Navratri 2024 5th Day, Maa Skandamata Ji Ki Aarti, Mantra, Vrat Katha Lyrics in Hindi: पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो गई हैं और 17 अप्रैल को समाप्त होंगी। ऐसे में इन दिनों मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना की जाएगी। वहीं  देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि के पंचम दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है। मान्यता है मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख-शांति का वास होता है। आइए जानते हैं मां स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती…

ऐसा है माता का स्वरूप

वहीं स्कंदमाता के स्वरूप की बात करें तो माता की चार भुजाएं हैं। साथ ही दो हाथों में इन्होंने कमल लिए हैं। एक हाथ से स्कंद को पकड़े हुए हैं और चौथा हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। वहीं मां की गोद में स्कंद बाल रूप में विराजित है। 

स्कंदमाता की कथा

शास्त्रों के मुताबिक तारकासुर नामक एक राक्षस था, जिसने घोर तपस्या की और ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर लिया। साथ ही उसने ब्रह्मदेव से अजर-अमर होने का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्मा जी यह वरदान देने से मना कर दिया। साथ ही उसे समझाया की इस धरती पर जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है। तब उसने सोचा कि शिव जी तपस्वी हैं, इसलिए वे कभी विवाह नहीं करेंगे। अतः यह सोचकर उसने भगवान से सिर्फ शिव के पुत्र द्वारा ही मारे जाने का वरदान मांगा। ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया। बाद में तारकासुर ने पूरी दुनिया में आतंक मचाना शुरू कर दिाय। उसके अत्याचार से तंग होकर देवता शिव जी के पास पहुंचे और उनसे विवाह करने का अनुरोध किया। तब शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया और मां पार्वती ने कार्तिकेय को जन्म दिया। शिव जी के पुत्र भगवान कार्तिकेय ने बड़े होकर तारकासुर दानव का वध किया।

मां स्कंदमाता का प्रिय फूल

मां स्कंदमाता को कमल का फूल अति प्रिय है। इसलिए उन्हें कमल का फूल अर्पित करना मंगलकारी साबित हो सकता है।

मां स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां स्कंदमाता मंत्र (Skandmata Mata Mantra)

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

मां स्कंदमाता कवच

ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुताघ्

श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदाघ्

वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतुघ्

इन्द्राणी भैरवी चौवासितांगीचसंहारिणी।
सर्वदापातुमां देवी चान्यान्यासुहि दिक्षवैघ्

स्कंदमाता का स्तोत्र पाठ (Maa Skandmata Strotra)

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥

मां स्कंदमाता की आरती ( Skandmata Mata Aarti)

जय तेरी हो स्‍कंदमाता

पांचवां नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी

जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं

हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं

कई नामो से तुझे पुकारा

मुझे एक है तेरा सहारा

कही पहाड़ों पर है डेरा

कई शहरों में तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे

गुण गाये तेरे भगत प्यारे

भगति अपनी मुझे दिला दो

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इन्दर आदी देवता मिल सारे

करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये

तुम ही खंडा हाथ उठाये

दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई

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