चंद्र ग्रहण ज्योतिष और खगोल शास्त्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। बीते दिनों में 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था और अब 5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगा। जो कि एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण था। लेकिन भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाए।
ग्रहण का समय और सूतक काल: ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया जिस वजह से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं था। धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूतक काल ग्रहण लगने से पहले की वो अवधि होती है जिसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते। ग्रहण की शुरुआत 5 जुलाई की सुबह 08:38 AM से हुई। इसका परमग्रास 09:59 AM पर और इसकी समाप्ति 11:21 AM पर। ग्रहण की कुल अवधि 02 घण्टे 43 मिनट की रही। अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा।
चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में अंतर: चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है जिससे चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। इससे चांद बिंब काला पड़ जाता है। आपको बता दें कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं और अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करके बिना भूभा में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं । इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।
इस बार ग्रहण में चंद्रमा पूरे आकार में नजर आया।. इस बार ग्रहण में चांद कटा हुआ नहीं दिखा। अमूमन ग्रहण में चंद्रमा कटा हुआ दिखाई देता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर वर्ष ग्रहण लगते हैं। इनकी संख्या कम से कम चार और अधिकतम 6 होती हैं। ग्रहण खगोलीय घटना है। यह जानने की चीज है कि पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य भी गति करते हैं।
शनिवार को चंद्रग्रहण सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरू हुआ।.गुरु पूर्णिमा का भारत में एक खास महत्त्व है इस दिन को लोग त्यौहार और पर्व के रूप में मनाते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन भी चंद्रग्रहण लगने से लोगों में मन में सूतक का संशय बना हुआ था लेकिन इस बार भारत में ग्रहण नहीं लगेगा, इसलिए गुरू पूर्णिमा पर कोई असर नहीं होगा.
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार से लगते हैं। इनमें पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण, दूसरा आंशिक और तीसरा उपच्छाया चंद्र ग्रहण होता है। खगोल विज्ञान के अनुसार जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही रेखा में हों और सूर्य व चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आकर चंद्रमा को पूरी तरह ढक ले तो इसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं जबकि आंशिक चंद्र ग्रहण में पृथ्वी चंद्रमा को आंशिक रूप में ढकती है। ज्योतिष में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को प्रभाव शून्य माना जाता है।
चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण खगोलीय घटना हैं। यह साल में कई बार होती रहती हैं। लेकिन इन घटनाओं से समाज और व्यक्ति पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं।
चंद्रग्रहण का जिन देशों और शहरों में दृश्यता रही है, वहां पर सभी राशियों पर इसका अच्छा या विपरीत प्रभाव पड़ा है। अपनी राशि के मुताबिक उसका निदान जरूर कराना चाहिए।
ग्रहण के बाद नदी और सरोवरों में स्नान करने तथा भगवान का कीर्तन-भजन करने और दान-पुण्य करने से मन को शांति मिलती है।
पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करें इससे आपने मन में नकारात्मक विचार नहीं आएंगे. ग्रहण ख़त्म होने पर जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें. भगवान शिव की पूजा करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों का असर नहीं पड़ेगा।
ज्योतिष अनुसार एक महीने के अंतराल में तीन ग्रहण पड़ना शुभ नहीं माना जाता। वहीं 5 जून से 5 जुलाई के बीच में तीन ग्रहण एक साथ पड़ें हैं। माना जा रहा है कि इसके प्रभावों से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। महंगाई की मार लोगों को झेलनी पड़ सकती है। बड़े देशों के बीच दुश्मनी बढ़ने के आसार हैं।
जानकारों के अनुसार 5 जुलाई को उपच्छाया चंद्र ग्रहण लग रहा है। ज्योतिष अनुसार इस तरह के ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में न होकर इस प्रकार से होते हैं कि पृथ्वी की हल्की सी छाया ही चंद्रमा पर पड़ पाती है। जिससे चंद्रमा पूरी तरह से गायब नहीं होता बल्कि उसका किनारे का हिस्सा छाया से ढक जाता है।
चंद्र ग्रहण भारतानुसार समय सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर शुरू हुआ और इसके बाद यह 9 बजकर 59 मिनट पर अपने अधिकतम प्रभाव में रहा। सुबह 11 बजकर 22 मिनट पर खत्म हो गया। यह ग्रहण लगभग 2 घंटे 45 मिनट तक रहा।
