Moissanite Stone Benefits: रत्न शास्त्र में 9 रत्न और 84 उपरत्नों का वर्णन मिलता है। वैसे ज्योतिष में मुख्यतय जो रत्न बताए गए हैं, उनमें माणिक्य, पन्ना, मूंगा, पन्ना और हीरा हैं। लेकिन ये रत्न बाजार में काफी मंहगे आते हैं। इसलिए ज्योतिष में उपरत्न का भी वर्णन मिलता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं मोजोनाइट के बारे में, जिसका संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता  है। मतलब अगर कोई कोई हीरा धारण नहीं कर सकता, तो वह मोजोनाइट पहन सकता है। आइए जानते हैं मोजोनाइट धारण करने की विधि और लाभ…

जानिए कैसा होता है मोजोनाइट

मोनोनाइट डबल रिफ्टेक्टिव स्टोन है। मतलब यह हीरे की तरह ही दिखता है। मतलब अगर आप मोजोनाइट के आर पार देखेंगे तो सामने आपको 2 चीजें नजर आएंगी। मोजोनाइट में हीरा की मुकाबले ढाई गुना ज्यादा चमक होती है। मतलब सतरंगी कलर ज्यादा होती है। यह बाजार में हीरे की तुलना में काफी सस्ता मिलता है। साथ ही ये लैब टेस्टेड भी मिलता है।

मोजोनाइट धारण करने के लाभ (Moissanite Stone Benefits)

मोजोनाइट का संबंध शुक्र ग्रह से माना जाता है। ज्योतिष में शक्र ग्रह को वैभव, धन, ऐश्वर्य और भौतिक सुख का कारक माना जाता है। इसलिए मोजोनाइट धारण करने से व्यक्ति को इन सब चीजों की प्राप्ति होती है। साथ ही अगर कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर स्थित है, तो भी मोजोनाइट धारण कर सकते हैं। वहीं मोजोनाइट पहनने से वैवाहिक जीवन मधुर होता है। साथ ही कला, मीडिया, फिल्म, एक्टिंग, फैशन डिजाइनिंग से जुड़े लोगों के लिए ये रत्न बेहद ही शुभ साबित हो सकता है। लेकिन अपनी जन्मकुंडली का विश्लेषण कराकर ही इसे धारण करें। मतलब अगर कुंडली में शुक्र ग्रह नीच का स्थित हो तो मोजोनाइट धारण नहीं करें।

इन राशियों के लिए होता है मोजोनाइट शुभ

मोजोनाइट को वृष, तुला राशि और लग्न वाले पहन सकते हैं। साथ ही मकर और कुंभ राशि के जातक भी धारण कर सकते हैं। क्योंकि शनि देव इन राशियों के स्वामी हैं और ज्योतिष अनुसार शनि देव और शुक्र ग्रह में मित्रता का भाव है। वहीं मिथुन, कन्या, मकर, तुला और कुंभ लग्न में पैदा हुए लोग भी मोजोनाइट धारण कर सकते हैं। लेकिन अगर कुंडली में शक्र ग्रह नीच का हो तो फिर मोजोनाइट नहीं धारण नहीं करना चाहिए। साथ ही माणिक्य और मोती भी मोजोनाइट के साथ धारण नहीं करना चाहिए।

इस विधि से करें धारण

मोजोनाइट को शुक्रवार के दिन शाम धारण करना चाहिए। साथ ही इसको सोने या प्लेटिनम धातु में पहन सकते हैं। वहीं अंगूठी को पहले गंगाजल और गाय के दूध से शुद्ध कर लें। इसके बाद शुक्र ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें और फिर तर्जनी उंगली में धारण कर लें।