Chaitra Navratri 8th Day, Maa Mahagauri Puja Vidhi, Aarti In Hindi, Durga Ashtami: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की नवरात्रि 30 मार्च 2025, रविवार से प्रारंभ हुई थी, जो 6 अप्रैल को नवमी तिथि के साथ समाप्त होगी। नवरात्रि के आठवें दिन पर मां महागौरी की पूजा करने का विधान है। मां दुर्गा के अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। माना जाता है कि मां अत्यंत शांत और सौम्य है। मां ने कठिन तपस्या करके गौर वर्ण प्राप्त किया था। इन्हें उज्जवला स्वरूप महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया। नवरात्रि के आठवें दिन को महाष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन कन्या पूजन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं महाष्टमी पर कैसे करें महागौरी माता की पूजा। इसके साथ ही जानें पूजा विधि, मंत्र, भोग सहित अन्य जानकारी…

माता महागौरी का स्वरूप

देवी भगवती पुराण के अनुसार, मां दुर्गा की आठवां स्वरूप देवी महागौरी है। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है। मां गौरी का ये स्वरूप अत्यंत गौर वर्ण हैं। मां के वस्त्र और आभूषण भी सफेद ही हैं। चार भुजाएं से सुसज्जित महागौरी का वाहन बैल है। मां के ऊपर वाले दाएं हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।

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चैत्र नवरात्रि अष्टमी पर महागौरी की पूजा का मुहूर्त (Maha Astami 2025 Muhurat)

प्रातः पूजा मुहूर्त: सुबह 04:35 से 06:07 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:49 तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:20 तक।
संध्या पूजा मुहूर्त: शाम 06:40 पी एम से 07:50 तक।

महाष्टमी पर ऐसे करें महागौरी माता की पूजा (Maha Astami 2025 Maha Gauri Puja Vidhi)

महाअष्टमी पर सुबह जल्दी उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके मां दुर्गा का मनन करें। अब सबसे पहले कलश की पूजा करें। फिर माता मां दुर्गा की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले जल से आचमन करें। इसके बाद पीले रंग के फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत चढ़ा दें। इसके साथ ही नारियल भी चढ़ाएं, साथ ही मां को गुलाबी रंग की मिठाई का भोग लगाएं। अगर वो नहीं है, तो अपने अनुसार भोग लगा सकते हैं। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर दुर्गा चालीसा, महागौरी मंत्र, स्तुति, ध्यान मंत्र, स्तोत्र आदि का पाठ कर लें और अंत में मां अम्बे और महागौरी जी की आरती कर लें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

मां का ध्यान मंत्र

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माता महागौरी का ध्यान (Maha Gauri Ka Dhayan Mantra)

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

महागौरी की स्तोत्र पाठ (Maha Gauri Stotra)

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

माता महागौरी की कवच (Maha Gauri Kavach)

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

महागौरी माता की आरती (Maha Gauri Aarti)

जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

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