Buddha Purnima 2020 Date: बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बेहद ही खास पर्व है। मान्यता है कि बैसाख पूर्णिमा के दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी। इसी दिन इन्होंने अपने शरीर का भी त्याग कर दिया था। बुद्ध भगवान बौद्ध धर्म के संस्थापक माने जाते हैं। हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अतः हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इसी दिन महात्मा बुद्ध को गया के बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुआ थी। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। राजसी ठाठ बाट छोड़कर सिद्धार्थ सात सालों तक सच को जानने के लिये वन में भटकते रहे। कठोर तपस्या की और सत्य को खोज निकाला। फिर उस संदेश को पूरी दुनिया तक पहुंचाया।
कहां कहां मनाई जाती है बुद्ध जयंती: वर्तमान में भारत के साथ साथ चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान जैसे दुनिया के कई देशों में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। भारत के बिहार राज्य में स्थित बोद्ध गया बुद्ध अनुयायियों सहित हिंदुओं के लिये भी पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दिये जलाते हैं और फूलों से घर सजाते हैं।
बुद्ध सन्यासी बनने से पहले कपिलवस्तु के राजकुमार सिद्धार्थ थे। शांति की खोज के लिए 27 वर्ष की उम्र में घर परिवार का त्याग कर दिया था। भ्रमण करते हुए सिद्धार्थ सारनाथ पहुंचे, जहां उन्होंने धर्म परिवर्तन किया। यही इन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे कठोर तपस्या की। जिसके बाद इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह गौतम बुद्ध के नाम से प्रचलित हुए। स्वयं ने सत्य की ज्योति प्राप्त की, प्रेरक जीवन जीया और फिर जनता में बुराइयों के खिलाफ आवाज बुलन्द की। सम्राट अशोक ने भी बौद्ध मत को स्वीकार किया और युद्धों पर रोक लगा दी। इस प्रकार बौद्ध मत देश ही नहीं विश्व के कोने-कोने तक अपनी ज्योति फैलाने लगा। गौतम बुद्ध ने लगभग 40 वर्ष तक घूम घूम कर अपने सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया। अपने धर्म प्रचार में उन्होंने समाज के सभी वर्गों को समानता के आधार पर सम्मिलित किया।