Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य नीति बुक आज के समय में काफी लोग पढ़ना पसंद करते हैं। चाणक्य राजनीति और अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे। इन्होंने अपने चाणक्य नीति ग्रंथ में बड़े ही सरल तरीके से मानव समाज के कल्याण के लिए नीतियां बताईं हैं। इनकी नीतियों ने ही चंद्रगुप्त जैसे सामान्य से बालक को अखंड भारत का सम्राट बना दिया। राजाओं महाराजाओं के दौर में बनी इनकी ये नीतियां आज के समय में भी कारगर साबित होती हैं…
आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्।
सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम् ॥
अर्थ – चाणक्य कहते हैं कि आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय मिलता है। बोली से देश का पता लगता है। आदर-सत्कार से प्रेम का तथा शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है।
यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्।
स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्तवा वसेत्सुखम्॥
अर्थ – जिसे किसी के प्रति प्रेम होता है उसे उसी से भय भी होता है, प्रीति दुःखो का आधार है। स्नेह ही सारे दुःखो का मूल है, अतः स्नेह- बन्धनों को तोड़कर सुखपूर्वक रहना चाहिए ।
माता च कमला देवी पिता देवो जनार्दनः।
बान्धवा विष्णुभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्॥
भावार्थ : जिस मनुष्य की माँ लक्ष्मी के समान है, पिता विष्णु के समान है और भाई–बन्धु विष्णु के भक्त हैं, उसके लिए अपना घर ही तीनों लोकों के समान है ।
वाचा च मनसः शौचं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
सर्वभूतदया शौचमेतचछौचं परमार्थिनाम्॥
भावार्थ : मन, वाणी को पवित्र रखना, इंद्रियों को निग्रह, सभी प्राणियों पर दया करना और दूसरों का उपकार करना सबसे बड़ी शुद्धता है ।
गुणो भूषयते रूपं शीलं भूषयते कुलम्।
सिद्धिर्भूषयते विद्यां भोगो भूषयते धनम्॥
भावार्थ :गुण रूप कि शोभा बढ़ाते हैं, शील – स्वभाव कुल की शोभा बढ़ाता है, सिद्धि विद्या की शोभा बढ़ाती है और भोग करना धन की शोभा बढ़ाता है ।
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दरिद्रता धीरयता विराजते कुवस्त्रता स्वच्छतया विराजते।
कदन्नता चोष्णतया विराजते कुरूपता शीलतया विराजते॥
भावार्थ : धीरज से निर्धनता भी सुन्दर लगती है, साफ रहने पर मामूली वस्त्र भी अच्छे लगते हैं, गर्म किये जाने पर बासी भोजन भी सुन्दर जान परता है और शील – स्वभाव से कुरूपता भी सुन्दर लगती है ।
दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता।
अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजा गुणाः॥
भावार्थ : दान देने की आदत, प्रिय बोलना, धीरज तथा उचित ज्ञान – ये चार व्यक्ति के सहज गुण हैं ; जो अभ्यास से नहीं आते।