Chanakya Niti In Hindi: 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है। इस दिन ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य भगवान दक्षिणायन होते हैं। 21 जून को ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (World Yoga Day) भी मनाया जाता है। स्वस्थ और तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए योग महत्वपूर्ण माना गया है। इसके अलावा और कौन सी चीजें हैं जो आपको सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है। जानिए चाणक्य नीति से…
वारि अजीरण औषधी, जीरण में बलवान।
भोजन के संग अमृत है, भोजनान्त विषपान ॥1॥
चाणक्य ने स्वस्थ रहने के लिए पानी का सही उपयोग करने को कहा है। चाणक्य अनुसार जब तक भोजन पच न जाये तब तक पानी नहीं पीना चाहिए। भोजन से पहले और भोजन के दौरान पिया गया पानी अमृत के समान है लेकिन बाद में पिया जाने वाली पानी जहर के समान होता है।
गुरच औषधि सुखन में भोजन कहो प्रमान।
चक्षु इंद्रिय सब अंश में, शिर प्रधान भी जान॥ 2॥
इस दोहे में चाणक्य ने गुरच यानी गिलोय के गुणों का बखान किया है। चाणक्य कहते हैं कि सभी तरह की औषधियों में गिलोय प्रधान हैं। सब सुखों में भोजन प्रधान है तात्पर्य किसी भी प्रकार का सुख हो लेकिन सबसे ज्यादा सुख भोजन करने में आता है। शरीर की सभी इंद्रियों में आंखें प्रधान हैं और सभी अंगों में मस्तिष्क प्रधान है। इसलिए खाने को कभी भी ना नहीं बोलें। आंखों का ख्याल रखें और दिमाग को तनाव से दूर रखें।
चूर्ण दश गुणो अन्न ते, ता दश गुण पय जान ।
पय से अठगुण मांस ते तेहि दशगुण घृत मान ॥3॥
चाणक्य कहते हैं कि खड़े अन्न से दसगुना अधिक पौष्टिक होता है पिसा हुआ अन्न। पिसे हुए अन्न से दसगुना अधिक पौष्टिक है दूध। दूध से दसगुना अधिक पौष्टिक है मांस और मांस से दसगुना अधिक पौष्टिक है घी। इसलिए हेल्दी लाइफ जीने के लिए इन चार जीचों का सेवन जरूर करें।
राग बढत है शाकते, पय से बढत शरीर।
घृत खाये बीरज बढे, मांस मांस गम्भीर ॥4॥
चाणक्य अनुसार शाक खाने से रोग बढ़ता है और दूध पीने से शरीर बनता है। घी खाने से वीर्य में वृद्धि होती है और मांस खाने से मांस बढ़ता है।
प्रात: घुत प्रसंग से मध्य स्त्री परसंग।
सायं चोर प्रसंग कह काल गहे सब अड्ग
शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहना जरूरी होता है। इसके लिए चाणक्य ने बताया है कि समझदार व विद्वान लोगों का समय सुबह जुए के प्रसंग में, दोपहर को स्त्री प्रसंग में और रात को चोर की चर्चा में जाता है। तात्पर्य जिसमें जुए की कथा आती है वो है महाभारत। दोहपर को स्त्री प्रसंग वाली कथा कहने का मतलब है रामायण का पाठ करना जिसमें शुरू से लेकर अंत तक सीता की तपस्या झलकती है। रात को चोर के प्रसंग का अर्थ है श्रीकृष्ण की कथा यानी श्रीमद् भागवत कहना और सुनना। इन तीनों धार्मिक पुस्तकों का पाठ करने से चित्त और मन शांत रहता है।