वर्ष 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को माघ माह की पूर्णिमा के दिन दिखाई देगा। इस दिन 12 घंटे तक भगवान के दर्शन करना अशुभ जाएगा, जिस कारण से मंदिरों के पट बंद रहेंगे इस दौरान किसी भी तरह की पूजा नहीं की जा सकती है। ये चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा जिस कारण से इसे धार्मिक सूतक की मान्यता दी जाएगी। चंद्र ग्रहण की अवधि करीब 2 घंटे 43 मिनट तक रहेगी। ऐसे में पूर्णिमा तिथि की पूजा और स्नान-दान का पुण्य और मंदिर में भगवान विष्णु और शिव की उपासना के लिए सुबह 8 बजकर 28 मिनट तक ही विशेष समय माना जा रहा है।

ज्योतिषों के अनुसार 31 जनवरी को खग्रास चंद्रग्रहण है जो पूरे भारत में दिखाई देगा। सूतक का काल सुबह 10 बजकर 18 मिनट से शुरु हो जाएगा। ग्रहण का समय चंद्रोदय के साथ ही शुरु होगा। बालक, वृद्ध और रोगियों के लिए सूतक काल नहीं माना जाएगा। ग्रहण के समय मूर्ति स्पर्श, भोजन और नदी स्नान वर्जित माना जाएगा। इसी के साथ मंत्रों का जाप कई गुणा फलदायक माना जाएगा। ऊं क्षीरपुत्राय विह्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चंद्रः प्रचोदयात्।। चंद्रग्रहण के सूतक के दौरान इस मंत्र का जाप करना सबसे लाभकारी माना जाता है।

सूतक काल के समय किसी भी नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। भोजन ग्रहण करने और पकाने से दूर रहना ही लाभकारी माना जाता है। देवी-देवताओं और तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसी के साथ सूतक काल में ध्यान, भजन और ईश्वर की आराधना करना ही लाभकारी माना जाता है। ग्रहण के समाप्त होने के बाद गंगाजल से घर का शुद्धिकरण करना चाहिए और मंदिर की सफाई भी की जानी चाहिए। सूतक के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने और ग्रहण देखने से बचना चाहिए। ये बच्चे की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है और उसके अंगों को नुकसान पहुंचाता है।