कमलेश कमल
Chaitra Navratri 2021 Day 1, Maa Shailputri Puja: माँ के नौ रूपों में प्रथम रूप शैलपुत्री या पार्वती का है। ‘शैल’ शब्द ‘शिला’ से बना है और शिला का अर्थ प्रस्तर या पर्वत लिया जा सकता है। इस तरह ‘शैल-पुत्री’ अर्थात् ‘शिला की है जो पुत्री’ उसी को पार्वती (पर्वत की पुत्री) भी कहा जाता है। पौराणिक संदर्भों के अनुसार भी पार्वती गिरिराज हिमालय की पुत्री हैं, जो उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुई थीं। अस्तु, जो शिवत्व के लिए तप करे, वही पार्वती। जो, परिवर्तन करा दे, वह पार्वती।

योग-साधना की दृष्टि से एक साधक मूलाधार चक्र (गुदा ) में अपनी चेतना को संकेंद्रित करता है , यही योग-साधना का आरंभिक स्थल है, परिवर्तन की शुरुआत है। भौतिक सृष्टि चक्र इसी के इर्द-गिर्द घूमता है। शरीर साधना के निमित्त है। रघुवंश में कालिदास लिखते हैं–“शरीरं माध्यम् खलु धर्म साधनम” अर्थात् जितने भी धर्म हैं उसमें देह की शुचिता आद्य धर्म है। इसी को मानस में तुलसीदास कहते हैं–“देह धरे कर यह फलु भाई, भजिअ राम सब काम बिहाई।” अर्थात् मनुष्य देह प्राप्ति ऐसा अवसर है जिसमें इस जीवात्मा ने राम-भक्ति (ईश्वर भक्ति) का सुफल प्राप्त कर लिया है।

यह देहधारण भी अगर भारतवर्ष में हो, तो वह और भी उत्तम है। यहाँ मनुष्य तन धारण की महिमा के संदर्भ में देवतागण कहते हैं कि यह स्वर्ग व अपवर्ग से अधिक सुखदायी है। पृथिवी पर आकर पञ्चभौतिक शरीर का यथार्थफल प्राप्त करने के लिए हम मानव शरीर धारण कर तपस्या, ज्ञानविस्तार, भजन, वंदनादि से सुखपूर्व जीवन की सार्थकता प्राप्त करें- “गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारत भूमिभागे।
स्वर्गापवर्गास्पदवार्गभूते
भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।।

निःसंदेह भारतभूमि में जन्म लेने वाले लोग धन्य हैं। स्वर्ग और अपवर्ग-कल्प इस देश में देवता भी देवत्व को छोड़कर मनुष्य-योनि में जन्म लेना चाहते हैं। इसी बात का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में राम के मुख से मिलता है–
“नेयं स्वर्णपुरी लंका रोचते मम लक्ष्मणः
जननी-जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।”

इस रूप के प्रतीक के रूप में माँ के दाहिने हाथ में त्रिशूल है। त्रिशूल का अर्थ है : तीन शूल (काँटे) जो सत् रजस् और तमस् की त्रिगुणात्मिका प्रवृत्ति को प्रदर्शित करता हैे। बाएँ हाथ में कमल है, जो चेतना के जाग्रत अवस्था का परिचायक है और संस्कृति का प्रतीक है।

यहां व्‍यक्‍त व‍िचार लेखक (कमलेश कमल) के न‍िजी हैं।