Shrimad Bhagwat and Bhagwad Geeta Difference: हिंदू धर्म के दो बड़े ग्रंथ श्रीमद्भगवत पुराण और भगवत गीता हैं और इन दोनों ही पवित्र ग्रंथों का बड़ा महत्व है। अक्सर लोग इन ग्रंथों को एक जैसा समझ लेते हैं, लेकिन आपको बता दें कि इन दोनों का मकसद और महत्व अलग-अलग है। दरअसल, श्रीमद्भगवत पुराण भगवान श्रीकृष्ण की कहानियों और उनकी लीलाओं पर आधारित है, जबकि भगवद गीता एक छोटा ग्रंथ है, जो अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच बातचीत पर आधारित है। इसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के सही रास्ते, धर्म, कर्म, भक्ति और योग के बारे में बताया है। हालांकि दोनों ग्रंथ अलग होने के बाद भी बहुत ही खास हैं। ऐसे में आइए आज हम आपको बताते हैं कि इन दोनों में आखिर क्या अंतर है।
भगवद गीता क्या है?
भगवद गीता महाभारत का हिस्सा है और इसमें कुल 700 श्लोक हैं। यह अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच हुए संवाद पर आधारित है। जब अर्जुन युद्ध के दौरान दुविधा में पड़ते हैं, तो श्रीकृष्ण उन्हें जीवन के सही रास्ते पर चलने की सीख देते हैं। गीता में कर्म, भक्ति और ज्ञान के बारे में बताया गया है। इसका मुख्य मकसद है, लोगों को अपने जीवन में सही निर्णय लेने और नैतिकता पर टिके रहने की प्रेरणा देना। भगवद गीता भक्ति के साथ-साथ कर्म और ज्ञान को भी महत्व देती है।
श्रीमद् भागवत क्या है?
श्रीमद् भागवत, जिसे भागवत पुराण भी कहते हैं, एक बड़ा ग्रंथ है। इसमें 12 खंड और 18,000 श्लोक हैं। यह भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, उनकी लीलाओं और चमत्कारों का विस्तार से वर्णन करता है। यह ग्रंथ भक्ति और भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण पर आधारित है। श्रीमद् भागवत में भक्ति को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। यह भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और उनके चमत्कारों पर केंद्रित है।
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