Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य नीति अनुसार पाप-कर्म द्वारा अथवा किसी को कष्ट-क्लेश पहुंचाकर अर्जित किया धन अभिशापित होकर मनुष्य का नाश कर डालता है। इस धन के प्रभाव से सज्जन मनुष्य भी पाप की ओर अग्रसर हो जाते हैं। इसलिए ऐसे धन से बचना चाहिए, अन्यथा शीघ्र ही मनुष्य का उसके कुल सहित नाश हो जाएगा।
– धन और श्रेष्ठ गुणों में से चाणक्य ने सद्गुणों को अधिक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण कहा है। वे कहते हैं कि समाज में सद्गुणों द्वारा मनुष्य का सम्मान होता है। इसके लिए प्रचुर धन होना या न होना कोई अर्थ नहीं रखता। जिस प्रकार पूर्णिमा के चांद के स्थान पर द्वितीया का छोटा चांद पूजा जाता है, उसी प्रकार सद्गुणों से युक्त मनुष्य निर्धन एवं नीच कुल से संबंधित होते हुए भी पूजनीय होता है।
– चाणक्य नीति के पंद्रहवें अध्याय में वर्णित श्लोक में बताया गया है कि गलत ढंग से कमाया हुआ धन मनुष्य के पास केवल दस साल तक ही रहता है। इसके बाद वह धन सूद समेत नष्ट हो जाता है। इसलिए हर मनुष्य को धन संचय संचय में यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि गलत तरीके से कमाया हुआ धन 11वें साल में खुद ही नष्ट हो जाता है।
– चाणक्य अनुसार जब तक मनुष्य के पास पर्याप्त धन रहता है तब तक उसका साथ उसके भाई, बहन, दोस्त, सगे-संबंधी और सभी देते हैं। परंतु जब मनुष्य के पास धन खत्म हो जाता है तो उसके अपने लोग भी उसका साथ छोड़ने लगते हैं। इसलिए मनुष्य को अपने बुरे समय के लिए धन बचाकर रखना चाहिए।
– अपनी पत्नी की परीक्षा धन-संपत्ति खोने के बाद करें, दोस्त को आवश्यकता के समय, और नौकर को महत्वपूर्ण कार्य देने के बाद परखें। सच्चा पुत्र अपने पिता के प्रति आज्ञाकारी होता है और सच्चा पिता अपने बच्चे का ध्यान रखता है। ईमानदारी सच्चे दोस्त की सही पहचान है।
– ऐसे देश या क्षेत्र में जहां पर आपको रोजगार, इज्जत, शुभ चिंतक और शिक्षा न मिले, वहां रहने का कोई फायदा नहीं है। जहां पर समृद्ध व्यापारी, शिक्षित ब्राह्मण, सैनिक, नदी और चिकित्सक न हो ऐसी जगह पर एक दिन के लिए भी नहीं रुकना चाहिए।