पिछले 3 सालों से गुरु पूर्णिमा के दिन ग्रहण लगा है। बता दें कि आज जो ग्रहण लगा वो भारत में नहीं दिखाई दिया। इस बार का ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण था।
चंद्र ग्रहण के बाद बासी खाना या रात का बचा हुआ भोजन नहीं करना चाहिए. ऐसा भोजन पशुओं को डाल दें. यदि घर में दूध से बनी चीजें रखी हैं तो उन्हें फेंकने की बजाए उनमें तुलसी के पत्ते डाल दें
मेष: इस राशि के लोगों पर ग्रहण का सबसे कम असर पड़ेगा। लेकिन आपको स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। बेवजह के वाद विवाद में न पड़ें।
वृषभ: आपके लिए ग्रहण सामान्य फलदायी रहेगा। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी। लेकिन लव लाइफ में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सतर्क रहें।
मिथुन: आपके ऊपर चंद्र ग्रहण का नकारात्मक असर पड़ता दिखाई दे रहा है। आपको अपने बोलने पर नियंत्रण रखना होगा। वाद विवाद से दूर रहें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। खर्चों में बढ़ोतरी होने से आप परेशान रहेंगे। आंखों से संबंधी रोग परेशान कर सकते हैं।
कर्क: इस राशि के जातकों के लिए ग्रहण अच्छा रहेगा। रूके हुए काम पूरे होंगे। लव लाइफ में शांति का माहौल रहेगा। आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। शत्रु परास्त होंगे।
साल का तीसरा चंद्र ग्रहण अब खत्म हो गया है। अब इसके बाद साल 2020 में दो और ग्रहण लगेंगे। एक सूर्य ग्रहण और दूसरा चंद्र ग्रहण। सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा जबकि चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को पड़ेगा। जून और जुलाई के महीने में कुल तीन ग्रहण लगे थे। 5 जून को चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और 5 जुलाई को चंद्र ग्रहण। ग्रहण का ज्योतिष और खगोल शास्त्र दोनों में विशेष महत्व होता है। कल से पावन सावन माह की शुरुआत होने जा रही है।
पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा करें इससे आपने मन में नकारात्मक विचार नहीं आएंगे. ग्रहण ख़त्म होने पर जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें. भगवान शिव की पूजा करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों का असर नहीं पड़ेगा।
वैसे तो इस चंद्र ग्रहण का असर भारत में नहीं है। यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जिसमें, सूतक काल और ग्रहण का पूरा प्रभाव नहीं रहता है। शास्त्रों में बताया गया है कि ग्रहण के खत्म होने के बाद पूरे घर की साफ सफाई करनी चाहिए। पूरे घर के कोनों में गंगाजल से छिड़काव करना चाहिए। ग्रहण काल के खत्म होने पर घर के पूजा स्थल की साफ सफाई करने के बाद भगवान को गंगाजल से स्नान करवाना चाहिए।
5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र (Penumbra Lunar Eclipse) ग्रहण है। दरअसल, ऐसा तब होता है जब पृथ्वी, सूरज और चांद के बीच तो आती है लेकिन तीनों एक ही रेखा में नहीं होते हैं. ऐसे में चांद की छोटी सी सतह पर अंब्र नहीं पड़ता है. बता दें, पृथ्वी के बीच के हिस्से से पड़ने वाली छाया को अंब्र (Umbra) कहा जाता है. चांद के बाकी के हिस्सों पर पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है, जिसे पिनंब्र (Penumbra) या उपछाया कहते हैं. इस वजह से ही इस तरह के ग्रहण कों उपछाया ग्रहण कहा जाता है.
1. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के सीधे प्रभाव में नहीं आना चाहिए.
2. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को चाकू-छुरी या तेज धार वाले हथियार का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर नकारात्मक असर हो सकता है.
3. ग्रहण की अवधि में सिलाई-कढ़ाई का कार्य भी न करें और न ही किसी प्रकार की चीज़ों का सेवन करें.
ग्रहण एक खगोलीय घटना है. जब चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी आ जाती है तब चंद्र ग्रहण होता है. चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है. जानकारों के अनुसार 5 जुलाई को उपछाया चंद्र ग्रहण लग रहा है. ज्योतिष अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण को वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता. उपछाया चंद्र ग्रहण में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में न होकर इस प्रकार से होते हैं कि पृथ्वी की हल्की सी छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है. जिससे चंद्रमा के किनारे का हिस्सा छाया से ढक जाता है. इस उपछाया चंद्र ग्रहण को धनुर्धारी चंद्र ग्रहण भी कहा जा रहा है.
आज गुरु पूर्णिमा का पर्व भी मनाया जा रहा है। इस साल भी गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया रहेगा। दरअसल चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है और सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन। आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है। यह उपच्छाया चंद्रग्रहण है जो भारत में नहीं दिखाई दे रहा है।
यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं लग रहा है. इस लिए इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा. परन्तु यदि आप इसे देखना चाहेंगे तो ऑनलाइन माध्यमों से देख सकते है.
