149 साल बाद आए ऐतिहासिक चंद्रग्रहण की अवधि करीब 2 घंटे 59 मिनट की रही। तडके 4:30 बजे ग्रहण काल खत्म हो गया। इस बार चंद्रग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन आया था। यह ऐतिहासिक घटना 149 साल बाद हुई। इस दौरान दुनिया के कई देशों में चंद्रग्रहण देखा गया। शुरुआती तस्वीरें ऑस्ट्रेलिया और क्रोएशिया से आई थीं।
इन राज्यों में नहीं दिखा चंद्रग्रहण: खगोलीय वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह चंद्रग्रहण अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों में नहीं दिखाई दिया। हालांकि, कई जगह मौसम खराब होने के कारण चंद्रग्रहण नहीं देखा जा सका। वहीं, देश के पूर्वी इलाकों जैसे बिहार, असम, बंगाल और ओडिशा में ग्रहण की अवधि में ही चंद्रमा अस्त हो गया। ज्योतिषियों का कहना है कि इस ग्रहण का असर सभी 12 राशियों के अलावा देश व दुनिया पर पड़ेगा।
Highlights
149 साल बाद आए ऐतिहासिक चंद्रग्रहण की अवधि अब खत्म हो गई है। रात 1 बजकर 31 मिनट पर शुरू हुआ यह ग्रहणकाल तड़के 4 बजकर 30 मिनट तक चला।
मुंबई में चंद्रग्रहण के दौरान ऐसा था नजारा
देश की राजधानी दिल्ली से चंद्रग्रहण का नजारा ऐसा दिखा। बुधवार की रात 1 बजकर 31 मिनट पर चंद्रग्रहण की शुरुआत हुई।
ओडिशाः भुवनेश्वर में ऐसा दिखा चंद्रग्रहण का शुरुआती नजारा। यह चंद्रग्रहण अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका से देखा जा सकेगा।
भारत में चंद्रग्रहण कई शहरों में दिखने लगा है। भुवनेश्वर से भी तस्वीर सामने आई है, देश की राजधानी नई दिल्ली से भी तस्वीर सामने आई है। हालांकि बादल छाए होने के चलते तस्वीर देरी से सामने आई।
चंद्रग्रहण की शुरुआती तस्वीरें ऑस्ट्रेलिया के पर्थ और क्रोएशिया से सामने आई है।
मिथुन राशि वालों को विशेषज्ञों ने नए प्रेम संबंधों की शुरुआत से बचने की सलाह दी है। ऐसा करने से समस्याएं बढ़ सकती हैं। क्रोध पर नियंत्रण रखें और ग्रहण के बाद काली वस्तुओं का दान कतई न करें। ऐसा करने से नुकसान हो सकता है।
चंद्रमा का रंग धरती के वायुमंडल की स्थिति पर भी निर्भर करता है। माना जा रहा है कि आज के चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा का रंग लाल नजर आ सकता है, हालांकि इसकी सटीक भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
ग्रहण काल के बाद घर की साफ-सफाई जरूरी है। सफाई के बाद स्नान करें और धुले हुए कपड़े ही पहनें। इसके अलावा मंदिर जाकर पूजा-पाठ करना और गरीबों को दान करना भी अच्छा माना गया है।
वृषभ राशि के जातकों के लिए यह समय कष्टदायी रहेगा। उन्हें सावधान रहकर काम करना होगा, क्योंकि धन हानि हो सकती है।
मेष राशि के लिए ग्रहण का योग शुभ रहने वाला है। इस राशि के जातकों को सफलता के साथ ही मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। धन लाभ मिलने की संभावनाएं हैं।
जानकारों के मुताबिक, यह खगोलीय घटना करीब 2 घंटे 58 मिनट तक देखी जा सकेगी। खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह नजारा बेहद शानदार होगा। हालांकि, इसके लिए मौसम साफ होना जरूरी है। खगोलीय वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रग्रहण देखने के लिए विशेष सावधानी की जरूरत नहीं होती है।
भारत के सभी राज्यों में सूतक काल का समय एक जैसा रहने वाला है। सूतक काल शाम 4 बजकर 31 मिनट से शुरु होकर चंद्र ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा। इस आंशिक चंद्र ग्रहण को भारत के सभी इलाकों में देखा जा सकेगा।
ग्रहण के दौरान खाना-पीना नहीं चाहिए। इस दौरान भोजन पकाने की भी मनाही होती है। बीमार लोगों औप बच्चों को हालांकि इससे छूट प्राप्त है। खान-पान की चीजों में तुलसी के पत्ते अवश्य डाल दें।
