये घटना सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है।
क्या है उपच्छाया चंद्र ग्रहण? पेनुमब्रल को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। उपच्छाया चंद्र तब होता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया मात्र ही पड़ती है। इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। अत: चंद्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं आता है। कोई भी चन्द्रग्रहण जब भी आरंभ होता है तो ग्रहण से पहले चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करता है जिसे उपच्छाया कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया यानी भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा धरती की भूभा में जाए बिना ही उसकी उपच्छाया से ही बाहर निकल कर आ जाता है। इसलिए उपच्छाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं।
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पेनुमब्रल को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं। उपच्छाया चंद्र तब होता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया मात्र ही पड़ती है। इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। अत: चंद्रमा के आकार में कोई अंतर नहीं आता है।
चंद्र ग्रहण का आपकी राशि पर अशुभ प्रभाव देखने को मिलेगा। इस दौरान आपको किसी भी तरह के संक्रमण से बचने की बहुत ज्यादा जरूरत है। साथ ही परिवार और पैसों के मामले में आप थोड़ी सावधानी बरतें। इस वक्त कहीं भी निवेश करना आपके लिए अच्छा नहीं रहेगा। आपको खान-पान पर संयम बरतना होगा और भागदौड़ से दूरी बनानी होगी। इसके अलावा काम बनते-बिगड़ते नजर आएंगे और असुरक्षा की भावना मन में बनी रहेगी। सुखों के कारण घरेलु विवाद से दूर रहें।
सिंह राशि वालों के लिए यह ग्रहण थोड़ा भारी पड़ सकता है। इस वक्त आपको भूमि और वाहन के खरीदने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए और कहीं पर भी पैसा नहीं फंसाना चाहिए, अन्यथा रिटर्न में परेशानी आ सकती है। आपको व्यापार में अधिक मेहनत करनी पड़ेगी, जिससे आपको ज्यादा हानि नहीं होगी। साथ ही किसी भी तरह के बड़े फैसलों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
ग्रहण के समय पहने गए वस्त्रों को दोबारा नहीं पहनना चाहिए। बेहतर होगा कि आप स्नान के बाद इनको दान कर दें।
ग्रहण के बाद बिना स्नान व पूजा किए कुछ भी ग्रहण न करें।
वृषभ: आपके लिए ग्रहण सामान्य फलदायी रहेगा। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी। लेकिन लव लाइफ में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सतर्क रहें।
मिथुन: आपके ऊपर चंद्र ग्रहण का नकारात्मक असर पड़ता दिखाई दे रहा है। आपको अपने बोलने पर नियंत्रण रखना होगा। वाद विवाद से दूर रहें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। खर्चों में बढ़ोतरी होने से आप परेशान रहेंगे। आंखों से संबंधी रोग परेशान कर सकते हैं।
कर्क: इस राशि के जातकों के लिए ग्रहण अच्छा रहेगा। रूके हुए काम पूरे होंगे। लव लाइफ में शांति का माहौल रहेगा। आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। शत्रु परास्त होंगे।
मेष: इस राशि के लोगों पर ग्रहण का सबसे कम असर पड़ेगा। लेकिन आपको स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। बेवजह के वाद विवाद में न पड़ें।
चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है जिससे चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। इससे चांद बिंब काला पड़ जाता है। आपको बता दें कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं और अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करके बिना भूभा में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं । इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।
इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण अब समाप्त हो गया है। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया था। यह चंद्र ग्रहण यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पैसिफिक और अंटार्टिका में दिखाई दिया था। भारतीय समयानुसार ग्रहण की शुरुआत सुबह के 8 बजकर 38 मिनट पर हुई। 9 बजकर 59 मिनट पर ग्रहण अपने चरम पर था। फिर 11 बजकर 21 मिनट पर ग्रहण समाप्त हो गया।
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार से लगते हैं। इनमें पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण, दूसरा आंशिक और तीसरा उपच्छाया चंद्र ग्रहण होता है। खगोल विज्ञान के अनुसार जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही रेखा में हों और सूर्य व चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आकर चंद्रमा को पूरी तरह ढक ले तो इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं जबकि आंशिक चंद्र ग्रहण में पृथ्वी चंद्रमा को आंशिक रूप में ढकती है। ज्योतिष में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को प्रभाव शून्य माना जाता है।
हां, आप चाहें तो नंगी आंखों से चंद्र ग्रहण देख सकते हैं. हालांकि, यदि आप अच्छा एक्सीपीरियंस चाहते हैं तो आप टेलीस्कोप से भी चंद्र ग्रहण देख सकते हैं. इसके अलावा आप चाहें तो लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए भी ग्रहण को आसानी से देख सकते हैं.
हां, आप चाहें तो नंगी आंखों से चंद्र ग्रहण देख सकते हैं. हालांकि, यदि आप अच्छा एक्सीपीरियंस चाहते हैं तो आप टेलीस्कोप से भी चंद्र ग्रहण देख सकते हैं. इसके अलावा आप चाहें तो लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए भी ग्रहण को आसानी से देख सकते हैं.
