ये साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है। इससे पहले 10 जनवरी को चंद्र ग्रहण लगा था। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने की वजह से इस ग्रहण का सूतक काल नहीं लगेगा। यानी ये अन्य ग्रहण की तरह प्रभावी नहीं होगा। अत: आप बिना किसी पाबंदी के इस ग्रहण का नजारा आसमान में देख पायेंगे। आज ज्येष्ठ पूर्णिमा भी है। ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में मौजूद रहेंगे। ग्रहण के समय चंद्रमा कहीं से कटा हुआ न दिखकर कुछ मटमैला दिखाई देगा।
ग्रहण का समय: ये चंद्र ग्रहण भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में दिखाई देगा। ग्रहण काल की शुरुआत रात 11:16 बजे से हो जाएगी। इसका परमग्रास 12:54 बजे पर होगा और इसकी समाप्ति 2:32 AM पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 03 घंटे 15 मिनट की रहेगी।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण क्या है? वैज्ञानिक नजरिए से हर तरह का ग्रहण काफी महत्वपूर्ण होता है। चाहे वो पूर्ण चंद्र ग्रहण हो, चाहे आंशिक या फिर उपच्छाया। ज्योतिष की माने तो उपच्छाया चंद्र ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता। क्योंकि इस ग्रहण के समय चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आता। हर चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य और अंग्रेजी में Penumbra कहा जाता है। उसके बाद ही चांद धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। जिसे Umbra कहते हैं। जब चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में आकर बिना वास्तविक छाया में प्रवेश किए वापस चला जाता है तब उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगता है।
21 जून को लगेगा सूर्य ग्रहण: ज्योतिषियों के अनुसार 21 जून को अमावस्या के दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण अधिक प्रभावी होगा। जो भारत में भी दिखाई देगा। मिथुन राशि में ग्रहण लगने के कारण इसी राशि के जातकों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। ये साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण होगा।


चंद्र ग्रहण 5 जून की रात 11 बजकर 15 मिनट से प्रारंभ हुआ जो 2 बजकर 34 मिनट तक देखा गया। इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण की अवधि 3 घंटे 18 मिनट तक रही। अब अगला उपच्छाया चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को लगेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राहु और केतु दोनों पापी ग्रह हैं जो सूर्य और चंद्रमा को शापित करते हैं। ग्रहण का कारण राहु और केतु को माना जाता है। राहु-केतु की छाया किसी के लिए भी नुकसान दायक होती है। राहु-केतु उसी राक्षस के सिर और धड़ हैं जिसने देवताओं की पंक्ति में जाकर अमृत पी लिया था।
आपकी आर्थिक परिस्थिति पहले से बेहतर रहेगी। जो लोग अपने स्थान के बाहर काम करते हैं उनको आर्थिक लाभ मिलेगा. पहले किए गए पूजापाठ से लाभ होगा. आपके लिए समय ठीक है
आज होने वाला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा है। यह मंगल ग्रह की राशि है। इसके साथ ही ग्रहण ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा, जो बुध ग्रह का नक्षत्र है। आज का उपच्छाया चंद्र ग्रहण भले ही वृश्चिक राशि में लग रहा हो लेकिन इसका शुभ-अशुभ असर सभी राशियों पर पड़ने वाला है।
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं। इस ग्रहण को अंग्रेजी में (Penumbra) कहा जाता है। इसके बाद चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है।
उपच्छाया ग्रहण का स्ट्रॉबेरी मून नाम दिया गया है। इसके नामकरण के पीछे का कारण है, अमेरिका में इस समय स्ट्रॉबेरी की फसल की कटाई होती है। इसलिए इसका एक नाम स्ट्रॉबेरी भी रखा गया है।
चंद्रग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए सोमवार को केसर की खीर कन्याओं को खिलाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा शिवजी की पूजा करने एवं चावल दान करने को भी कहा जाता है।
ग्रहण एक भौगोलिक घटना है जिसका वैज्ञानिक पहलू खास है। इसके अनुसार जब ग्रहण लगता है उस वक्त नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणों का उत्सर्जन होता है। जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
कई बार पितृदोष के कारण हमारे कार्यों में बाधा आने लगती है, ऐसे में चंद्रग्रहण के बाद इस उपाय को करके पितृदोष दूर किया जा सकता है। चंद्रग्रहण के बाद पितृदोष दूर करने के लिए चावल की खीर और रोटी कौवों को खिलाएं। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलेगा और आपको रुके हुए काम बनेंगे।
करियर की स्थिति में सुधार होगा, परिवार में शांति आएगी, सोच समझकर फैसला लें। आपकी लाभ और विद्या की स्थिति बन रही है। सरकार द्वारा आपका कारोबार बढ़ेगा।
चंद्रग्रहण आपके लिए भाग्योदय का समय है। आपकी मित्रताएं घनिष्ठ होंगी और आपमें अद्भुत आत्मविश्वास बना रहेगा। सेहत का ध्यान रखें, व्यर्थ के वाद-विवाद ना करें, शिव जी की उपासना करें।
इससे पहले इसी साल के शुरुआती महीने में हुआ चंद्र ग्रहण मांद्य चंद्र ग्रहण था जिसे उपच्छाया भी कहा जाता है। मांद्य यानी मंद पड़ने की क्रिया को कहते हैं। इसमें चंद्रमा की छवि धूमिल होती हुई दिखती है। इस क्रिया में चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रस्त नहीं होगा जिस कारण से ग्रहण का सूतक काल प्रभावी नहीं रहेगा।
घरों में ग्रहणकाल में धूप-अगरबत्ती जलाकर रखें, जिससे कि निगेटिव एनर्जी घर से बाहर निकल जाए। इसके साथ ही तुलसी के पौधे को सूतक काल के दौरान ना छूए। और ना ही ग्रहण के दौरान सोना चाहिए। इस दौरान कैंची का प्रयोग न करें। और फूलों को न तोड़े। बालों व कपड़ों को साफ न करें। ग्रहण के दौरान दातुन या ब्रश न करें, गाय, भैंस, बकरी का दोहन न करें।
पृथ्वी का बड़ा हिस्सा जून के चंद्रग्रहण को देख पाने में सक्षम होगा। क्योंकि ये ग्रहण भारत के अलावा यूरोप के अधिकांश भाग, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। कई यूट्यूब चैनल ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं। Slooh और Virtual Telescope चैनल इस घटना को लाइवस्ट्रीम करने के लिए जाने जाते हैं।
ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है। वहीं, ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह ग्रहण, ग्रहण न होकर चंद्र ग्रहण की उपछाया होगा। जिसे वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता। जिस कारण इस ग्रहण में सूतक के नियम भी मान्य नहीं होते।
5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह ग्रहण, ग्रहण न होकर चंद्र ग्रहण की उपछाया होगा। जिसे वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता। जिस कारण इस ग्रहण में सूतक के नियम भी मान्य नहीं होते।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस ग्रहण को देखने के लिए किसी तरह के खास चश्मे की जरूरत नहीं है। आप नंगी आंखों से भी ये चंद्र ग्रहण देख सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से ये पूरी तरह सुरक्षित है।
ग्रहण काल का सूतक लगते ही खाना-पीना नहीं चाहिए। इस समय कोई भी शुभ कार्य, यहां तक की भगवान की सामान्य पूजा-आरती भी नहीं की जाती। मंदिर के कपाट इस दौरान बंद कर दिए जाते हैं। सूतक लगने के बाद से ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं, जिसका बुरा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है। साथ ही गर्भवती स्त्रियों को धार वाली किसी भी वस्तु का प्रयोग इस दौरान नहीं करना चाहिए।