सूतक काल में मंत्रों का जाप करना कल्याणकारी माना गया है। इस दौरान “तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव।” इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का अर्थ है- ये अंधकाररूपी महाभीम सूर्य और चंद्र का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्णतारा दान से शांति प्रदान करें।
भारतीय समयानुसार चंद्रग्रहण 16 जुलाई की रात 1 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा। ग्रहण का मध्य काल रात्रि 3 बजकर 1 मिनट पर और चंद्रग्रहण का मोक्ष रात 4 बजकर 30 मिनट पर होगा। चंद्रग्रहण की कुल अवधि 2 घंटे 59 मिनट की रहेगी। सूर्यग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले ही लग जाता है। वहीं, चंद्रग्रहण में सूतक काल ग्रहण प्रारंभ होने से 9 घंटे पहले लगता है। चंद्रग्रहण की शुरुआत रात 01:31 बजे हो रही है तो सूतक काल ठीक 9 घंटे पहले यानी शाम 04:30 बजे से ही लग जाएगा। चंद्र गहण के मोक्ष होने तक सूतक काल रहता है।
चंद्रग्रहण का सूतक ग्रहण से ठीक 9 घंटे पहले यानी कि शाम 4:30 बजे शुरु हो जाएगा। इस चंद्रग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, एशिया लेकिन यहां के उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर भाग में दिखाई देगा।
2019 का पहला चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया था। हालांकि, अमेरिका, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, नार्वे, स्वीडन, पुर्तगाल, फ्रांस और स्पेन में लोग इस अद्भुत नजारे से रूबरू हुए थे। इस बार नंबर भारत का है, जहां लोगों को सुपर ब्लड वुल्फ मून जैसा ही नजारा दिखाई देगा।
गौरतलब है कि मंगलवार रात पड़ने वाला चंद्रग्रहण 2019 का दूसरा चंद्रग्रहण हैं। इससे पहले 20 और 21 जनवरी की दरम्यानी रात पहला चंद्रग्रहण लगा था। वह पूर्ण चंद्रग्रहण था, जिसे वैज्ञानिकों ने सुपर ब्लड वुल्फ मून (Super blood wolf moon) नाम दिया था। इस चंद्रग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है, जिसके चलते इसे सुपर ब्लड वुल्फ मून का नाम दिया गया।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रग्रहण को देखने के लिए विशेष सावधानी की जरूरत नहीं होती है। चंद्रग्रहण पूरी तरह से सुरक्षित होता है, इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं। यदि आप दूरबीन की मदद से चंद्रग्रहण देखेंगे तो आपको यह खगोलीय घटना बेहद स्पष्ट दिखाई देगी। एशिया के देशों में चांद का 65 फीसद हिस्सा ब्लड रेड कलर में नजर आएगा।
खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह नजारा बेहद शानदार होगा। हालांकि, इसके लिए मौसम साफ होना जरूरी है। यह खगोलीय घटना करीब 2 घंटे 58 मिनट तक देखी जा सकेगी।
खगोलीय वैज्ञानिकों के मुताबिक, रात को 3:01 बजे चंद्रग्रहण पूरे चरम पर होगा। इस आंशिक चंद्रग्रहण के दौरान वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी। सबसे खास बात यह कि इस दौरान चंद्रमा धरती के नजदीक और आकार में अपेक्षाकृत बड़ा दिखाई देगा।
इस ऐतिहासिक खगोलीय घटना के वक्त चंद्रमा नारंगी या लालिमा लिए नजर आएगा। इसकी दूधिया रोशनी में लालिमा घुली होगी। सुबह 5:47: 38 पर चांद से धरती की धुंधली छाया भी खत्म हो जाएगी। खगोल वैज्ञानिकों को इस घटना का बेसब्री से इंतजार है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक, हाफ ब्लड मून इक्लिप्स ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका समेत यूरोप के कई हिस्सों में दिखाई देगा। एशिया की बात करें तो भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, सिंगापुर, फिलिपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ ईरान, इराक, तुर्की और सऊदी अरब में भी यह नजारा दिखाई देगा।