Buddha Purnima 2024: बुद्ध का नाम आते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में गौतम बुद्ध आता है। गौतम बुद्ध जिनका असली नाम गौतम सिद्धार्थ था। बाद में वह ‘बुद्ध बनें’। बुद्ध दो शब्दों से मिलकर बना है ‘बु’ यानी तार्किक बुद्धि और ‘द्ध’ यानी धाध यानी जो तार्किक बुद्धि से ऊपर हो, तो उसे बुद्ध कहते हैं। आपने भी बुद्ध का नाम सुना होगा, हालांकि बहुत सारे बुद्ध हुए और आगे भी होते रहेंगे। वह अपने अध्यात्म से महान बन गए और शांतिपूर्ण तरीके से दुनिया को बदलने के लिए निकल पड़े। वह एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु थे जिनके जीवनकाल में चालीस हजार भिक्षु थे। उन्होंने कोई खास काम नहीं किया। बल्कि, उन्होंने अध्यात्म की एक ऐसी लहर उत्पन्न की जो आज भी वैसे ही चलती चली आ रही है।

बौद्ध धर्म के अनुयायी ही नहीं बल्कि दूसरे संप्रदाय के लोग भी गौतम बुद्ध का अनुसरण करते हैं। हर कोई चाहता है कि वह सुकून और अध्यात्म की ओर रहें। आप चाहे तो स्वयं बुद्ध बन सकते हैं। अब आपके मन में सवाल आएगा कि अरे ऐसे कैसे कहां गौतम बुद्ध और कहां हम आम लोग।  लेकिन आप शायद ये भूल जाते हैं कि गौतम सिद्धार्थ से वह गौतम बुद्ध बने थे। जाने जग्गी वासुदेव सद्गुरु जी से कैसे आप भी बन सकते हैं बुद्ध..

सद्गुरु जी कहते हैं, ‘बुद्ध बनना एक संभावना है जो हर व्यक्ति के भीतर है। बुद्ध का अस्तित्व विचार, भावना और मन से ऊपर होता है। जिस व्यक्ति के अंदर से ये पोटली बाहर निकल जाती है, तो वह असल में बुद्ध बन जाता है और इसकी शुरुआत आप मन से कर सकते हैं। ‘

मन से परे होना जरूरी

फिलहाल आपकी बात करें, तो आप सैकड़ों विचारों, भावनाओं, मतों और पूर्वाग्रहों के ऐसे दलदल में फंसे हुए जिससे निकलना आपके लिए जरूरी है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप ‘मैं’ शब्द के वहम से बाहर निकले। ‘मैं’ शब्द देखने में जितना छोटा है लेकिन ये घाव काफी गहरा करता है। मैं शब्द एक व्यक्ति की पूरी जिंदगी से खेल सकता है। दरअसल, ‘मैं’ को आप कूड़ेदान मान सकते हैं। एक ऐसा कूड़ेदान जो हर एक चीज से कुछ न कुछ इकट्ठा करता रहता है। मान लो आप राह पर चल रहे हैं। लेकिन रास्ते में भी कुछ ऐसी चीजें होगी, जिसे आप अवश्य ग्रहण करते हैं और इन्हें आप इस कूड़ेदान में डाल लेते हैं और यहीं कूड़ेदान आपके पूरे जीवन को बर्बाद कर देता है।

सद्गुरु कहते हैं कि बस आपको गौतम बुद्ध की तरह की अपने मन को केंद्रित करने की जरूरत है।  इसके लिए बस आपको उस कूड़ेदान को बंद करना है और कहीं किनारे रख देना है। बस आपकी जिंदगी की गाड़ी अच्छे से चलने लगेगी।

मन एक अद्भुत चीज है, जो कई बार आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है।  इसी मन के कारण हर बराबर दुखी , उदास या फिर कष्ट सहते रहते हैं। ये ऐसी चीज है जो हमारा कभी पीछा नहीं छोड़ती है। आप पीछे मुड़े नहीं कि ये फिर आपके साथ चल देती है। लेकिन आप चाहे, तो खुशी के पल को इकट्ठा करके इन दुखों को भूल सकते हैं। कई बार मन व्यक्ति को इतना ज्यादा विवश कर देता है कि वह अपने दुख-दर्द या किसी घटना से छुटकारा पाने के लिए शराब या फिर किसी अन्य लत में फंस जाते हैं। लेकिन ये तभी तक होता है जब तक आप उसकी गिरफ्त में रहते हैं। कई बार ये चीजें आदतों में शामिल हो जाती है। ऐसे में आपको खुद को समझना होगा और अपने मन के परे होना पड़ेगा।

सद्गुरु आगे कहते हैं कि असल में अगर किसी व्यक्ति  को मन के परे जाना है, तो वह योग, साधना की मदद ले सकता है। इसके बाद ही वह असल रूप में निखर कर सामने आता है।