Chanakya Neeti: आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। इन्हें कौटिल्य के नाम से जाना जाता था। इन्होंने अपनी बुद्धि और कौशल से नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बना दिया। उन्होंने चाणक्य नीति ग्रंथ की रचना की। जिसमें अर्थनीति, कृषि, समाजनीति, राजनीति आदि सभी विषयों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। जिसे समझकर व्यक्ति अपने जीवन को सरल बना सकता है। यहां हम जानेंगे चाणक्य ने राजा बनने और सत्ता संभालने से संबंधित क्या नीतियां बताई हैं…
– चाणक्य कहते हैं कि जो राजा धर्म में आस्था रखता है, वही देश के जन मानस को सुख पहुंचा सकता है। सद्विचार और सद् आचरण को धर्म माना जाता है। जिसमें ये दो गुण हैं वही राजा बनने योग्य है।
– जो राजा प्रजा का पालन करने के लिए धन की समुचित व्यवस्था रखता है और राज्य संचालन के लिए यथोचित राज-कोष एकत्र रखता है, उसकी सुरक्षा को कभी भय नहीं हो रहता।
– एक योग्य राजा को सदैव अपने पड़ोसी राजा के हितों का ध्यान रखना चाहिए और हमेशा सावधान रहना चाहिए। क्योंकि प्राय ये देखा जाता है कि सीमा के निकट वाले राज्य किसी न किसी बात पर आपस में लड़ पड़ते हैं और एक दूसरे के शत्रु बन जाते हैं। जिससे दोनों ही राज्यों का नुकसान होता है।
– किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले तीन सवाल अपने आप से जरूर पूछें- मैं यह क्यूं कर रहा हूं. इसका परिणाम क्या होगा, क्या सफलता मिलेगी। अगर कोई भी राजा इन तीन सवालों को ध्यान में रखते हुए कोई भी कार्य करता है तो उसे सफलता जरूर मिलेगी। जो उसकी प्रजा के लिए भी अच्छा होगा।
– राजनीति यही है कि किसी को भी अपनी गुप्त बाते नहीं बताओं नहीं तो आप तबाह हो सकते हैं।
– हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि हर मित्रता में कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता है।
– आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कभी भी रिस्क लेने से नहीं डरना चाहिए। कई बार भविष्य में कुछ अच्छा करने के लिए वर्तमान में कुछ कड़े निर्णय लेने पड़ते हैं। यदि कोई व्यक्ति रिस्क लेने से डरेगा तो वह बिजनेस हो या फिर राजनीति में सफल नहीं हो सकेगा। चाणक्य नीति के मुताबिक सफलता पाने के लिए कुछ कड़े फैसले अवश्य लेने चाहिए।