Moissanite Stone Benefits: रत्न केवल शोभा बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि रत्नों के अंदर ग्रहों के अशुभ प्रभाव को समाप्त करने की क्षमता भी होती है। ज्योतिष में 9 ग्रहों का वर्णन मिलता है। इन 9 ग्रहों का कोई न कोई प्रतिनिधि रत्न होता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं शुक्र देव के रत्न के बारे में, वैदिक ज्योतिष में शुक्र देव का संबंध धन, वैभव, विलासता, भौतिक सुख और वैवाहिक जीवन के माना जाता है। शुक्र ग्रह का रत्न हीरा होता है लेकिन हीरा बहुत मंहगा आता है। इसलिए हीरे की जगह मोजोनाइट पहना जा सकता है। जो हीरे के बराबर ही रिजल्ट देता है। आइए जानते हैं कैसा होता है मोजोनाइट और इसको धारण करने के लाभ…

जानिए कैसा होता है हीरा

मोजोनाइट हीरे की तरह की दिखने वाला रत्न है। साथ ही यह डबल रिफ्टेक्टिव स्टोन है। मतलब अगर आप मोजोनाइट के आर पार देखेंगे तो सामने आपको 2 चीजें नजर आएंगी। मोजोनाइट में हीरा की मुकाबले ढाई गुना ज्यादा चमक होती है। मतलब सतरंगी कलर ज्यादा होती है।

मोजोनाइट धारण करने के लाभ: 

ज्योतिष शास्त्र अनुसार इसे शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए पहना जाता है। मोजोनाइट अगर सूट कर जाए तो जीवन में भौतिक सुखों की कमी नहीं रहती।  इसे धारण से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। अगर मोजोनाइट सिद्ध करके धारण किया जाए तो शुक्र ग्रह से आ रही परिशानियों से निजात मिलती है। ज्योतिषियों के अनुसार कला, मीडिया, फिल्म, एक्टिंग, फैशन डिजाइनिंग से जुड़े लोगों के लिए ये रत्न बेहद ही शुभ साबित हो सकता है। लेकिन अपनी जन्मकुंडली का विश्लेषण कराकर ही इसे धारण करें।

ये लोग कर सकते हैं धारण

वैदिक ज्योतिष अनुसार वृष और तुला राशि- लग्न वाले लोग मोजोनाइट को धारण कर सकते हैं। क्योंकि इन राशियों के स्वामी शुक्र देव हैं। वहीं मिथुन, कन्या, मकर, तुला और कुंभ लग्न में पैदा हुए लोग भी मोजोनाइट पहन सकते हैं। वहीं अगर कुंडली में शुक्र ग्रह उच्च के या कम डिग्री के विराजमान हो तो भी मोजोनाइट पहना जा सकता है। लेकिन मोजोनाइट के साथ मोती और माणिक्य रत्न धारण न करें। अन्यथा नुकसान हो सकता है।

मोजोनाइट धारण करने की विधि: 

रत्न शास्त्र अनुसार मोजोनाइट 0.50 से 3 कैरेट का कम से कम धारण करना चाहिए। साथ ही इसको प्लेटिनम गोल्ड या सोने के धातु में जड़वाकर पहना जा सकता है। इसको शुक्रवार के दिन शाम को पहना जा सकता है। अंगूठी को गंगाजल और गाय के दूध से शुद्ध कर लें। इसके बाद  अंगूठी को मां लक्ष्मी के चरणों में रख दें और धारण कर लें।