5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत समेत यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह ग्रहण, ग्रहण न होकर चंद्र ग्रहण की उपछाया होगा। जिसे वास्तविक ग्रहण नहीं माना जाता। जिस कारण इस ग्रहण में सूतक के नियम भी मान्य नहीं होते। लेकिन जो लोग हर तरह के ग्रहण को गंभीरता से लेते हैं वो सूतक काल को भी मानेंगे। बता दें, चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
ग्रहण का सूतक काल समय: 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण 3 घंटे 18 मिनट का होगा। यह एक पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण होगा। यह चंद्र ग्रहण 5 जून की रात 11:16 बजे से शुरू होगा, रात 12:54 बजे इसका सबसे ज्यादा असर दिखाई देगा और 6 जून 02:34 बजे इसकी समाप्ति हो जायेगी। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
क्या होता है पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण: पेनुमब्रल को उपच्छाया चंद्र ग्रहण भी कहते हैं। जो उस स्थिति में बनता है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया मात्र पड़ती है। ऐसा तब होता है जब चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में न आकर उसकी उपच्छाया से ही वापस लौट जाता है। वास्तविक चंद्र ग्रहण की तरह इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद के आकार पर कोई असर नहीं पड़ता और ना ही चंद्रमा का कोई भाग ग्रस्त होता दिखाई देता है। लेकिन चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया नजर आती है। ये ग्रहण विशेष तरह के उपकरणों से ही आसानी से समझा जा सकता है।
ग्रहण के दौरान भूलकर भी न करें ये काम: ग्रहण काल का सूतक लगते ही खाना-पीना नहीं चाहिए। इस समय कोई भी शुभ कार्य, यहां तक की भगवान की सामान्य पूजा-आरती भी नहीं की जाती। मंदिर के कपाट इस दौरान बंद कर दिए जाते हैं। सूतक लगने के बाद से ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं, जिसका बुरा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है। साथ ही गर्भवती स्त्रियों को धार वाली किसी भी वस्तु का प्रयोग इस दौरान नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान कई तरह के नकारात्मक उर्जाओं का उत्सर्जन होता है। चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभावों को नष्ट करने के लिए अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के बाद चंद्र ग्रहण के पश्चात चावल और सफेद तिल का दान करें। बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और गरीबों में दान करें। इससे अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलेगी।
चंद्रग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए सोमवार को केसर की खीर कन्याओं को खिलाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा शिवजी की पूजा करने एवं चावल दान करने को भी कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। कुल, आंशिक और पेनुमब्रल यानी उपछाया। ये चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। ये ग्रहण अब एक महीने बाद जो 5 जुलाई को लगेगा।
मीन राशि के जातकों के खर्चे पहले से कहीं अधिक बढ़ रहे हैं, जो उनकी चिंता का कारण बन सकती है। आंखों, सिर या रक्त से जुड़ी समस्या आपके खर्चों का कारण बन सकती है। स्वास्थ्य सेवाओं में या बीमा पॉलिसी में आपके ख़र्चे बढ़ेंगे।
भारतीय समय के अनुसार ये ग्रहण रात 11:16 बजे से शुरू होने जा रहा है जिसकी समाप्ति 6 जून 02:32 AM पर होगी। रात 12:54 पर ग्रहण अपने पूर्ण प्रभाव में होगा। खास बात ये है कि भारत के लोग भी इस ग्रहण को देख पायेंगे। इस दौरान चांद के आकार में कोई अंतर नहीं आएगा।
Chandra Grahan 2020: चंद्रग्रहण के दौरान बुजुर्गों और गरीबों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के अनौतिक कार्य करने से दूर रहना चाहिए। ऐसा करने से शनि महाराज की कुदृष्टि पड़ती है।
ग्रहण का स्पर्श रात 11 बजकर 16 मिनट पर हो जाएगा। ग्रहण मध्य 12 बजकर 55 मिनट पर होगा जो रात 2 बजे 34 मिनट पर चांद ग्रहण मुक्त हो जाएगा।
