ज्योतिष शास्त्र में चंद्रग्रहण को बहुत अधिक प्रभावित करने वाला माना जाता है। बताया जा रहा है कि साल का अंतिम चंद्रग्रहण 30 नवंबर, सोमवार के दिन परम पावन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा।
जानकारों के मुताबिक यह उपछाया चंद्रग्रहण है। माना जाता है कि अन्य चंद्रग्रहण के मुकाबले उपछाया चंद्रग्रहण का प्रभाव मनुष्यों के जीवन पर बहुत कम पड़ता है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में उपछाया ग्रहण के दौरान बहुत अधिक सावधानियां बरतने के लिए नहीं कहा जाता है।
चंद्रग्रहण की तिथि और समय (Chandra Grahan Ki Tithi Aur Samay)
30 नवंबर, सोमवार को पड़ने वाला ग्रहण साल का आखिरी चंद्रग्रहण है। जानकारों की मानें तो यह ग्रहण भारत में दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो जायेगा और शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। जबकि, दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर यह चंद्रग्रहण चरम पर होगा। उपछाया चंद्रग्रहण का प्रभाव कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक भारत में रहेगा।
ज्योतिष शास्त्र के विशेषज्ञों का मानना है कि चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि चंद्रमा क्षितिज से नीचे की ओर होगा इसलिए भारत में रहने वाले लोग इसे नहीं देख पाएंगे। ऐसी मान्यता है कि ग्रहों की चाल के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार की स्थिति बन सकती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि ग्रहों की चाल को समझते हुए ही कोई कार्य किया जाए।
बताया जाता है कि ग्रहण के दौरान बनाए हुए खाने में ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा शामिल हो जाती है जिससे उस भोजन को खाने वाले लोगों को रोगों और दोषों की शिकायत हो सकती है। जानकारों का मानना है कि ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद साफ पानी से स्नान कर घर का मंदिर धोना चाहिए। फिर मंदिर में ईश्वर के निमित्त ज्योत जलाकर आरती करनी चाहिए।
साथ ही, अगर संभव हो तो दान के बाद अन्न दान जरूर करें। शास्त्रों में कहा गया है कि इस प्रकार का दान ब्राह्मणों को ही देना चाहिए। अगर ऐसा संभव ना हो पाए तो आप यह दान गरीब या जरूरतमंदों को भी दे सकते हैं क्योंकि धार्मिक पुस्तकों में यह भी बताया जाता है कि ईश्वर हर एक प्राणी में वास करते हैं वो किसी भी जीवात्मा में कम या ज्यादा मात्रा में नहीं होते हैं।
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हैदराबाद में न तो ये चंद्र ग्रहण दिखाई देगा और न ही इसका प्रभाव होगा। हालांकि धार्मिक मान्यताओं को महत्व देने वाले ग्रहण काल में मांगलिक कार्य से परहेज करेंगे।
चंद्रग्रहण का समापन शाम 5 बजकर 22 मिनट पर हुआ। ग्रहण लगने से उसकी नकारात्मक ऊर्जा भी घर में प्रवेश कर जाती है। ऐसे में घर का शुद्धिकरण भी ग्रहण के पश्चात् अवश्य करना चाहिए। पूरे घर में गंगा जल झिड़कें। ऐसा करने से ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।
बता दें कि विद्वानों का मानना है कि यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है। यहां उपच्छाया का अर्थ यह बताया गया है कि चंद्रमा की केवल छाया ही पृथ्वी पर आ पाएगी, इसी छाया की वजह से इस ग्रहण को उपच्छाया चंद्रग्रहण कहा जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण का बहुत अधिक प्रभाव मानव जीवन पर नहीं पड़ता है। इसलिए ही इस ग्रहण को अधिक प्रभावशाली नहीं माना जाता है। कहते हैं कि इस प्रकार का ग्रहण देश और दुनिया पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं डालता है।
साल 2020 में 3 बार चंद्रग्रहण लग चुका है। यह साल का चौथा और आखिरी चंद्रग्रहण है। विद्वानों ने मुताबिक यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है यानी इसका असर बहुत अधिक नहीं पड़ेगा।
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्रियों को किसी भी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इनमें चाकू, कैंची, सूई और तलवार आदि शामिल हैं। साथ ही इस दौरान सोना, खाना, पीना, नहाना और किसी की बुराई करने पर भी पाबंदी होती है।
दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर चंद्रग्रहण का प्रभाव शुरू हो जायेगा और शाम 05 बजकर 22 मिनट तक कायम रहेगा। जबकि, इस दौरान दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर यह चंद्रग्रहण अपने चरम पर होगा। उपच्छाया चंद्रग्रहण का प्रभाव कुल 04 घंटे 18 मिनट और 11 सेकंड तक भारत में रहेगा।
साल के अंतिम चंद्रग्रहण को इसलिए खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती हैं। साथ ही इस दिन चंद्रग्रहण दिन में लगने वाला है।
चंद्र ग्रहण के दौरान पानी पीने से भी बचना चाहिए. अगर आप बीमार हैं या आप गर्भवती हैं तो आप हल्का गर्म पानी पी सकते हैं. इसमें तुलसी का पत्ता डालकर जूस पी सकते हैं. इसके साथ ही अगर आप सादा पानी नहीं पीना चाहते तो नारियल का पानी पी सकते हैं. सबसे बेहतर यह होगा कि आप ग्रहण से पहले ही अच्छी मात्रा में पानी पी लें.
ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ग्रहण की छाया आदि से विशेष रूप से बचना चाहिए. क्योंकि ग्रहण की छाया का कुप्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ने का डर रहता है. इसके अलावा बुजुर्ग और पीड़ित व्यक्ति को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए
बता दें कि कुल तीन तरह के चंद्र ग्रहण होते हैं। पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण, दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण और तीसरा उपछाया चंद्र ग्रहण और इस बार उपछाया चंद्र ग्रहण है।
ग्रहण को नग्न आंखों से देखने का भी परहेज करना चाहिए. ग्रहण के समय भोजन करने और बनाने दोनों से बचना चाहिए. ग्रहण के बाद स्नान करने से उसका प्रभाव कम हो जाता है
दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर चंद्रग्रहण का प्रभाव शुरू हो जायेगा और शाम 05 बजकर 22 मिनट तक कायम रहेगा। जबकि, इस दौरान दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर यह चंद्रग्रहण अपने चरम पर होगा। उपच्छाया चंद्रग्रहण का प्रभाव कुल 04 घंटे 18 मिनट और 11 सेकंड तक भारत में रहेगा।
बताया जाता है कि ग्रहण के दौरान बनाए हुए भोजन में ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा शामिल हो जाती है जिससे उस भोजन को खाने वाले लोगों को रोगों और दोषों की शिकायत हो सकती है। जानकारों का मानना है कि ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद साफ पानी से स्नान कर घर का मंदिर धोना चाहिए। फिर मंदिर में ईश्वर के निमित्त ज्योत जलाकर आरती करनी चाहिए।
दान गरीब या जरूरतमंदों को भी दे सकते हैं क्योंकि धार्मिक पुस्तकों में यह भी बताया जाता है कि ईश्वर हर एक प्राणी में वास करते हैं वो किसी भी जीवात्मा में कम या ज्यादा मात्रा में नहीं होते हैं।
ग्रहण काल के समय भोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक माना गया है। घर में पके हुए भोजन में सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता है।
संभव हो तो दान के बाद अन्न दान जरूर करें। शास्त्रों में कहा गया है कि इस प्रकार का दान ब्राह्मणों को ही देना चाहिए। अगर ऐसा संभव ना हो पाए तो आप यह दान गरीब या जरूरतमंदों को भी दे सकते हैं क्योंकि धार्मिक पुस्तकों में यह भी बताया जाता है कि ईश्वर हर एक प्राणी में वास करते हैं वो किसी भी जीवात्मा में कम या ज्यादा मात्रा में नहीं होते हैं।
पहला होता है कुल चंद्रग्रहण,
दूसरा आंशिक, और
तीसरा पेनुमब्रल या उपच्छाया चंद्रग्रहण
30 नवंबर, सोमवार को पड़ने वाला ग्रहण साल का आखिरी चंद्रग्रहण है। जानकारों की मानें तो यह ग्रहण भारत में दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो जायेगा और शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। जबकि, दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर यह चंद्रग्रहण चरम पर होगा। उपछाया चंद्रग्रहण का प्रभाव कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक भारत में रहेगा।
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण का बहुत अधिक प्रभाव मानव जीवन पर नहीं पड़ता है। इसलिए ही इस ग्रहण को अधिक प्रभावशाली नहीं माना जाता है। कहते हैं कि इस प्रकार का ग्रहण देश और दुनिया पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं डालता है।
बताया जाता है कि ग्रहण के दौरान बनाए हुए भोजन में ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा शामिल हो जाती है जिससे उस भोजन को खाने वाले लोगों को रोगों और दोषों की शिकायत हो सकती है। जानकारों का मानना है कि ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद साफ पानी से स्नान कर घर का मंदिर धोना चाहिए। फिर मंदिर में ईश्वर के निमित्त ज्योत जलाकर आरती करनी चाहिए।
कार्तिक मास के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रग्रहण लगने वाला है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक 30 नवंबर, सोमवार के दिन यह चंद्रग्रहण लगेगा।
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण का बहुत अधिक प्रभाव मानव जीवन पर नहीं पड़ता है। इसलिए ही इस ग्रहण को अधिक प्रभावशाली नहीं माना जाता है। कहते हैं कि इस प्रकार का ग्रहण देश और दुनिया पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं डालता है।
