Bhanu Saptami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे ही माघ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को भगवान सूर्य की विधिवत पूजा करना शुभ माना जाता है। भानु सप्तमी को रथ सप्तमी और अचला सप्तमी जैसे नामों से भी जानते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। समाज में मान-सम्मान की वृद्धि होती है। आइए जानते हैं भानु सप्तमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि और सूर्य आरती…
भानु सप्तमी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 2 मार्च को सुबह 7 बजकर 54 मिनट से शुरू हो गई थी, जो 3 मार्च को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसके साथ ही सूर्योदय सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर होगा।
भानु सप्तमी 2024 पूजा विधि
भानु सप्तमी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद तांबे के एक लोटे में पानी, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर धीमे-धीमे सूर्यदेव को अर्ध्य दें। इसके बाद सूर्य मंत्र, सूर्य कवच, सूर्य चालीसा का पाठ कर लें। इसके साथ ही सूर्य आरती कर लें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
भानु सप्तमी पर करें इन चीजों का दान
भानु सप्तमी पर तांबे के बर्तन, गेंहू, गुड़, तिल, चंदन और वस्त्र का दान करें।
सूर्य देव आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
