अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन पितृ दोष के निवारण के लिए भी सबसे उपयुक्त माना जाता है।  भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भाद्रपद अमावस्या या भादो अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार भादों की अमावस्या पर पितरों का प्रसन्न करने के लिए गंगा स्नान, दान-पुण्य, तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान करना शुभ माना जाता है।

वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल अमावस्या तिथि 26 और 27 दोनों दिन लग रही है। इसलिए लोग संशय में है। वहीं इस बार शिव योग भी बन रहा है। ज्योतिष में शिव योग को बहुत विशेष माना गया है। इसलिए इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं सही तिथि और  दान- स्नान का शुभ मुहूर्त…

जानिए कब है भाद्रपद अमावस्या

वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 26 अगस्त दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी शनिवार, 27 अगस्त को दोपहर  01 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं उदया तिथि को आधार मानकर भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी।

बन रहा है शिव योग

ज्योतिष पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद अमावस्या पर शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन सुबह से लेकर अगले दिन यानी 28 अगस्त को 02 बजकर 06 मिनट तक शिव योग रहेगा। इस योग में पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है। साथ ही इस योग में किए गया कार्य सिद्ध हो जाता है।

जानिए पूजन विधि

भाद्रपद अमावस्या पर दान और पितृों का श्राद्ध करना बहुत ही शुभ होता है। इसलिए इस दिन हो सके तो गंगा स्नान करें। साथ ही अगर गंगा स्नान नहीं कर पाएं तो घर पर ही थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करें। फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें। साथ ही इस दिन अपने पूर्वजों का तर्पण कर सकते हैं। पितरों की शांति के लिए पिंडदान भी करें। वहीं बहते हुए जल में काले तिल प्रवाहित करें। इस दिन पीपल के पेड़ पर जल में दूध मिलाकर अर्पित करें। साथ ही शाम के समय एक दीपक भी जलाएं। ऐसा करने से आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।