Chaitra Navratri Day 6, Devi Katyayani: वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च को हो गई हैं। नवरात्रि में मां के 9 स्वरूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। वहीं नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना की जाती है। वहीं शास्त्रों के अनुसार मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। वहीं अगर हम मां कात्यायनी के स्वरूप की बात करें तो मां कात्यानी का स्वरूप दिव्य और भव्य है। साथ ही इनका शुभ वर्ण हैं और स्वर्ण आभा से मण्डित हैं। इनकी चार भुजाओं में से दाहिने तरफ का ऊपरवाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बाएं हाथ में ऊपर कर हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल है। वहीं माता का वाहन सिंह है। मान्यता है जो व्यक्ति सच्ची भक्ति से मां की पूजा- अर्चना करता है, उसके विवाह के योग बनते हैं। आइए जानते हैं मंत्र, रंग और भोग से लेकर आरती तक सबकुछ…
मां कात्यायनी प्रिय भोग
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा के समय शहद का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से मां प्रसन्न होकर विशेष आशीर्वाद प्रदान करती हैं। साथ ही जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहती है।
मां कात्यायनी का प्रिय रंग
मां कात्यायनी को लाल रंग अति प्रिय है। इसलिए इस रंग के वस्त्र अर्पित करने के साथ लाल रंग के गुलाब अर्पित करें। कहते हैं कि ऐसा करने सौंदर्य में निखार और वैवाहिक जीवन में मिठास बढ़ती है। वहीं इसके अलावा धन-वैभव की वृद्धि होती है।
मां कात्यायनी के मंत्र जाप (Maa Katyayni Puaj Mantra)
पहला मंत्र
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
दूसरा मंत्र
ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,
नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।
तीसरा मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।
मां कात्यायनी का बीज मंत्र
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
मां कात्यायनी आराधना मंत्र
1- या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2-चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||
मां कात्यायनी स्तोत्र पाठ
कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोच्जवलां।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां।
सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
परमांवदमयी देवि परब्रह्मा परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
मां कात्यायनी कवच
कात्यायनी मुखं पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयं पातु जया भगमालिनी॥
मां कात्यायनी की आरती
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।