Chanakya Niti: अर्थशास्त्र, राजनीति और सामाजिक शास्त्र के महान ज्ञाता आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने अपने नीति शास्त्र में लोगों को सही जीवन जीने का तरीका बताया है। कुशल अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में कई ऐसी बातों को जिक्र किया है, जो आज के समय में सही साबित होती हैं। उन्होंने अपनी नीति में श्लोकों के माध्यम से यह बताया है कि मनुष्य को अपने जीवन में किस प्रकार का आचरण करना चाहिए। उन्होंने अपने एक श्लोक के माध्यम से बताया है कि जिन सज्जन लोगों के दिल में दूसरों का उपकार करने की भावना हमेशा रहती है, उनकी विपत्तियां नष्ट हो जाती हैं।

परोपकरणं येषां जागर्ति हृदये सताम। नश्यन्ति विपद्स्तेषां सम्पद: स्यु: पदे पदे।।

साथ ही ऐसे लोगों को जिंदगी के हर कदम पर धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। इसलिए चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य के अंदर परोपकार की भावना अवश्य होनी चाहिए। उनका मानना है कि परोपकार में भी इंसान के जीवन का सार निहित होता है। साथ ही परोपकारी व्यक्ति एक अच्छा जीवन जीता है।

वहीं, चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में यह भी बताया है कि जो भी मनु्ष्य अपने जीवन ने इन बातों को अनुसरण करते हैं, उन्हें कभी धन की कमी नहीं होती।

अन्न का सम्मान: चाणक्य नीति में कहा गया है जहां पर अन्न का एक भी दाना बर्बाद नहीं होता, जहां पर अन्न का सम्मान होता है। ऐसे घरों में मां लक्ष्मी का निवास होता है। लेकिन जहां पर अन्न बर्बाद होता है। वहां, सुख-समृद्धि और धन-धान्य का वास नहीं होता।

पति-पत्नी के बीच हो प्रेम: आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जिन घरों में पति-पत्नी के बीच किसी भी तरह की कटुता नहीं रहती, जो पति-पत्नी प्रेम भाव से रहते हैं। ऐसे दंपत्ति का घर धन-धान्य से भरा होता है। साथ ही ऐसे घरों में लक्ष्मी का वास होता है।

धन संचयन: आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र में कहा गया है कि जहां पर धन का संचय नहीं होता और जिन घरों में हमेशा क्लेश होता है, वहां कभी लक्ष्मी वास नहीं करती। ऐसे लोगों के पास धन-धान्य कभी नहीं रहता है। इसलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि घर में सुख और समृद्धि का वास चाहिए, तो धन का संचयन करना जरूरी है। फिजुल खर्ची से हमेशा बचना चाहिए।