चंद्र ग्रहण एक खास खगोलीय घटना है, उपछाया चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा जब पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है, तो इसे चंद्र ग्रहण लगना कहा जाता है। इसे देखने के लिए कोई अतिरिक्त सतर्कता और विशेष सावधानी बरतने की जरूरत नहीं होती। चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
इस ग्रहण को दक्षिणी/ पश्चिमी यूरोप, अफ्रीका के अधिकतर हिस्से, उत्तरी अमेरिका के अधिकतर हिस्से, दक्षिणी अमेरिका, भारतीय महासागर और अंटार्टिका में देखा जा सकेगा.
ग्रहण 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 43 मिनट की होगी. ये उपछाया चंद्रग्रहण होगा जो भारत में दिखाई नहीं देगा और ना ही इसका सूतक माना जाएगा. ज्योतिषियों के मुताबिक ये ग्रहण धनु राशि और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में लग रहा है. धनु राशि आक्रामकता की राशि है. इस ग्रहण की वजह से देश-दुनिया में युद्ध और विवादों जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं.
5 जुलाई यानी आज चंद्र ग्रहण की शुरुआत हो गई है। यह ग्रहण गुरु पूर्णिमा की तिथि पर लगा है। लगातार 3 सालों में गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है। इसके पहले 2018 और 2019 में भी गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगा था। अब 5 जुलाई को साल का तीसरा ग्रहण लगने जा रहा है।
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि एक महीने के अंतराल में तीन ग्रहण का होना शुभ संकेत नहीं है। आज 30 दिनों के भीतर ही तीसरा ग्रहण लग रहा है। ऐसे में इस ग्रहण का बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है।
भारत में इस ग्रहण में किसी भी तरह का कार्य किया जा सकता है। इसमें पूजा-पाठ भी शामिल है। रोज की तरह इसमें दैनिक पूजा-पाठ कर सकते हैं। सूतक काल मान्य नहीं होने के कारण इस ग्रहण का प्रभाव नहीं रहेगा।
एक महीने के अंदर तीन ग्रहण लगना ज्योतिष अनुसार अच्छा नहीं माना जाता है। ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा जिस वजह से इसका कोई प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।
चंद्र ग्रहण का सबसे ज्यादा असर मिथुन राशि और धनु राशि के जातकों पर देखने को मिलेगा। मिथुन राशि में ही चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस दौरान इन दो राशि के लोगों को मानसिक तनाव होगा। इसके अलावा वृश्चिक, कन्या और सिंह राशि के जातक इस ग्रहण से अधिक प्रभावित होंगे।
आज गुरू पूर्णिमा है और आज ही चंद्रग्रहण लगने वाला है जो कि सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरू होगा. गुरू पूर्णिमा का भारत में एक खास महत्त्व है इस दिन को लोग त्यौहार और पर्व के रूप में मानते हैं. गुरू पूर्णिमा के दिन भी चंद्रग्रहण लगने से लोगों में मन में सूतक का संशय बना हुआ है लेकिन इस बार भारत में ग्रहण नहीं लगेगा, इसलिए गुरू पूर्णिमा पर कोई असर नहीं होगा.
सूतक काल वह अवधि होती है जो ग्रहण लगने से करीब 9 घंटे पहले शुरू हो जाती है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दौरान किसी भी तरह के शुभ काम करने की मनाही होती है। लेकिन इस ग्रहण का सूतक नहीं लगा है। क्योंकि ये एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जो भारत में नहीं दिखाई देगा। जिस कारण इसका कोई प्रभाव भी नहीं पड़ रहा है।
ग्रहण काल के दौरान सूतक की अवधि में भजन-कीर्तन के अलावा कुछ भी न करें। देव-देवियों की मूर्तियों और मंदिरों का भी स्पर्ष न करें। हालांकि आज के ग्रहण में यह लागू नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज का ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए सूतक भी नहींं मान्य होगा।
ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भजन-कीर्तन के अलावा नदियों और सरोवरों का स्नान करना भी आवश्यक है। ग्रहण काल के बाद नदियों और सरोवरों में स्नान करें और यथा संभव दान-पुण्य भी करें।
चंद्रग्रहण के बाद स्नान जरूर करें। ऐसा इसलिए विधान है क्योंकि ग्रहण काल में जो अशुभ किरणें गिरती हैं, वह धुल जाएं। इस दौरान नदियों और सरोवरों में स्नान करने से ज्यादा पुण्य मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर वर्ष ग्रहण लगते हैं। इनकी संख्या कम से कम चार और अधिकतम 6 होती हैं। ग्रहण खगोलीय घटना है। यह जानने की चीज है कि पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य भी गति करते हैं।
