Chanakya Niti In Hindi: आज-कल के लाइफस्टाइल के कारण लोग बेहद ही कम उम्र में किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हो जा रहे हैं। क्योंकि इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपना ख्याल रखना कहीं मुश्किल हो जाता है। लेकिन ये भी सच है कि जां हैं तो जहां है। इसलिए स्वास्थ्य का सही रहना भी जरूरी है। आज के दौर में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के कारण जहां पूरी दुनिया परेशान हैं और इसकी चपेट में आकर कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। भारत में लॉक डाउन (Lockdown) कर दिया गया है तो ऐसे में आप घर बैठे कैसे अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं जानिए चाणक्य की नीतियों से…
इन चीजों से करें परहेज: चाणक्य ने अपने एक दोहे में रोग बढ़ने के कारण बताए हैं। चाणक्य नीति कहती है कि शाक खाने से रोग बढ़ता है और दूध पीने से शरीर बनता है। घी खाने से वीर्य में वृद्धि होती है और मांस खाने से मांस ही बढ़ता है। इसलिए शरीर बनाने के लिए दूध, पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए घी और शरीर में चर्बी बढ़ाने के लिए मांस का सेवन करना चाहिए। लेकिन मांस शरीर में पहले से ही काफी होता है तो इसलिए मांस का सेवन न ही करें तो बेहतर होगा।
मानसिक तौर पर कैसे रहें स्वस्थ: ऐसा माना जाता है कि ज्यादातर रोग की जड़ मानसिक तनाव हैं। चाणक्य ने अपनी एक नीति में मानसिक तनाव खत्म करने के उपाय बताएं हैं। जिसमें कहा गया है कि सबेरे जुए के प्रसंग की कथा यानी महाभारत पढ़नी या सुननी चाहिए। दोपहर को स्त्री प्रसंग वाली कथा सुननी चाहिए जिसका मतलब रामायण के पाठ से है और रात को चोर के प्रसंग की कथा यानी श्रीमद भागवत कहनी और सुननी चाहिए। इन तीनों धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने से मन और चित्त शांत रहता है।
पानी को इस तरह से पिएं: चाणक्य नीति अनुसार जब तक भोजन पच न जाए तब तक पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। भोजन पचने के बीच में पिया गया पानी विष समान है और भोजन पचने के बाद पिया गया पानी अमृत समान है। ये बात ज्यादातर लोग जानते हुए भी गलती कर बैठते हैं। ये छोटी सी गलती आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
खाने को कभी न कहें ना: चाणक्य ने सभी औषधियों में गिलोय को प्रधान माना है। सब सुखों में भोजन प्रधान है मतलब किसी भी तरह का सुख हो लेकिन सबसे ज्यादा सुख भोजन करने में ही है। इसलिए भोजन को कभी ना नहीं बोलें। शरीर की सभी इंद्रियों में आंखें प्रधान हैं और सभी अंगों में मस्तिष्क प्रधान है। इसलिए आंखों का विशेष ख्याल रखें और दिमाग को हमेशा तनावरहित रखें।
चाणक्य ने मांस से अधिक पौष्टिक बताया है घी: चाणक्य ने अपने एक दोहे के माध्यम से कहा है कि खड़े अन्न से दसगुना अधिक पौष्टिक है पिसा हुआ अन्न। पिसे हुए अन्न से अधिक पौष्टिक है दूध। दूध से दसगुना अधिक पौष्टिक है मांस और मांस से दसगुना अधिक पौष्टिक है घी।