रत्न शास्त्र में प्रमुख 9 रत्नों का वर्णन मिलता है। ये रत्नों का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। साथ ही रत्न उस ग्रह के शुभ प्रभाव को बढ़ाते हैं। आपको बता दें कि जन्मकुंडली में ग्रह जब कमजोर स्थिति में स्थित होता है तो रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। वहीं कभी भी नीच (नकारात्मक) ग्रह का रत्न नहीं पहनना चाहिए। यहां हम आज बताने जा रहे हैं पन्ना रत्न के बारे में। जिसका संबंध बुध ग्रह से माना जाता है। आइए जानते हैं पन्ना धारण करने की सही विधि और इसके लाभ- नुकसान…
पन्ना पहनने के लाभ
पन्ना धारण करने से बिजनेस में लाभ होता है। क्योंकि पन्ना रत्न का संबंध बुध ग्रह से माना जाता है और बुध को व्यापार का दाता माना जाता है। इसलिए पन्ना धारण करने से व्यापार में अच्छी सफलता मिलती है। वहीं जो लोग मीडिया, संगीत, गणित और फिल्म लाइन से जुड़े हुए हैं, वो लोग पन्ना धारण कर सकते हैं। साथ ही जो लोग तोतले या उनका उच्चारण सही नहीं होता है, ऐसे लोग भी पन्ना धारण कर सकते हैं। क्योंकि वाणी से संबंधित रोग बुध देव ही देते हैं।
ये लोग कर सकते हैं पन्ना धारण
पन्ना रत्न मिथुन और कन्या राशि वालों के लिए भाग्य रत्न साबित हो सकता है। क्योंकि इन राशियों पर बुध का ही आधिपत्य है। इसके अलावा पन्ना वृषभ, तुला, मकर और कुंभ राशि के जातक भी पहन सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में जन्म लग्न में बुध छठे, आठवें, 12वें भाव में सकारात्मक स्थित हैं तो भी ये रत्न धारण किया जा सकता है। अगर जन्मकुंडली में बुध ग्रह नीच (नकारात्मक) स्थिति है तो पन्ना धारण नहीं करना चाहिए।
इस विधि से करें धारण
पन्ना को कम से कम 6 से सवा 7 रत्ती का धारण करना चाहिए। साथ ही पन्ना चांदी या सोने के धातु में पहना जा सकता है। पन्ना हाथ की सबसे छोटी ऊंगली (कनिष्ठा) में धारण किया जाता है। इसे सूर्योदय बुधवार के दिन सुबह लगभग 10 बजे तक धारण किया जा सकता है।
पन्ना धारण करने से पहले उसे एक रात के लिए गंगाजल, शहद, मिश्री व दूध के घोल में डुबोकर रख दें। जिससे उसका शुद्धिकरण हो जाए। उसके बाद इसे निकाल कर धूप दीप दिखाएं और ऊं बुं बुधाय नमः मंत्र का 108 बार जाप कर धारण कर लें और बुध ग्रह से जुड़ा दान किसी मंदिर के पुजारी को चरण स्पर्श करके देकर आएं। अगर इस विधि से पन्ना धारण करेंगे तो वह बहुत जल्दी शुभ फल देगा।