Chaitra Navratri 2023 Day 4 Devi Maa Kushmanda Shubh Muhurat Mantra, Arti, Puja Vidhi: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, नवरात्रि के चौथे दिन देवी शक्ति के स्वरूप मां कूष्मांडा  की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा देवी की पूजा करने से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और धन संपदा की प्राप्ति होती है। वेद-पुराणों के अनुसार माना जाता है कि जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी तब चारों तरफ अंधकार था, तब देवी के इस स्वरूप द्वारा ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ। बता दें कि ‘कुष्मांडा’ एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। आइए जानते हैं मां कूष्मांडा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, भोग, आरती और मंत्र के बारे में।

मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ- 24 मार्च को शाम 5 बजे से शुरू
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त- 25 मार्च को शाम 4 बजकर 23 मिनट से शुरू

कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप?

मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से चौथा स्वरूप मां कुष्मांडा का माना जाता है। मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं है। एक हाथ में जपमाला और अन्य हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा लिए हुए हैं।

मां कुष्मांडा की पूजा विधि

आज सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद विधिवत तरीके से कलश स्थापना, मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करें। मां दुर्गा को लाल रंग के फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि चढ़ा दें।  इसके बाद भोग में मालपुआ अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा चालीसा और मंत्रों का जाप कर लें। अंत में विधिवत तरीके से आरती कर लें। 
मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कूष्मांडा की प्रार्थना

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

मां कूष्मांडा बीज मंत्र

ऐं ह्री देव्यै नम:

मां ​कूष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Ki Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