Lunar Eclipse 2021: साल 2021 का अंतिम चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में लगेगा। इस ग्रहण को सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण बताया जा रहा है। ज्योतिष लिहाज से चंद्र ग्रहण का समय अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक कथाओं में मान्यता है कि जब पापी ग्रह राहु केतु मिलकर चन्द्रमा पर आक्रमण करते हैं तब चंद्र ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है।

वहीं वैज्ञानिकों के अनुसार जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो चंद्रमा पर प्रकाश नहीं पड़ पाता, इस खगोलिय क्रिया को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। मान्यता है कि चंद्रमा को मन और माता का कारक माना गया है। भारतीय समयानुसार 19 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को सुबह 11:34 मिनट से ग्रहण काल शुरू हो जाएगा, जो शाम 05:33 मिनट पर खत्‍म होगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जिसका भारत में सूतक मान्य नहीं होगा।

हालांकि हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है। कहा जाता है कि सूतक काल में खाने-पकाने, पूजा-पाठ से परहेज करना चाहिए। इस दौरान सिर्फ प्रभू का ध्यान करें एवं उनके नाम का जप करें। ग्रहण के बाद स्‍नान अवश्य करना चाहिए। चन्द्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

सदी के सबसे बड़े चंद्र ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं पड़ रहा है। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत के दो राज्यों में ही कुछ समय के लिए दिखाई पड़ेगा, जिसमें असम और अरुणाचल प्रदेश ही शामिल है। इसके अलावा अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकेगा।

क्या होता है आंशिक ग्रहण: बता दें कि ग्रहण शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है और पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही जब चन्द्रमा बाहर निकल आता है तो उसे आंशिक ग्रहण कहते हैं। जब तक चन्द्रमा धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश नहीं करता है, तब तक उसे पूर्ण रूप से चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। आंशिक ग्रहण को उपछाया ग्रहण भी कहा जाता है और इसे वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। ज्योतिष में भी आंशिक को ग्रहण को दर्जा नहीं दिया गया है।