सूतक काल के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है। - जब भी सूतक लगता है तो उस दौरान भगवान की मूर्तियों न तो छुआ जाता और न ही पूजा होती है। इस दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।- सूतक के समय भगवान का ध्यान और मंत्रों का जप करने से ग्रहण का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।- सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
चंद्र ग्रहण लगने में अब कुछ ही पल की देरी है। ग्रहण से पहले आप आसमान में इस समय खूबसूरत चांद के दीदार कर सकते हैं। कहीं-कहीं बादलों संग चांद लुका-छिपी का खेल रहा है। चंद्र ग्रहण आज रात 11 बजकर 15 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा। आप ये नजारा रात के 2 बजकर 34 मिनट तक देख सकते हैं। कुल मिलाकर देखा जाय तो आप चंद्र ग्रहण का ये नजारा 3 घंटे 18 मिनट देख सकते हैं।
ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है। वहीं, ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की वास्तविक छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया ही पड़ती है। जिससे इस दौरान चंद्रमा की आकृति में कोई परिवर्तन न आकर उसकी छवि कुछ धुंधली नजर आने लगती है। जिससे चांद सामान्य से थोड़ा गहरे रंग का दिखाई देता है। जबकि पूर्ण चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की वास्तिवक छाया में आता है। इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं लगता।
ग्रहण का सूतक: चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान सभी तरह के शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। यहां तक कि सूतक काल में भगवान की मूर्तियों को स्पर्श करना भी मना होता है। मंदिरों के कपाट भी ग्रहण के सूतक काल में बंद कर दिये जाते हैं। सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण के सूतक काल में ज्यादा समय तक नहीं सोना चाहिए। धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए।
5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण 3 घंटे 18 मिनट का होगा। यह एक पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण होगा। यह चंद्र ग्रहण 5 जून की रात 11:16 बजे से शुरू होगा, रात 12:54 बजे इसका सबसे ज्यादा असर दिखाई देगा और 6 जून 02:34 बजे इसकी समाप्ति हो जायेगी। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
आपकी आर्थिक परिस्थिति पहले से बेहतर रहेगी। जो लोग अपने स्थान के बाहर काम करते हैं उनको आर्थिक लाभ मिलेगा. पहले किए गए पूजापाठ से लाभ होगा. आपके लिए समय ठीक है
जनवरी में पहला चंद्र ग्रहण लगा था। इस साल कुल 6 ग्रहण लगने वाले हैं। लेकिन ज्योतिषी मानते हैं कि 1 साल में 3 से ज्यादा ग्रहण का लगना किसी भी तरह से सही नहीं होता है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून और 14-15 दिसंबर 2020 को लगेगा। वहीं 05 जून व 05 जुलाई और 30 नवंबर 2020 को भी ग्रहण लगने वाले हैं।
वृषभ राशि के जातकों को आर्थिक तौर पर यह ग्रहण कई सफलताओं से नवाज सकता है। आपको पैत्रिक संपत्ति द्वारा भी लाभ मिलेगा और अपनी वाणी द्वारा और सही निर्णय द्वारा धन लाभ प्राप्त करेंगे।
इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। क्योंकि ये एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष अनुसार इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता। जिस कारण न तो ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा और न ही किसी भी तरह के काम करने में कोई पाबंदी होगी।
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है। इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना। यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता। उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है। यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी है।
चंद्रमा मन का कारक है इस लिए जब ये ग्रसित होता है तो लोगों के मन में नकारात्मक विचार जरूर आते हैं। ग्रहणकाल के दौरान हर किसी को अपने चंद्रमा को बलवान करके की कोशिश जरूर करनी चाहिए। इससे मन पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं आ पाएगा। अपने आपको शुद्ध और पवित्र बनाए रखें।