कहते हैं कि चंद्रग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए वरना चंद्रग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को सहना पड़ सकता है। चंद्रग्रहण में इस बात का खास ख्याल रखें कि आप और आपके परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखे और ना ही चांद की रोशनी में बैठे।
ये चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है जो भारत में दिखाई नहीं देगा। शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है। इसलिए ना तो यहां सूतक काल माना जाएगा और ना ही किसी तरग के कार्यों पर पाबंदी होगी।
कार्तिक पूर्णिमा संध्या पूजा का मुहूर्त - 30 नवंबर, सोमवार - शाम 5 बजकर 13 मिनट से शाम 5 बजकर 37 मिनट तक।
बताया जाता है कि ग्रहण के दौरान बनाए हुए भोजन में ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा शामिल हो जाती है जिससे उस भोजन को खाने वाले लोगों को रोगों और दोषों की शिकायत हो सकती है। जानकारों का मानना है कि ग्रहण की अवधि खत्म होने के बाद साफ पानी से स्नान कर घर का मंदिर धोना चाहिए। फिर मंदिर में ईश्वर के निमित्त ज्योत जलाकर आरती करनी चाहिए।
30 नवंबर, सोमवार को पड़ने वाला ग्रहण साल का आखिरी चंद्रग्रहण है। जानकारों की मानें तो यह ग्रहण भारत में दोपहर 01 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो जायेगा और शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। जबकि, दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर यह चंद्रग्रहण चरम पर होगा। उपछाया चंद्रग्रहण का प्रभाव कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक भारत में रहेगा।
ये चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है जो भारत में दिखाई नहीं देगा. शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है. इसलिए ना तो यहां सूतक काल माना जाएगा और ना ही किसी तरग के कार्यों पर पाबंदी होगी
कुछ विद्वानों का मानना है कि उपच्छाया चंद्रग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है। इसलिए ना तो भारत में सूतक काल माना जाएगा और ना ही किसी कार्य को करने की पाबंदी होगी।
पहला होता है कुल चंद्रग्रहण,
दूसरा आंशिक, और
तीसरा पेनुमब्रल या उपच्छाया चंद्रग्रहण
ग्रहण के दौरान बाहर निकलने वाली गर्भवती महिलाओं पर ग्रहण का बुरा प्रभाव पड़ता है। खासकर गर्भस्थ शिशु पर इसका ज्यादा गंभीर प्रभाव पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला घर से बाहर निकलती तो बच्चे दिव्यांग हो सकते हैं।
चंद्र ग्रहण के शुरु होने से 9 घंटे पहले सूतक (Sutak Kaal)लग जाता है. हालांकि ये चंद्र ग्रहण एक उपछाया ग्रहण है और ये भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (Last lunar eclipse of 2020) एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. ये चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा
कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर सोमवार को है। ये कार्तिक महीने का आखिरी दिन होता है। स्नान और दान के लिहाज से यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। सर्वार्थसिद्धि योग व वर्धमान योग इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन रहेंगे। ये दो शुभ संयोग इस पूर्णिमा को औऱ भी खास बना रहे हैं।
कहते हैं कि चंद्रग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए वरना चंद्रग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को सहना पड़ सकता है। चंद्रग्रहण में इस बात का खास ख्याल रखें कि आप और आपके परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखें और ना ही चांद की रोशनी में बैठें। कहते हैं कि इससे चंद्रग्रहण के दौरान चांद को होने वाले कष्ट का असर आपके जीवन में आ सकता है।
ग्रहण से कई धार्मिक पहलू जुड़े हुए हैं। ग्रहण के दौरान कर्मकांड का भी प्रावधान है। लेकिन अगर चंद्र ग्रहण आपके शहर में दिखाई ना दे रहा हो लेकिन दूसरे देशों अथवा शहरों में दर्शनीय हो तो कोई भी ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड नहीं किया जाता है। लेकिन अगर मौसम की वजह से चन्द्र ग्रहण दर्शनीय न हो तो ऐसी स्थिति में चन्द्र ग्रहण के सूतक का अनुसरण किया जाता है।
विद्वानों का कहना हैं कि यह उपच्छाया ग्रहण (Upchhaya Chandra Grahan) है इसमें किसी विशेष ग्रह पर केवल चंद्रमा की परछाई आती है। अबकी बार चंद्रग्रहण वृष राशि और रोहिणी नक्षत्र में लगेगा। विशेषज्ञों की मानें तो भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और एशिया में यह चंद्रग्रहण दिखाई दे सकता है।