Gautam Buddha Updesh In Hindi: वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गौतम बुद्ध ने नेपाल के कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी में जन्म लिया था। उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। कहा जाता है कि उन्होंने बहुत ही कम उम्र में ज्ञान की प्राप्ति के लिए घर छोड़ दिया था और संन्यासी बन गए थे। घर छोड़कर बोधिवृक्ष के नीचे उन्होंने कठोर तपस्या करके ज्ञान की प्राप्ति की थी। जिस स्थान पर इन्हें ज्ञान हासिल हुआ उस स्थान को बोधगया कहा गया। इसके साथ ही गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी और अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया। हर साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध ध4म के अनुयायी धूमधाम से जन्मोत्सव मनाते हैं और अपने घरों पर दीपक जलाते हैं। इसके साथ ही गौतम बुद्ध द्वारा बताए गए चार आर्य सत्यों का उपदेश को पढ़ते या सुनते हैं। इसके साथ ही उनके उपदेशों का अनुसरण करके धर्म के पग में चलने की कोशिश करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के खास मौके पर आप भी पढ़ें ये खास उपदेश, जो आपके पूरे जीवन को बदलकर रख सकते हैं।
गौतम बुद्ध के उपदेश

मनुष्य को कभी भी क्रोध की सजा नहीं मिलती, बल्कि क्रोध से सजा मिलती है।
हजारों लड़ाइयों के बाद भी मनुष्य तब तक नहीं जीत सकता, जब तक वह अपने ऊपर विजय प्राप्त नहीं कर लेता है।

सूर्य, चंद्र और सत्य… ये तीन चीजें कभी नहीं छिप सकती
मनुष्य को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से ज्यादा अपनी यात्रा पर ध्यान देना चाहिए। जैसे लाखों शब्दों के बीच एक शब्द आपको शांति दे जाता है।

जीवन में शांति और खुशी चाहिए, तो कभी भी भूतकाल और भविष्य काल में न उलझें।
सत्य की राह पर चलने वाला मनुष्य जीवन में दो ही गलतियां कर सकता है। पहला या तो पूरा रास्ता तय नहीं करता और दूसरा कि वह शुरुआत ही नहीं करता।

शांति व्यक्ति को अन्दर से आती है। इसलिए कभी भी बाहर खोने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
कभी भी बुराई से बुराई खत्म नहीं होती। हमेशा बुराई को प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है।

जो व्यक्ति अपना जीवन को समझदारी से जीता है उसे मृत्यु से भी डर नहीं लगता।
मनुष्य अपने अच्छे और बुरे स्वास्थ्य का जिम्मेदार स्वयं है, इसलिए वह खुद के खानपान का जरूर ध्यान रखें।