Chandra Grahan 27 July 2018 Dates and Time in India, Lunar Eclipse 2018 Date and Timings in India: आज (27 जुलाई) सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण लगेगा। समूचे भारत में दिखाई देने वाला यह चंद्रग्रहण सदी का सबसे लंबा चंद्र गहण होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण की अवधि लगभग 103 मिनट होगी। भारत में यह चंद्रग्रहण आज रात 11 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 28 जुलाई की सुबह 3 बजकर 49 मिनट तक चलेगा। 28 जुलाई की रात 1 बजकर 55 मिनट पर चांद सबसे गहरे रंग का दिखाई देगा। बता दें इतना लंबा चंद्र ग्रहण 104 साल बाद हो रहा है। चंद्रग्रहण पौने चार घंटे का होगा। भारत में यह आंशिक और पूर्ण ग्रहण दिखाई देगा। आपको बता दें इस साल 31 जनवरी साल का पहला चंद्र ग्रहण हुआ था। जिसमें करीब 1 घटे 16 मिनट का खग्रास था। उस दौरान चंद्रग्रहण को आसानी से देखा गया था। चंद्र ग्रहण से पहले सूतक दोपहर 2 बजे से शुरू हो जाएंगे। ज्योतिषियों के मुताबिक चंद्रग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा नुकीली चीजों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अंटार्टिका में भी देखा जा सकेगा। इससे पहले इतना लंबा चंद्र ग्रहण 16 जुलाई साल 200 में लगा था। तब भी यह ग्रहण 1 घंटे 46 मिनट की अवधि का था। 27 जुलाई को एक विशेष घटना और होने जा रही है। चंद्र ग्रहण की रात मंगल पृथ्वी के सबसे करीब होगा, जिससे यह चमकीला नजर आएगा।
27 जुलाई को होगा दूसरा चंद्रग्रहण, इन जरूरी बातों का रखें ध्यान:
कब होता है चंद्रग्रहण – चंद्र ग्रहण एक खगोलिय घटना है। यह उस वक्त होता है जब सूर्य और चांद के बीच धरती आ जाएं। विज्ञान में इस घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी की वजह से चांद पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी रुक जाती है। इसी को चंद्रग्रहण कहते हैं।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 16 जुलाई साल 2000 में सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ था। यह इस बार के पूर्ण चंद्र ग्रहण से चार मिनट ज्यादा लंबा था। साल 2000 के चंद्र ग्रहण की दुनियाभर में खूब चर्चा हुई थी। लाखों की ताताद में लोगों ने इसका दर्शन किया था।
बता दें कि सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है, जबकि चंद्र ग्रहण के वक्त पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। दरअसल पृथ्वी की छाया चंद्रमा की छाया से बहुत ज्यादा बड़ी होती है। इस स्थिति में सूर्य ग्रहण के मुकाबले चंद्र ग्रहण अधिक लंबे समय बना रहता है।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो दोपहर और मध्यरात्रि का ग्रहण सबसे प्रभावशाली और लंबा होता है। मालूम हो कि इस बार का चंद्र ग्रहण रात के समय में लग रहा है। वहीं, खगोल शास्त्र के जानकारों का कहना है कि करीब 150 साल बाद ऐसा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 54 मिनट 33 सेकंड बताई जा रही है।
ज्योतिष शास्त्र के जानकारों का मानना है कि ग्रहण का प्रभाव विभिन्न राशि के जातकों पर भी पड़ता है। सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि ग्रहण का असर ज्यातादर के लिए नकारात्मक होता है। इस चंद्र ग्रहण की बात करें तो यह वृषभ, मिथुन, तुला, वृश्चिक, कुम्भ और मीन राशि वालों के लिए लाभकारी होगा।
बता दें कि इससे पहले 31 जनवरी को साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण पड़ा था। उस वक्त तीन खगोलीय नजारे (पूर्ण चंद्र ग्रहण, ब्लू मून और सुपर मून) एक साथ दिखाई दिए थे। जनवरी में लगने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में 174 साल बाद दिखाई दिया था। खगोलविदों के अनुसार यह भारत में 31 मई, 1844 को देखा गया था।
बता दें कि भारत में पूर्णकालिक चंद्र ग्रहण पूरी तरह से दिखाई देगा। यह 11:44 बजे शुरू होकर 11.54 बजे तक अंशकालिक ग्रहण लगेगा। वहीं, पूर्णकालिक ग्रहण रात 1:00 बजे शुरू होगा। खगोल विज्ञाने के जानकारों के अनुसार 1:51 पर चंद्रमा पर पूर्ण ग्रहण लगेगा। 2:43 बजे पूर्णकालिक ग्रहण खत्म हो जाएगा। जबकि आंशिक ग्रहण दोबारा 3:49 बजे शुरू होगा और 4:58 बजे ग्रहण खत्म हो जाएगा।
चंद्र ग्रहण के नौ घंटे पहले ही सूतक लग जाता है। सूतक के समय भोजन आदि ग्रहण नहीं करने की मनाही है। इसके साथ ही जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखा हो उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए। इससे पानी की शुद्धता बने रहने की मान्यता है।
उल्लेखनीय है कि साल 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को पड़ा था। यह 152 साल बाद ऐसा चंद्र ग्रहण था, जो 77 मिनट तक के लिए देखा गया था। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान चांद 30 फीसदी ज्यादा चमकीला था। इस प्रकार से यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना थी।
सूर्य ग्रहण को देखने के लिए खास चश्मों की जरूरत पड़ती है। हालांकि चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। मालूम हो कि सूर्य ग्रहण के लिए खास सोलर फिल्टर वाले चश्में मिलते हैं। इन्हें सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस कहा जाता है। लेकिन चंद्र ग्रहण के लिए इनकी जरूरत नहीं होती।
27 जुलाई को लगने वाले चंद्र ग्रहण के दौरान चांद पृथ्वी से अपनी सर्वाधिक दूरी पर होगा। इस घटना को अपोगी कहा जाता है। इस स्थिति में पृथ्वी से चांद की अधिकतम दूरी 4,06,700 किलोमीटर होती है। इसे लेकर खगोल शास्त्र के जानकारों में उत्सुकता काफी बढ़ गई है।