जब-जब ग्रहण लगता है तब उस दौरान मंत्रों का जाप लगातार करना चाहिए। अब से कुछ ही मिनटों के बाद साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है। हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में प्रभावी नहीं रहेगा इसलिए सूतक मान्य नहीं होगा। ग्रहण के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना शुभ होता है।
कुछ ही घंटे बाद लगने वाले चंद्र ग्रहण का गुरुपूर्णिमा की पूजा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और यह उपछाया प्रकार का चंद्र ग्रहण है.
यह ग्रहण यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पैसिफिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा। भारत के लोग इस ग्रहण को ऑनलाइन ही देख पाएंगे क्योंकि ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
आज 5 जुलाई को लगने वाला ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, इस दौरान पूजा पाठ और सभी धार्मिक कार्यक्रम कर सकेंगे क्योंकि शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है. यह ग्रहण धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दौरान, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा. आज खास बात ये है कि इसी दिन गुरू पूर्णिमा भी है. इस उपछाया चंद्रग्रहण को धनुर्धारी चंद्रग्रहण भी कहा जा रहा है
आज 5 जुलाई को लगने वाला ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, इस दौरान पूजा पाठ और सभी धार्मिक कार्यक्रम कर सकेंगे क्योंकि शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है. यह ग्रहण धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दौरान, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा. आज खास बात ये है कि इसी दिन गुरू पूर्णिमा भी है. इस उपछाया चंद्रग्रहण को धनुर्धारी चंद्रग्रहण भी कहा जा रहा है.
ग्रहण की शुरुआत 5 जुलाई की सुबह 08:38 AM से होगी। इसका परमग्रास 09:59 AM पर होगा और इसकी समाप्ति 11:21 AM पर। ग्रहण की कुल अवधि 02 घण्टे 43 मिनट की होगी। अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा।
चंद्रग्रहण के समय कहीं भी बाहर न जाएं। ग्रहण काल में गुरुत्वाकर्षण बल और चंद्रमा की किरणें शरीर पर असर डालती हैं। इससे बचने के लिए घर के अंदर ही रहें।
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो सूर्य और पृथ्वी के साथ चंद्रमा की भौगोलिक स्थिति के आधार पर लगता है। इस दौरान सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचने से अंधेरा छा जाता है। यह प्रभावकारी होता है।
पृथ्वी और चंद्रमा के बीच 4 लाख किमी की दूरी का अंतर है और दोनों अपनी-अपनी कक्षा में गतिमान हैं। चंद्रमा तीन लाख किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करता है।
ग्रहण के वक्त गुरुत्वाकर्षण प्रभाव तेज होता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए। ज्योतिषों के अनुसार चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आते हैं। इसी वजह से उन्हें बेचैनी, पसीना आना और भावनात्मक रूप से कमजोर पड़ने जैसी चीजें हो सकती हैं।
भजन-कीर्तन करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचाव होता है। साथ ही ग्रहण की काली छाया का असर भी कम होता है।
भारतीय शास्त्रों में ग्रहण के बारे में बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं। चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दौरान कई तरह के कार्यों को निषेध किया गया है। यद्यपि जो ग्रहण दिखाई नहीं देते है, उसमें ये निषेध मानना आवश्यक नहीं हैं।
ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा जिस वजह से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूतक काल ग्रहण लगने से पहले की वो अवधि होती है जिसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते। ग्रहण की शुरुआत 5 जुलाई की सुबह 08:38 AM से होगी। इसका परमग्रास 09:59 AM पर होगा और इसकी समाप्ति 11:21 AM पर। ग्रहण की कुल अवधि 02 घण्टे 43 मिनट की होगी। अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा।
ग्रहण के समय में व्यक्ति को भगवान वासुदेव या फिर श्रीकृष्ण मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन आप ओम नमो भगवते वासुदेवाय या श्रीकृष्णाय श्रीवासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत: क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम: मन्त्र का जाप करना चाहिए।
कल गुरु पूर्णिमा है। इस दौरान चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह सामान्य तौर से दिखने वाला चंद्रग्रहण होगा। पूर्णिमा की रात अगर आसमान साफ रहा तो चांदनी रात में चांद को देखते हुए खाना भी खा सकते हैं क्योंकि इस ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार की धर्म संगत पाबंदी नहीं रहेगी।
यह चंद्र ग्रहण धनु राशि में लगेगा। धनु राशि में गुरु बृहस्पति और राहु मौजूद हैं। अतः ग्रहण के दौरान बृहस्पति पर राहु की दृष्टि धनु राशि को प्रभावित करेगी। धनु राशि के जातकों का मन अशांत रह सकता है। उनके मन में नकारात्मक विचार आ सकते हैं।
ग्रहण के समय तेल लगाना, खान-पीना, सोना, बाल बनाना, संभोग करना, मंजन करना, कपड़े धोना, ताला खोलना आदि चीजों को करने की मनाही होती है।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से दूर रहना चाहिए क्योंकि ग्रहण की छाया का कुप्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ने का डर रहता है, जो बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदेह होता है।