चाणक्य के नीति सूत्र आज के जीवन में एक दम सटीक बैठते हैं। इनकी नीतियां जीवन में आने वाली परेशानियों से लड़ने का हौसला देती हैं साथ ही ये भी बताती हैं कि मनुष्य को किस स्थिति से कैसे निपटना चाहिए। सफलता को लेकर आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी नीतियां बताईं है जिसका अनुसरण कर आप अपने हर कार्य को बड़ी ही सरलता से पूरा कर सकते हैं।
– यदि हम बड़ी संख्या में हो जाएं तो दुश्मन को हरा सकते हैं…उसी प्रकार जैसे घास के तिनके एक दूसरे के साथ रहने के कारण भारी बारिश में भी क्षय नहीं होते।
– वही व्यक्ति जीवित है जो गुणवान है और पुण्यवान है…लेकिन जिसके पास धर्म और गुण नहीं उसे क्या शुभ कामना दी जा सकती है।
– वह व्यक्ति जिसका ह्रदय हर प्राणी मात्र के प्रति करुणा से पिघलता है, उसे जरूरत क्या है किसी ज्ञान की, मुक्ति की, सर के ऊपर जटाजूट रखने की और अपने शरीर पर राख मलने की।
– जो व्यक्ति गुणों से रहित है लेकिन जिसकी लोग सरहाना करते हैं वह दुनिया में काबिल माना जा सकता है…लेकिन जो आदमी खुद की ही डींगे हाकता है वो अपने आप को दूसरों की नजरों में गिराता है, भले ही स्वर्ग का राजा इंद्र हो।
– जिसमें सभी जानवारों के प्रति परोपकार की भावना है वह सभी संकटों को मात देता है और उसे हर कदम पर सभी प्रकार की सम्पन्नता प्राप्त होती है।
– मूर्खों की तारीफ सुनने से बुद्धिमान से डांट सुनना ज्यादा बेहतर है।
– जिंदगी में अगर बुरा वक्त नहीं आता तो अपनों में छिपे गैर और गैरों में छिपे हुए अपने कभी नजर नहीं आते।
– मनुष्य स्वयं ही अपने कर्मों द्वारा जीवन में दुख को आमंत्रित करता है।
– जो व्यक्ति अपने कर्म को नहीं पहचानता है, वह आंखें होते हुए भी अंधे मनुष्य के समान है।
– भविष्य में आने वाली मुसीबतों के लिए धन एकत्रित करें। ऐसा ना सोचें की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है।