साल का पहला चंद्र ग्रहण 15-16 मई को लगने जा रहा है। 16 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण संपूर्ण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस वजह से सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। साल का पहला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और विशाखा नक्षत्र में लगेगा। वृश्चिक राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
ज्योतिष गणना के अनुसार, यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जो भारत में नहीं दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण के दिन ही बुद्ध पूर्णिमा भी पड़ रही है। इसके अलावा चंद्र ग्रहण के साथ दो शुभ संयोगों का भी निर्माण हो रहा है। चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…
मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान निकल रही किरणों से गर्भ में पल रहे शिशु पर नकारात्मक असर पड़ता है और इससे बच्चे में कई तरह की शारीरिक विकृतियां जैसे क्लेफ्ट लिप (कटे हुए होंठ) या सुंदर ना दिखे वाले बर्थ मार्क हो सकते हैं। इसलिए ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जो गर्भवती है तो उन्हें चंद्र ग्रहण के दौरान क्या कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है।
ग्रहण कोई भी हो सबसे पहले सावधानी तो यही है कि किसी भी तरह से ग्रहण की किरणों के संपर्क में न आयें। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। मान्यतानुसार ग्रहण की किरणों का सीधा प्रभाव गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे पर होता है। इसके अलावा ग्रहण की अवधि के दौरान किसी भी तरह की यात्रा करने से बचें।
ग्रहण की अवधि के दौरान कोई भी नुकीली चीज़ें जैसे चाकू, कैची,या सुई आदि का इस्तेमाल करने से बचें। इसके साथ ही महिलाओं को पैर मोड़कर नहीं बैठना या लेटना चाहिए। मान्यतानुसार जन्म के बाद बच्चे में कोई न कोई शारीरिक विकार देखने को मिल सकता है।
इसके अलावा आमतौर पर देखा गया है कि ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं के शरीर में कुछ हार्मोनल बदलाव आने लगते हैं जैसे बहुत ज़्यादा बेचैनी होना, पसीना आना और कमजोरी हो सकती है। साथ ही ग्रहण के बाद स्नान अवशय करना चाहिए। माना जाता है कि ग्रहण के दौरान चांद का गुरुत्वाकर्षण बहुत ज्यादा हो जाता है ऐसे में कोशिश करें कि यदि आप गर्भवती है तो भूल से भी ग्रहण ना देखें।