गरीबों और निर्धनों की सहायता करना, कन्याओं का विवाह कराने से भी ग्रहण की काली छाया से मुक्ति मिलती है।
अलग-अलग स्थानों पर ग्रहण की दृश्यता अलग-अलग होती है। कहीं कम, कहीं आंशिक और कही पूर्ण दृश्यता होती है। उसी के अनुसार ग्रहण का प्रभाव भी कहीं कम, कहीं आंशिक और कहीं पूर्ण होता है।
ग्रहण लगने से राशियों पर प्रभाव पड़ता है। कई राशियों पर अच्छा, कई अन्य पर बुरा और शेष पर सामान्य प्रभाव पड़ता है। सभी राशियों के लोगों को इस दौरान भजन-कीर्तन करना चाहिए।
चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। ये घटना सिर्फ पूर्णिमा के दिन ही घटित होती है।
चंद्र ग्रहण के कारण मेष राशि के जातकों में मानसिक तनाव बढ़ सकता है इस दिन मन अशांत रहेगा। इस लिए कुछ ऐसा न करें जिससे मन अशांत हो। सेहत का ध्यान रखें. आलस हावी रहेगा जिससे काम में मन कम लगेगा। संतान के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो सकती है। आय में वृद्धि होगी।
आपको बता दें कि इससे पहले साल 2018 और 2019 में भी गुरु पूर्णिमा के ही दिन चंद्र ग्रहण लग चुका है। साल 2018 में 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण रहा था। इसके बाद साल 2019 में भी 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण लगा था।
ग्रहण के दौरान खानपान की मनाही इसलिए भी होती है क्योंकि माना जाता है कि ग्रहण के समय में खाना दूषित हो जाता है। ग्रहण के दौरान जो खगोलीय बदलाव होते हैं उसके कारण कई बैक्टीरिया अधिक सक्रिय हो जाते हैं जिसके कारण खाने की गुणवत्ता कम हो जाती है। माना जाता है कि ग्रहण पोषक तत्वों को प्रभावित कर सकता है, इस दौरान खाना पकाने से भी मनाही होती है।
इसमें काले तिल, सफेद तिल, काली उड़द एवं गेहूं शामिल है। किसी एक ग्रहण पर तुला दान अवश्य करें। चंद्र ग्रहण में चन्द्र देव मंत्र का जाप अत्यधिक शुभ फल कारक होता है। चंद्र मंत्र : ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ।
जिनकी कुंडली में चंद्रग्रहण का दोष हो तो उनको अपने जीवनकाल में पड़ने वाले हर पूर्ण सूर्य ग्रहण एवं चंद्रग्रहण के समय सूर्य अथवा चंद्रमा का दान करना चाहिए।
ज्योतिष अनुसार एक महीने के अंतराल में तीन ग्रहण पड़ना शुभ नहीं माना जाता। वहीं 5 जून से 5 जुलाई के बीच में ये तीसरा ग्रहण लगने जा रहा है। माना जा रहा है कि इसके प्रभावों से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। महंगाई की मार लोगों को झेलनी पड़ सकती है। बड़े देशों के बीच दुश्मनी बढ़ने के आसार हैं।
ग्रहण से पहले खाने पीने की वस्तु में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता और ग्रहण की समाप्ति के बाद आप इस भोजन का प्रयोग कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण को खुली आंखों से देखना सुरक्षित माना गया है। लेकिन भारत में ये चंद्र ग्रहण नहीं दिखने की वजह से आप इसे ऑनलाइन विभिन्न यूट्यूब चैनलों के माध्यम से लाइव देख सकते हैं। Slooh और Virtual Telescope चैनल इस घटना की लाइवस्ट्रीम करने के लिए जाने जाते हैं।
इस बार ये चंद्र ग्रहण धनु राशि पर लग रहा है, इसलिए इस राशि के जातकों पर गहरा असर पड़ने वाला है. धनु राशि के जातकों को इस दिन मानसिक तनाव, सेहत से जुड़ी समस्या और माता को कष्ट हो सकता है. इस राशि के जातक इस प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव की अराधना और सोमवार को व्रत रखने से लाभ मिलेगा.
चंद्र ग्रहण भारत में 5 जुलाई को सूर्योदय के बाद लगेगा। ऐसे में भारतवासी ग्रहण नहीं देख सकेंगे। इस वजह से 5 जुलाई को लगने वाला ग्रहण में सूतक काल भी नहीं लगेगा। साथ ही लोग बिना किसी परेशान के गुरु पूर्णिमा की पूजा कर सकेंगे।
कल गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। कल ही चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। चंद्र ग्रहण सुबह 08 बजकर 38 मिनट पर प्रारंभ होगा। वहीं, 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण अवधि 02 घण्टे 43 मिनट 24 सेकेंड रहेगा। गुरु पूर्णिमा के दिन लगने वाला चंद्रग्रहण भारत के संदर्भ में बहुत ज्यादा प्रभावशाली नहीं होगा क्योंकि यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है और भारत में दिखाई भी नहीं देगा।