Siddha Kunjika Stotra: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग- अलग स्वरूपों की उपासना करने का विधान है इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से हो गई है। वहीं नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए लोग दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। मान्यता है दुर्गा सप्तशती के पाठ से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। साथ ही मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद मिलता है। 

वहीं अगर श्रीदुर्गा सप्तशती कठिन लग रहा हो या समय का अभाव हो तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। क्योंकि इसका पाठ करने से दुर्गा शप्तसती के पाठ के बराबर ही फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस स्त्रोत के बारे में…

श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।

अथ मंत्र :-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”

।।इति मंत्र:।।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।

धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।

इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

दुर्गा जी की आरती- ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

यह भी पढ़ें…

मेष राशि का वर्षफल 2025
वृष राशि का वर्षफल 2025
मिथुन राशि का वर्षफल 2025कर्क राशि का वर्षफल 2025
सिंह राशि का वर्षफल 2025
कन्या राशि का वर्षफल 2025
तुला राशि का वर्षफल 2025वृश्चिक राशि का वर्षफल 2025
धनु राशि का वर्षफल 2025मकर राशि का वर्षफल 2025
कुंभ राशि का वर्षफल 2025मीन राशि का वर्षफल 2025