Lunar Eclipse or Chandra Grahan July 2020: विज्ञान अनुसार चंद्र ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है जो हर साल घटित होती है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण लगना अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए इस दौरान बहुत से कार्यों को करने की मनाही होती है। खासकर गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए ग्रहण के दौरान ये जानना जरूरी है कि किन चीजों से बचा जाए और क्या करें…

ग्रहण के समय इन कार्यों की होती है मनाही:

– ग्रहण के समय तेल लगाना, खान-पीना, सोना, बाल बनाना, संभोग करना, मंजन करना, कपड़े धोना, ताला खोलना आदि चीजों को करने की मनाही होती है।

– ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने सालों तक उसे नरक में वास करना पड़ता है।

– ग्रहण के दौरान सोने की भी मनाही होती है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति रोगी होता है।

– ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल तोड़ने की भी मनाही होती है।

– चंद्र ग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं।

– ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

– ग्रहण के वक्‍त आपको भगवान की मूर्ति को स्‍पर्श नहीं करना चाहिए। वहीं साथ ही घर के पूजा स्‍थल में भी आपको पर्दा या फिर कोई कपड़ा डाल देना चाहिए।

– गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया से दूर रहना चाहिए क्योंकि ग्रहण की छाया का कुप्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ने का डर रहता है, जो बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदेह होता है।

– गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय सिलाई, कढ़ाई, कैंची या चाकू से कुछ भी काटने से बचना चाहिए।

ग्रहण काल में क्या करें?

– ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं एक नारियल अपने पास रखें। इससे ग्रहण का बुरा असर नहीं पड़ता।

– ग्रहण काल में जप, ध्यानादि करना चाहिए। अपने ईष्ट देव के मंत्रों का मन ही मन जाप करना चाहिए।

– ग्रहण से पहले खाने पीने की वस्तु में तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता और ग्रहण की समाप्ति के बाद आप इस भोजन का प्रयोग कर सकते हैं।

– मान्यता है कि ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।

– ग्रहण काल की समाप्ति के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए।