Bhanu Saptami 2025 Date: हिंदू धर्म में भानु सप्तमी व्रत का विशेष महत्व है। इसे रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है और यह व्रत सूर्य देव को समर्पित है। बता दें कि शास्त्रों में भानु सप्तमी का दिन सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ करने और व्रत रखने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। साथ ही, कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। ऐसे में आइए जानते हैं अप्रैल में भानु सप्तमी का व्रत कब रखा जाएगा और जानिए इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और धार्मिक महत्व के बारे में।
भानु सप्तमी 2025 की तिथि (Bhanu Saptami Date)
पंचांग के अनुसार, इस बार शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 19 अप्रैल की शाम 6 बजकर 21 मिनट पर होगी। वही तिथि का समापन आगले दिन 20 अप्रैल को शाम 7 बजे होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 20 अप्रैल 2025 को भानु सप्तमी मनाई जाएगी।
20 अप्रैल 2025 के शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:02 से लेकर 04:46 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:31 से लेकर दोपहर 12:23 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर में 02:06 से लेकर 02:57 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम में 06:22 से लेकर 06:44 मिनट तक
सायाह्न सन्ध्या- शाम में 06:23 से लेकर 07:30 मिनट तक
अमृत काल- सुबह में 06:43 से लेकर 08:24 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- देर रात 11:34 से लेकर अगले दिन प्रात: काल 12:19 मिनट तक
भानु सप्तमी पूजा विधि (Bhanu Saptami Puja Vidhi)
भानु सप्तमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहा लें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। फिर सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें। इसमें शुद्ध जल के साथ थोड़ा लाल चंदन, अक्षत (चावल) और लाल फूल डालें। अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें। मंत्र इस प्रकार है – ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’। फिर हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें और सूर्य देव की पूजा करें। उन्हें लाल फूल, धूप, नैवेद्य और अक्षत अर्पित करें। सूर्य देव की आरती करें और भानु सप्तमी की कथा सुनें या पढ़ें। इसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और गाय को हरा चारा खिलाएं। दिन के अंत में जरूरतमंद लोगों को कुछ दान देना भी बहुत पुण्य का काम माना गया है। व्रत का पारण मीठे भोजन से करें और कोशिश करें कि इस दिन नमक न खाएं।
भानु सप्तमी का महत्व (Bhani Saptami Importance)
पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब पहली बार सूर्य का प्रकाश धरती पर पड़ा था, उस दिन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी। तभी से इस तिथि को भानु सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से व्रत रखता है और पूजा करता है, उस पर सूर्य देव की विशेष कृपा होती है। माना जाता है कि इस व्रत से शरीर की बीमारियां दूर होती हैं, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में नई ऊर्जा आती है।
भानु सप्तमी पूजा मंत्र (Bhanu Saptami Puja Mantra)
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा..
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:.
यह भी पढ़ें…
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।