Panch Mukhi Rudraksha: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि रुद्राक्ष को महादेव का अंश माना गया है. इसे कालाग्नि का भी रूप माना गया है जो कि स्वयं रुद्र है। वहीं रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर के आंसुओं से मानी जाती है वहीं पंचमुखी रुद्राक्ष का संबंंध गुरु ग्रह से माना जाता है। गुरु ग्रह को ज्योतिष में समृद्धि, उन्नति, ज्ञान, गुरु और भक्ति का कारक माना जाता है। वहीं पंचमुखी रुद्राक्ष को विधिवत धारण करने से पंचब्रह्म की विशेष कृपा प्राप्त होती है. पंचब्रह्म में भगवान गणेश, भगवान शिव, शक्ति (देवी) भगवान विष्णु और सूर्य देव शामिल हैं। आइए जानते हैं पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने के नियम और लाभ…
पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने से मिल सकते हैं ये लाभ
पंचमुखी रुद्राक्ष में पांच रेखाएं होती हैं। इन्हें पंचदेवों का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इसको धारण करने से मानसिक शांति मिलती है। अनावश्यक मन विचलित और परेशान नहीं रहता है। वहीं गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। साथ ही इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और सफलता आती है। वहीं पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एसिडिटी और अनिद्रा की स्थिति, श्वसन संबंधी रोगों से भी छुटकारा मिल सकता है। पंचमुखी रुद्राक्ष शादीशुदा जीवन में सुख-शांति लाने में भी मददगार साबित होता है।
ये लोग कर सकते हैं धारण
वैसे तो पंच मुखी रुद्राक्ष कोई भी पहन सकता है। लेकिन पंच मुखी रुद्राक्ष का संबंध गुरु देव से है। इसलिए धनु और मीन राशि वालों के लिए यह धारण करना ज्यादा फायदेमंद रहता है। साथ ही कला, संगीत, साहित्यकार, शिक्षक, विशेषज्ञ, पत्रकारिता से लोग पंचमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि
रुद्राक्ष को आप सोमवार, पंचमी तिथि और मासिक शिवरात्रि को रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। वहीं 5 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उसे गंगाजल से अभिषेक करें। साथ ही इसके बाद 108 बार ऊं ह्रीं नम: मंत्र (5 mukhi rudraksha mantra) का जाप करें। वहीं रुद्राक्ष धारण करने से पहले भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं और बेलपत्र अर्पित करें। साथ ही शिवलिंग से स्पर्श कराकर रुद्राक्ष धारण करें।