Chaitra Navaratri Kalash Sthapna 2020 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Timings: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। जो 25 मार्च को होगी। कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। घट स्‍थापना शक्ति की देवी का आह्वान है। माना जाता है कि सही मुहूर्त में सही विधि से घट स्थापना करनी चाहिए। घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा तिथि का एक तिहाई भाग बीतने के बाद का माना गया है। अगर किसी कारण इस समय में कलश स्थापना न कर पाएं तब अभिजीत मुहूर्त में इसे स्थापित करना चाहिए। अब जानिए कलश स्थापना के लिए किन सामग्रियों की होगी जरूरत, क्या है इसी स्थापित करने की सही विधि…

Chaitra Navratri 2020 Puja Vidhi, Muhuart, Mantra, Samagri: नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें कलश स्थापना, ये हैं मां अम्बे की पूजा की सही विधि

घट स्थापना मुहूर्त (Navratri Ghatasthapana Muhurat):

कलश स्थापना का शुभ समय – 06:00 ए एम से 06:57 ए एम तक
अवधि – 00 घण्टे 56 मिनट्स
घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव मीन लग्न के दौरान है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – मार्च 24, 2020 को 02:57 पी एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – मार्च 25, 2020 को 05:26 पी एम बजे
मीन लग्न प्रारम्भ – मार्च 25, 2020 को 06:00 ए एम बजे
मीन लग्न समाप्त – मार्च 25, 2020 को 06:57 ए एम बजे

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कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री:

जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र
साफ मिट्टी
मिट्टी का एक छोटा घड़ा
कलश को ढकने के लिए मिट्टी का एक ढक्कन
गंगा जल
सुपारी
1 या 2 रुपए का सिक्का
आम की पत्तियां
अक्षत / कच्चे चावल
मोली / कलावा / रक्षा सूत्र
जौ (जवारे)
इत्र
फुल और फुल माला
नारियल
लाल कपड़ा / लाल चुन्नी
दूर्वा घास

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कलश स्थापना की विधि:

– नवरात्रि में कलश स्थापना करने के लिए सुबह जल्दी उठ जाएं। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर की साफ सफाई कर लें। गणेश जी का पूजन करें।

– जो लोग मां की अखंड ज्योत जलाना चाहते हैं तो उसे इस समय जला लें।

– इसके बाद मिट्टी का पात्र लें उसमें मिट्टी डालकर जौ के बीज बोएं। अब एक तांबे का लौटा लें उस पर स्वास्तिक बनाएं। लौटे पर मौली बांधे। उसमें जल भरें और कुल बूंदें गंगाजल की मिला लें। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें। कलश में अशोक या अम के पांच पत्तें रखें।

– अब एक जटाधारी नारियल लें उसे लाल कपड़े में लपेट लें उस पर मौली बांधें। फिर नारियल को कलश के ऊपर स्थापित करें। अब उस कलश को मिट्टी के उस पात्र के बीचोंबीच रखें जिसमें आपने जौ बोएं हैं। इस तरह से कलश स्थापित करने के बाद नौ दिन व्रत रखने का संकल्प लें।