Neelam Gemstone Benefits: वैदिक ज्योतिष अनुसार शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी होतो हैं। वहीं तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। साथ ही शनि देव का नीलम रत्न होता है और शनि देव का उपरत्न नीली होता है।दरअसल नीलम रत्न बाजार में काफी मंहगा मिलता है। जबकि नीली उपरत्न सस्ता मिल जाता है। इसलिए नीली उपरत्न को धारण करके भी लाभ पाया जा सकता है। आइए जानते हैं नीली धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि…
नीली धारण करने के लाभ
वैदिक ज्योतिष अनुसार जिन लोगों को रात में घबराहट या भय लगता है, तो उनको नीली धारण करना चाहिए। वहीं नीली धारण करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही किसी व्यक्ति के ऊपर जादू- टोना या भूत प्रेत का चक्कर हो तो भी नीली उपरत्न धारण करने से लाभ होता है। जिन लोगों में धैर्य की कमी होती है और वह हर काम को लेकर जल्दबाजी में रहते हैं तो ऐसे लोगों को नीली धारण करने से धैर्य आता है। नीली धारण करने से आर्थिक लाभ होने लगता है और नौकरी, व्यवसाय में उन्नति होने के संकेत मिलने लगते हैं।
इन लोगों को नीली करता है सूट
वैदिक पंचांग अनुसार वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशियों को नीली पहनना लाभप्रद सिद्ध होता है। वहीं अगर अगर शनि केंद्र के स्वामी हैं तो भी नीली धारण कर सकते हैं। साथ ही अगर शनि देव शुभ (उच्च) के कुंडली में स्थित हैं, तो भी नीली पहन सकते हैं। वहीं मूंगा और माणिक्य के साथ नीली धारण नहीं करेंं। अन्यथा नुकसान हो सकता है।
नीली इस विधि से करें धारण
बाजार में नीली उपरत्न सस्ता मिल जाता है। आपको बता दें कि नीली उपरत्न शऱीर के वजन के हिसाब से खरीदना चाहिए। वहीं नीली को आप अंगूठी या पैंडल के रूप में भी पहन सकते हैं। नीली को चांदी के धातु में धारण करना शुभ होता है। वहीं नीली को मध्यमा ऊंगली में पहन सकते हैं। शनिवार नीली पहनना लाभप्रद रहता है।