कौटिल्य के नाम से प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य ने एक नीति शास्त्र की रचना की है, जिसमें उन्होंने समाज कल्याण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। चाणक्य जी की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। महान अर्थशास्त्री और रणनीतिकार आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों की दम पर ही नंद वंश का नाश कर, एक साधारण से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का सम्राट बनाया था।

सुनने में चाणक्य जी की नीतियां भले ही कठिन क्यों ना लगें, लेकिन जो भी व्यक्ति इनका अनुसरण करता है, वह अपने जीवन में कभी भी असफल नहीं होता। चाणक्य जी का मानना है कि अगर व्यक्ति अपने सपनों को पूरा करना चाहता है तो उसे कभी भी एक चीज का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। आइये बताते हैं, क्या है वह चीज-

चाणक्य जी के अनुसार, “जब तक तुम दौड़ने का साहस नहीं जुटा पाओगे, तुम्हारे लिए प्रतिस्पर्धा में जीतना हमेशा असंभव बना रहेगा।” अपने इस कथन में चाणक्य जी का कहना है कि मनुष्य को कभी भी साहस का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। उन्हें हमेशा साहसी बनकर रहना चाहिए।

चाणक्य जी का मानना है कि व्यक्ति को हमेशा सभी मुश्किलों का डटकर सामना करना चाहिए। उसे कभी हार नहीं माननी चाहिए। सपनों को पूरा करने में जितनी भी रुकावट आ रही हैं, उनका साहस और बुद्धिमानी से सामना करना चाहिए, तभी व्यक्ति अपने सपनों को पूरा कर सकता है। लेकन अगर एक बार भी आपने साहस का साथ छोड़ दिया तो लक्ष्य को पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता है।

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो थोड़ी-सी ही मुश्किलों में साहस का त्याग कर देते हैं। चाणक्य जी का मानना है ऐसे व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते। मनुष्य के जीवन में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। अगर आप साहस को अपना साथी नहीं बनाएंगे तो आपके लिए जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा। चाणक्य जी का कहना है कि जो व्यक्ति साहस का दामन नहीं थामता वह अकसर पीछे रह जाता है। साहस के साथ आप बड़ी-से-बड़ी मुश्किल को भी पार कर सकते हैं। इसलिए चाणक्य जी कहते हैं कि जब तक तुम साहस नहीं जुटाओ तब तक किसी भी प्रतिस्पर्धा में जीत हासिल नहीं कर पाओगे।