हिमाचल प्रदेश को देव-भूमि कहा जाता है। इस स्थान को देवताओं के निवास स्थान के रूप में भी जाना जाता है। पूरे हिमाचल प्रदेश में 2000 से भी ज्यादा मंदिर है और इनमें से ज्यादातर प्रमुख आकर्षक का केन्द्र बने हुए हैं। इन्हीं मंदिरो में से एक प्रमुख मंदिर चामुण्डा देवी का मंदिर है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा जिला में स्थित है। चामुण्डा देवी मंदिर शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर आकर श्रद्धालु अपने भावना के पुष्प मां चामुण्डा देवी के चरणों में अर्पित करते हैं।
मान्यता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। मान्यता है कि जहां भूतनाथ भगवान आशुतोष शिव शंकर मृत्यु शव विसर्जन और विनाश का रूप लिए साक्षात चामुंडा माता के साथ विराजमान हैं। कहते हैं कि यहां यात्री कई दिनों तक रुक सकते हैं। साथ ही यात्रा का भरपूर लाभ उठा सकते हैं।
यह वही स्थल है जहां राक्षस चंड-मुंड देवी दुर्गा से युद्ध करने आए। जिसके बाद काली रूप धारण कर देवी ने उनका वध किया। अंबिका की भृकुटी से प्रादुर्भूत काली ने जब चंड-मुंड के सिर को उपहार स्वरूप भेंट किया तो अम्बा ने वर दिया कि तुम संसार में चामुंडा नाम से प्रसिद्ध हो।
मंदिर बड़ा लंबा और दो मंजिला है जिसमें प्रथम तल पर ही मां की भव्य मंदिर विराजमान है। मंदिर में एक बड़ा हाल है जहां भक्त कतार में मां के दर्शन करते हैं। मूर्ति के ऊपर ही एक छोटा शिखर है और शेष छत सपाट ही है। नीचे की मंजिल में यात्री स्नान आदि करके आते हैं। प्रसाद मंदिर द्वारा ही विक्रय किया जाता है। जो शुद्ध होता है और कई दिनों तक ठीक बना रहता है। मुख्य मंदिर के पीछे गहरी गुफा में एक शंकर मंदिर है जिसमें एक बार में केवल एक ही भक्त प्रवेश कर पाता है।
यह पाताल मंदिर दर्शनीय है। मंदिर प्रांगण में ही एक बड़ा सुंदर सरोवर है जिसमें वाणगंगा से स्वच्छ जल आता रहता है। इसमें स्नान करना वर्जित है। केवल पूजा-अर्चना हेतु ही उपयोग में लिया जाता है। संजय घाट नव निर्मित घाट है जिसमें वाणगंगा को नियंत्रित करके स्नान योग्य बनाया गया है। जहां यात्री सुगमता से स्नान आदि कर सकते हैं। इसके अलावा मंदिर प्रांगण के आसपास अनेक छोटे-बड़े मंदिर विभिन्न देवी-देवताओं के साथ अवस्थित हैं जो सभी दर्शिनीय हैं।