Chandra Grahan 27 July 2018 Sutak Time Today in India, Lunar Eclipse 2018 Today Sutak Time Timings in India: हमारे देश में चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यताएं बरसों पुरानी हैं। शुक्रवार ( 27 जुलाई) को लगने वाला चंद्र ग्रहण सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण है। इसकी कुल अवधि 6 घंटे 14 मिनट रहेगी। इसमें पूर्ण ग्रहण की अवधि करीब 103 मिनट रहेगी। यह 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण होगा। बता दें कि इस बार का चंद्र ग्रहण संपूर्ण यूरोप, अफ्रीका, एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में दृश्य होगा। न्यूजीलैंड के अधिकांश भाग में, जापान, रूस, चीन, अफ्रीका तथा यूरोप के अधिकांश भागों में इसे देखा जा सकेगा। इन सबके बीच चंद्र ग्रहण के दौरान लगने वाले सूतक की काफी चर्चा हो रही है। हम आपको सूतक काल के बारे में बता देते हैं।

मालूम हो कि यह चंद्र ग्रहण कुल 3 घंटे 55 मिनट का होगा। ग्रहण का स्पर्श काल रात्रि 11: 54 मिनट पर, मध्य काल रात्रि 1:52 पर एवं मोक्ष काल रात्रि 3: 49 मिनट पर है। चूंकि सूतक चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले ही लग जाता है। इसलिए इस बार चंद्र ग्रहण का सूतक काल दिन में 2:54 पर लग जाएगा।

बता दें कि 27 जुलाई के दिन ही गुरु पूर्णिमा भी है। ऐसे में सभी लोगों को गुरु पूर्णिमा के संबंधित धार्मिक कार्यों को सूतक से पहले ही निपटा लेना सही होगा। दरअसल सूतक काल में मंदिर जाने के लिए मना किया जाता है।

कहते हैं कि सूतक के समय देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को स्पर्श करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से दोष लगने की मान्यता है। मालूम हो कि सूतक काल में भोजन पकाने और खाने की मनाही है। हालांकि बच्चे, वृद्ध  एवं  रोगी भोजन ग्रहण से मुक्त होते हैं।

कहा जाता है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में ना कोई वस्तु काटना चाहिए और ना ही सिलाई इत्यादि करनी चाहिए। इससे गर्भ में पलने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचने की मान्यता है। सूतक काल में मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि इस चंद्र ग्रहण का समय अधिक होने का कारण यह है कि चंद्रमा अपनी कक्षा में उस स्थान के नजदीक है जहां से वह पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी पर होता है। इसके चलते वह सामान्य से छोटा नजर आता है। इसे कुछ लोग माइक्रोमून के नाम से भी पुकारते हैं। एक अन्य कारण यह भी है कि आज चंद्रमा पृथ्वी की छाया के बीचोंबीच से निकलेगा जिससे वह ज्यादा देर अंधेरे में रह सकेगा।

कहते हैं कि ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखा गया हो, उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। ऐसी मान्यता है कि कुशा और तुलसी के पत्ते पानी और खाद्य पदार्थों को ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा से बचाते हैं।