माना जाता है कि ग्रहण के दौरान सोने से व्यक्ति रोगी होता है। मल त्यागने से पेट में कृमि रोग, मालिश या उबटन लगाने से कुष्ठ रोग और स्त्री प्रसंग से अगले जन्म में सूअर की योनि मिलती है।
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। जो तब घटित होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में स्थित रहें। तो वहीं उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान चंद्रमा पेनुम्ब्रा से हो कर गुजरता है। ये पृथ्वी की छाया का बाहरी भाग होता है। इस दौरान, चंद्रमा सामान्य से थोड़ा गहरा दिखाई देता है।
इस महीने में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों ही लगने वाले हैं। पांच जून को यानी आज चंद्र ग्रहण लगेगा और इसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा योग 1962 में बना था। जब शनि मकर राशि में वक्री था। इस बार भी वही योग बन रहा है। ज्योतिषियों ने बताया कि इस बार हिंदी पंचांग के अनुसार एक ही माह में तीन ग्रहण होने वाले हैं। इसमें पांच जून को चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और पांच जुलाई को फिर से चंद्र ग्रहण होगा।
चंद्र ग्रहण का प्रारंभ – 5 जून की रात को 11 बजकर 15 मिनट से
परमग्रास चन्द्र ग्रहण – 6 जून को दिन के 12 बजकर 54 मिनट पर
उपछाया चंद्र ग्रहण से अन्तिम स्पर्श – 2 बजकर 34 मिनट पर
चंद्र ग्रहण का कुल समय – 3 घंटे और 18 मिनट
उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की वास्तविक छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया ही पड़ती है। जिससे इस दौरान चंद्रमा की आकृति में कोई परिवर्तन न आकर उसकी छवि कुछ धुंधली नजर आने लगती है। जिससे चांद सामान्य से थोड़ा गहरे रंग का दिखाई देता है। जबकि पूर्ण चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की वास्तिवक छाया में आता है। इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं लगता।
5 जून यानी की आज रात को लगने वाले चंद्र ग्रहण को इसलिए स्ट्रोबेरी मून कहा जा रहा है। क्योंकि यह मौसम स्ट्रोबेरी की फसल कटाई का वक्त होता है और इस वजह से चंद्र ग्रहण को स्ट्रॉबेरी मून (Strawberry Moon in June 2020) का नाम दिया गया है।
साल का पहले पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी 2020 को लग चुका है। दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून को यानी आज रात में लगने जा रहा है। यह एक उपछाया ग्रहण होगा जो भारत समेत एशिया, अफ्रीका और यूरोप में नजर आएगा। इसके 15 दिन बाद यानी 21 जून को तीसरा चंद्र ग्रहण लगेगा। इस ग्रहण की भारत समेत सऊदी, साउथ-ईस्ट और एशिया में भी पूर्ण रूप से नजर आने की संभावना है। इसके बाद चंद्र ग्रहण 5 जुलाई को लगेगा लेकिन यह भारत में नजर नहीं आएगा। यह साउथ ईस्ट समेत अफ्रीका और अमेरिका में नजर आ सकता है।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। यह स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा पर पृथ्वी की वास्तविक छाया न पड़कर केवल उसकी उपच्छाया ही पड़ती है। जिससे इस दौरान चंद्रमा की आकृति में कोई परिवर्तन न आकर उसकी छवि कुछ धुंधली नजर आने लगती है। जिससे चांद सामान्य से थोड़ा गहरे रंग का दिखाई देता है। जबकि पूर्ण चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पृथ्वी की वास्तिवक छाया में आता है। इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं लगता।
आज ज्येष्ठ पूर्णिमा है। चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे। जिस कारण इस राशि के जातकों पर इस ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को अपना विशेष ध्यान रखने की ज्योतिषी सलाह देते हैं। जानिए उपच्छाया चंद्र ग्रहण का किस राशि पर क्या असर पड़ने वाला है...
इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। क्योंकि ये एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। ज्योतिष अनुसार इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता। जिस कारण न तो ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा और न ही किसी भी तरह के काम करने में कोई पाबंदी होगी।