कुशल राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में कई ऐसी बातें बताई हैं, जो आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य लोगों के व्यक्तित्व और समाज की गहराई से समझ रखते थे। उन्होंने अपने नीति शास्त्र में लोगों को सही जीवन जीने का सलीका सिखाया है। उनके नीति शास्त्र में दिए गए सुझाव भले ही आज के समय में लोगों को कठोर लगें, लेकिन उन्होंने अपनी बातों के जरिए मनुष्य को जीवन की सच्चाई से रूबरू करवाया है।

आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोकों के माध्यम से बताया कि जिन लोगों में ये 4 गुण होते हैं, वह सर्वश्रेष्ठ होते हैं। चाणक्य कहते हैं कि अगर व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होना है, तो उन्हें कुछ इन बातों को अपने जीवन में उतार लेना चाहिए।

स्वर्गस्थितानामिह जीवलोके चत्वारि चिह्नानि वसन्ति देहे।
दानप्रसङ्गो मधुरा च वाणी देवार्चनं ब्राह्मणतर्पणं च॥

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि “दान देने में रूचि रखना, मधुर वाणी बोलना, देवताओं की पूजा करना और ब्राह्मणों को संतुष्ट रखना। यह चार लक्षणों वाला व्यक्ति धरती में स्वर्ग की किसी आत्मा के समान होता है।”

दान देने वाला व्यक्ति: दान देने की भावना रखने वाला व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ होता है। ऐसे व्यक्ति धर्म का पालन करने वाले होते हैं। यह जिंदगी की सभी समस्याओं से भी बाहर निकल जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में दान देने का काफी महत्व है। मान्यता है कि जो व्यक्ति दान देते हैं, उनके ग्रह संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती है। इसलिए व्यक्ति में दान देने का गुण होना बेहद ही जरूरी है।

मधुर वाणी: व्यक्ति में मधुर वाणी का गुण जरूर होना चाहिए। क्योंकि, वाणी आपके स्वभाव को दर्शाती है। हालांकि, आज के समय में तनाव के चलते अक्सर लोग कटु वाणी बोलते हैं। गुस्से में आकर कटु वाणी बोलने से आप पाप के भागी बनते हैं।

देवताओं की पूजा करना: नियमित तौर पर पूजा-पाठ करने से घर में सकारात्मकता आती और आपका मन भी शांत रहता है। पूजा-पाठ करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा भी समाप्त हो जाती है। साथ ही आपकी प्रगति के रास्ते खुलते हैं।

ब्राह्मणों को संतुष्ट करना: हिंदू मान्यताओं में ब्राह्मणों को बहुत महत्व दिया जाता है। उन्हें भोजन कराने और दान देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में ब्राह्मणों को संतुष्ट करने का गुण भी व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ बनाता है।