27 जुलाई यानी शुक्रवार को 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण हुआ। करीब 103 मिनट हुए ग्रहण में दुनियाभर में लोगों ने चंद्रग्रहण देखा। इस दौरान अलग-अलग जगहों से चंद्रग्रहण की तस्वीरें देखने को मिली। इस प्रकार से यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना पूरी हुई है। भारत के लोग में इस चंद्र ग्रहण का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यह चंद्र ग्रहण भारत के अलावा कई देशों में भी दिखा। बता दें कि भारत में चंद्रग्रहण दिखना यानी सूतक का प्रभाव भारत में भी रहेगा। ऐसे में भारत के लोग इस चंद्र ग्रहण को लेकर कुछ ज्यादा ही सजग नजर आ रहे हैं। आपको बता दें इस साल 31 जनवरी साल का पहला चंद्र ग्रहण हुआ था। जिसमें करीब 1 घटे 16 मिनट का खग्रास था। उस दौरान चंद्रग्रहण को आसानी से देखा गया था। मालूम हो कि यह चंद्रग्रहण साल 2001 से लेकर साल 2100 तक का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा। अब ऐसा चंद्रग्रहण साल 2123 में नजर आएगा।बता दें कि चंद्र ग्रहण उस स्थिति को कहा जाता है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा उस वक्त हो सकता है जब सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में हों। इस कारण चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा तिथि को ही घटित होता है। चंद्र ग्रहण का प्रकार और अवधि चंद्र संधियों के सापेक्ष चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं। खास बात यह है कि यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना तो है लेकिन साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण का प्रभाव लोगों की कुंडली और उनकी राशियों पर भी पड़ता है। इसका ज्यादातर प्रभाव नकारात्मक होता है लेकिन कुछ राशि के जातकों को इसका लाभ भी मिलने की मान्यता है।
चंद्रग्रहण एक आकाशीय घटना है जिसमें चांद और सूर्य के बीच पृथ्वी के आ जाने से सूर्य का प्रकाश चांद पर नहीं पड़ता है, जिससे चांद धरती पर दिखाई नहीं देता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह एक अशुभ घटना है और इसकी छाया से बचने के लिए लोग ग्रहण के बाद स्नान-दान करते हैं। लेकिन अब ज्ञान-विज्ञान का प्रसार होने से चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण संबंधी भ्रांतियां कम हुई हैं। हालांकि, कई लोग आज भी मानते हैं कि इस खगोलीय घटना से स्वास्थ्य और व्यापार पर असर होता है इसलिए वे दान और पुण्य के कार्य करते हैं।
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जब चांद पूरी तरह से धरती की आभा में ढक जाता है। ऐसे में भी सूरज की 'लाल' किरणें 'स्कैटर' होकर चंद्रमा तक जाती हैं। जिसे ब्लड मून (लाल चांद) कहा जाता है।
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पृथ्वी की छाटा और स्पेस के वातावरण की वजह से ब्लड मून ऑरेंज मून नजर आ रहा है। इसके अलावा मौसम की वजह से भी लाल की बजाए चंद्रमा नारंगी नजर आ रहा है।
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(Source: YOUTUBE NASA TV)
प्रकृति पर होने वाले ऐसे परिवर्तन जागे हुए लोगों पर अधिक प्रभाव नहीं डालतीं। चंद्रग्रहण के दौरान जागे रहना या ध्यान करना शरीर और दिमाग के लिए लाभकारी होता है।
21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण फिलहाल पूर्ण रूप में नजर आ रहा है। हालांकि कई जगहों पर यह लाल रंग में दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसा मौसम की वजह से हो रहा है। क्योंकि कई जगह पर बरसात का मौसम है तो बड़े शहरों में प्रदूषण की वजह से भी चांद लाल रंग का नहीं दिख रहा है।
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सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण शुरू हो चुका है। इस 'ब्लड मून' के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि तारों और सितारों के शौकीनों को इस नजारे के लिए कोई एहतियात बरतने की जरूरत नहीं है। वे नंगी आंख से इसका नजारा देख सकते हैं।
अबू धाबी में कुछ ऐसा दिखा ब्लड मून का नजारा।(Source: REUTERS )
इस बार का फुल मून या ब्ल मून पहले के मुकाबले अधिक दूरी पर है, इसी वजह से इस बार सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा।
थोड़ी देर में चंद्रग्रणह शुरू होने वाला है। दुनियाभर में लोग इसे देखने के लिए उत्साही हैं। वहीं नासा मून ने ट्विट कर जानकारी दी है कि ग्रहण के दौरान वैज्ञानिकों से सवाल पूछे जा सकते हैं।
खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोग हों या आम लोग सभी इस चंद्रग्रहण को लेकर काफी उत्साही हैं। चंद्रग्रहण में अभी समय बाकी है लेकिन दुनियाभर में इसे देखने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
सिंगापुर में चंद्रग्रहण देखने के लिए तैयार लोग।(Source: Reuters)
माना जाता है चंद्र ग्रहण प्रग्नेंट महिलाओं के लिए नुकसानदायक होता है। माना जाता है कि ग्रहण से गर्भ में पल रहे शिशु पर असर पड़ता है और उसमें शारीरिक विकृतियां जैसे फांक होठ (क्लैफ्ट लिप) या बदसूरत जन्मचिह्न हो सकते हैं।
