Pukhraj Gemstone: रत्न शास्त्र में 9 प्रमुख रत्नों का वर्णन मिलता है। ये रत्न उस किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही रत्न को धारण करने से उस ग्रह के अशुभ प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं पुखराज रत्न के बारे में। जिसका संबंध वृद्धि और ज्ञान के कारक गुरु बृहस्पति से है। आपको बता दें कि जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में होता है, तो उसके लिए पुखराज बहुत फलदायी होता है। साथ ही इसे धारण करने के बाद शिक्षा, धन-संपत्ति और मान-सम्मान में वृद्धि होने की मान्यता है। आइए जानते हैं पुखराज धारण करने के लाभ और पहनने की विधि…
सीलोनी पुखराज होता है अच्छा
सबसे अच्छा पुखराज श्रीलंका माना जाता है। जिसे सीलोनी रत्न कहते हैं। वहीं दूसरे नंबर पर बैंकॉक के पुखराज आते हैं। आपको बता दें कि पुखराज को संस्कृत में पुष्पराज, गुरु रत्न, गुजराती में पीलूराज, कन्नड़ में पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज और अंग्रेजी में यलोसफायर कहते हैं।
ये लोग कर सकते हैं धारण
- ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में गुरु बृहस्पति उच्च के या शुभ विराजमान हों वो लोग पुखराज पहन सकते हैं।
- साथ ही मीन और धनु राशि और लग्न वाले लोग पुखराज धारण कर सकते हैं। क्योंकि इन दोनों राशियों पर गुरु ग्रह का ही आधिपत्य है।
- वहीं तुला लग्न वाले लोग पुखराज धारण कर सकते हैं, क्योंकि गुरु आपके पंचम स्थान के स्वामी होते हैं। इसलिए आपको पुखराज पहनना लाभकारी साबित होता है।
- वहीं मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक राशि के लोग भी इस रत्न को पहन सकते हैं।
- अगर जन्मकुंडली में गुरु बृहस्पति नीच के विराजमान हैं तो पुखराज धारण नहीं करना चाहिए।
- पुखराज के साथ हीरा नहीं पहनना चाहिए। वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुंभ राशि और लग्न वाले लोगों को धारण करने से बचना चाहिए।
इस विधि से करें धारण
रत्न शास्त्र में रत्नों को धारण करने की भी एक विधि बताई गई है। आपको बता दें कि पुखराज को कम से कम 7 से सवा 7 रत्नी का धारण करना चाहिए। साथ ही पुखराज पहनने के लिए गुरुवार के दिन तर्जनी उंगली में धारण कर सकते हैं। अगर धातु की बात करें तो पुखराज सोने या चांदी में पहना जा सकता है। पुखराज धारण करने से पहले अंगूठी को दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें। साथ ही ऊं बृं बृहस्पते नमः मंत्र की कम से कम एक माला जाप करने के बाद हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें।
