Chaitra Navratri 2025, Maha Ashtami Kab Hai: हिंदू धर्म में महाष्टमी का विशेष महत्व है। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा करने का विधान है। इसके अलावा इस दिन कन्या पूजन करना भी शुभ माना जाता है। इस साल एक तिथि का क्षय होने के कारण 9 दिन ही न होकर 8 दिन की नवरात्रि पड़ रही है। ऐसे में अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं महाष्टमी की सही तिथि, मुहूर्त, कन्या पूजन का समय से लेकर मां अम्बे की आरती…
कब है महाष्टमी 2025? (Maha Ashtami 2025 Date)
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ- 4 अप्रैल 2025 को रात 8 बजकर 11 मिनट से
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन- 5 अप्रैल 2025 को रात 7 बजकर 25 मिनट पर
महाष्टमी 2025 तिथि- 5 अप्रैल 2025, शनिवार
महाष्टमी पर कब करें कन्या पूजन? (Kanya Pujan 2025 Date)
महाष्टमी के दिन कन्या पूजन- 5 अप्रैल को सुबह 11:59 से दोपहर 12:49 तक कर सकते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त- 04:35 ए एम से 05:21 ए एम
प्रातः सन्ध्या – 04:58 ए एम से 06:07 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:49 पी एम
दुर्गा स्तुति मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरुपेण संस्थिता।।
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”
मां दुर्गा की आरती (Maa Durga Aarti)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
मांग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
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