Chaitra Navratri 2022: हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इन दिनों लोग मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना और पूजा- अर्चना करते हैं। साथ ही माता का आह्वान होने पर मां किस वाहन पर सवार होकर आएंगी ये भी विशेष महत्वपूर्ण होता है। माता का वाहन शुभ− अशुभ फल का सूचक भी होता है। एस्ट्रोलॉजर भरत राम गौड़ के अनुसार इस बार माता घोड़े पर सवार होकर आएंगी। आपको बता दें कि मां दुर्गा के अलग- अलग वाहन का महत्व होता है। वहीं इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रहीं हैं और यह पर्व 11 अप्रैल तक मनाया जाएगा। आइए जानते हैं माता के वाहन का महत्व और क्या है मान्यता…

ये है मान्यता: 

मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर होता है। पृथ्वी पर भक्त मां दुर्गा की आराधना-पूजा, जप, तप और साधना करके उनकी कृपा पाने का प्रयास करते हैं। देवी मां जब कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर आती हैं तो वह किसी न किसी वाहन पर सवार होकर आती हैं और जाते समय भी किसी वाहन पर जाती हैं। वहीं देवी के आगमन का वाहन नवरात्रि प्रारंभ होने के दिन से तय होता है और जाने का वाहन नवरात्रि समाप्त होने के दिन से तय होता है। इसके लिए देवी भागवत पुराण में एक श्लोक दिया गया है –

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।

गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता।

अर्थात – सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि प्रारंभ होने पर देवी का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्रि शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं। बुधवार से नवरात्रि शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं। (यह भी पढ़ें)- खुशमिजाज और मस्तमौला स्वभाव के माने जाते हैं इन 3 राशि के लोग, हर कोई हो सकता है इनका फैन

जानिए आगमन के वाहन का क्या फल होता है:

देवी के आगमन के वाहन से शुभ-अशुभ का विचार किया जाता है। मान्यता है माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार आगामी छह माह में होने वाली घटनाओं का आंकलन किया जाता है। इसके लिए भी देवी भागवत पुराण में एक श्लोक है-

गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।

नौकायां सर्वसिद्धिस्या दोलायां मरणंधुवम्।।

अर्थात – देवी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वर्षा ज्यादा होती है। घोड़े पर आती हैं तो पड़ोसी देशों से युद्ध की आशंका बढ़ जाती है। देवी नौका पर आती हैं तो सभी के लिए सर्वसिद्धिदायक होता है और डोली पर आती हैं तो किसी महामारी से मृत्यु का भय बना रहता हैं।

माता के विदाई वाहन का भी है महत्व:

आपको बता दें कि आगमन की तरह मां दुर्गा की विदाइ भी अलग अलग वाहन से होती है। रविवार या सोमवार को माता रानी भैंसे की सवारी से प्रस्थान करती हैं। जिससे देश में रोग और कष्ट बढ़ता है। शनिवार या मंगलवार को मां जगदम्बा मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। जिससे जनता में दुख और कष्ट बढ़ने की मान्यता है। बुधवार या शुक्रवार को देवी आदि शक्ति हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं। इससे बारिश ज्यादा होने की संभावना होती है। साथ ही गुरुवार को महागौरी मनुष्य की सवारी से जाती हैं। इसका अर्थ है कि सुख-शांति बनी रहेगी। (यह भी पढ़ें)- ग्रहों का महापरिवर्तन: अप्रैल में 9 ग्रह करेंगे राशि परिवर्तन, इन राशि वालों को धनलाभ के साथ तरक्की के भी प्रबल योग