रत्न शास्त्र में प्रमुख 9 रत्नों का वर्णन मिलता है। इन रत्नों का संबंध किसी न किसी ग्रह से जरूर होता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं नीलम रत्न के बारे में। जिसका संबंध कर्मफल और आयु प्रदाता शनि देव से माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में शनि देव अस्त होकर बैठे हैं या फिर नीलम उसका भाग्य रत्न है, तो वह व्यक्ति नीलम रत्न धारण कर सकता है। आइए जानते हैं। नीलम धारण करने के लाभ और पहनने की सही विधि…

ये लोग करते हैं नीलम धारण

नीलम रत्न मकर और कुंभ राशि के लोग धारण कर सकते हैं। क्योंकि शनि देव इन राशियों के स्वामी हैं। वहीं वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि के लोग भी नीलम पहन सकते हैं। क्योंकि यह शनि देव के मित्र ग्रहों की राशियां हैं। वहीं शनि देव कुंडली में कमजोर बैठे हुए तो नीलम धारण करके उनकी शक्तियों को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही अगर शनि देव सकारात्मक (उच्च) के कुंडली में विराजमान हैं, तो भी नीलम धारण कर सकते हैं। वहीं नीलम के साथ मूंगा, माणिक्य और मोती नहीं पहनना चाहिए। अन्यथा नुकसान हो सकता है।

नीलम पहनने के लाभ

ज्योतिष शास्त्र अनुसार नीलम धारण करने के साथ ही व्यक्ति को आर्थिक लाभ होने लगता है। साथ ही जॉब, बिजनेस में तरक्की होने के संकेत मिलने लगते हैं। अगर किसी व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है तो उसे भी नीलम पहनने से लाभ मिल सकता है। कुछ लोगों को राज में घबराहट और भय रहता है, ऐसे लोगों को भी नीलम पहनने से लाभ मिलता है। नीलम धारण करने से व्यक्ति की कार्यशैली में निखार आता है। साथ ही उसके सोचने की क्षमता का विकास होता है।

साथ ही जिन पर शनि की साढ़ेसाती अथवा शनि की ढैय्या का प्रभाव हो उन्हें नीलम धारण करने से लाभ मिलता है। कुछ लोगों में धैर्य की कमी रहती है और वह हर काम में जल्दबाजी करते है जिससे कई काम उनके बिगड़ जाते हैं। ऐसे लोग भी नीलम धारण कर सकते हैं।

जानिए धारण करने की विधि

नीलम रत्न को बाजार से कम से कम सवा 6 सवा 7 रत्नी का खरीदना चाहिए। साथ ही नीलम को शनिवार की शाम को धारण करना शुभ माना जाता है। नीलम रत्न को पंचधातु या चांदी के धातु में धारण कर सकते हैं। नीलम रत्न को सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें। शनिवार को अंगूठी को गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें। इसके बाद शनि देव के मंत्र ऊं शम शनिचराय नम: का कम से कम 108 बार जाप करके धारण करें।