And oh of course, this full Moon will also be the longest lunar eclipse of the century (partially due to its small apparent size). Do you have questions about it? #AskNASA today at 1 PM ET. pic.twitter.com/c2vRq1CVtx— NASA Moon (@NASAMoon) July 27, 2018
चंद्रग्रहण पर दान पुण्य करना चाहिए इसका अधिक लाभ मिलता है। इस दौरान सोने, चांदी और तांबे के नाग का काले तांबे की प्लेट में रखकर दान करना शुभ माना जाता है।
सूतक के समय भोजन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा पानी भी नहीं पीना चाहिए। ग्रहण से पहले ही जिस बर्तन में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते जरूर डाल दें।
सूर्य ग्रहण में सूतक का प्रभाव लगभग 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। वहीं, चंद्र ग्रहण में यह 9 घंटे पहले शुरू होता है। धार्मिक मान्यता के हिसाब से देखें तो ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में इस दौरान कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य करने के लिए मना किया जाता है।
चंद्रमा के पृथ्वी की ओट में आ जाने से चंद्र ग्रहण लगता है। इस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में आ जाती है। और फिर जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलने लगता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है। इसे एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है।
इस चंद्र ग्रहण को देखने के लिए टेलिस्कोप की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि एक अच्छे दूरबीन की मदद से इसे बेहतर ढंग से देखा जा सकता है। आप ऐसी जगह पर जा सकते हैं जहां से इसे साफ देखा जा सके। बता दें कि इस चंद्र ग्रहण को देखने का सर्वोत्तम रूप भारतीय समय के अनुसार 01:51 बजे सुबह में होगा।
चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन बनाने की भी मनाही है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को इस दौरान चाकू जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दौराना सिलाई व कढ़ाई करने के लिए भी मना किया गया है।मालूम हो कि चंद्र ग्रहण के दौरान शौच जाने के लिए भी मना किया जाता है।
मालूम हो कि 27 जुलाई, शुक्रवार को लगने वाला चंद्र ग्रहण उत्तरी अमरीका को छोड़कर पृथ्वी के अधिकांश भाग में देखा जा सकेगा। हालांकि संपूर्ण चंद्र ग्रहण यूरोप के अधिकांश भागों, मध्यपूर्व, मध्य एशिया और ऑस्ट्रेलिया में देखा जा सकता है। भारत में भी संपूर्ण चंद्र ग्रहण को देखा जा सकता है।
पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा की बीच पृथ्वी के आने से उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस स्थिति में चंद्रमा के छाया वाला भाग अंधकारमय हो जाता है। ऐसे में जब हम धरती से चंद्रमा को देखते हैं तो वह भाग हमें काला दिखाई देने लगता है। इसी वजह से इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के जानकारों का कहना है कि चंद्र ग्रहण के वक्त खुले आकाश में ना निकलें। इसका खासतौर से प्रेग्नेंट महिलाओं, बुजुर्गों, रोगियों और बच्चों को ध्यान रखने के लिए कहा जाता है। माना जाता है कि ग्रहण काल में नकारात्मक ऊर्जा वायुमंडल में फैली होती है जिसका सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
खगोल विज्ञान के जानकारों का कहना है कि प्रदूषण के कारण कुछ मैट्रो शहरों में ग्रहण को देख पाना आसान नहीं रहेगा। इसके साथ ही मॉनसून का समय होने के कारण हो सकता है कि चंद ग्रहण बादलों में छुपा हुआ दिखाई दे। हालांकि कुछ शहरों में चंद्र ग्रहण को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। आप चाहें तो इसे ऑनलाइन भी देख सकते हैं।
27 जुलाई 2018 की रात लगने वाला चंद्र ग्रहण 21वीं सदी का सबसे लंबा ग्रहण होगा। इसके बाद 9 जून 2123 में इतना लंबा चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। साल 2018 में कुल पांच ग्रहण होंगे, जिसमें से 3 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण होंगे। इस प्रकार से 27 जुलाई को साल 2018 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण है। ऐसे में इसे लेकर दिलचस्पी और भी बढ़ गई है।
ग्रहण स्पर्श कालः रात 11 बजकर 54 मिनट
खग्रास आरंभः मध्यरात्री 12 बजे
ग्रहण मध्यः देर रात 1 बजकर 52 मिनट
खग्रास समाप्तः देर रात 2 बजकर 43 मिनट
ग्रहण मोक्षः देर रात 3 बजकर 49 मिनट।
मीन - इस ग्रहण के प्रभाव से आपकी सुख- सुविधाओं में वृद्धि होगी। इस समय आपका आत्मबल भी काफी मजबूत रहेगा। आपके कार्य सफल होने की संभावना है।
कुंभ - आपको धन हानि हो सकती है। इससे आपको मानसिक तनाव हो सकता है। परिवार में अशांति रहेगा। वाद-विवाद से दूर रहें।
मकर - इस राशि के जातक के साथ दुर्घटना हो सकती है। इसलिए वाहन सावधानी से चलाएं, क्योंकि चोट लगने की संभावना है। सेहत का ख्याल रखें। तनाव ना लें और चिंता करने के बजाय खुद को कार्य में व्यस्त रखें।
धनु - आपको इस दौरान हानि भी हो सकती है। मानसिक तनाव बढ़ सकता है। सेहत का ख्याल रखें।
वृश्चिक - आपके लिए ग्रहण सकारात्मक असर लाएगा। इससे आपकी नौकरी और कारोबार में प्रगति होगी और धन लाभ होगा। कारोबार में प्रगति होगी।