Sheetala Saptami 2025: शास्त्रों में शीतला सप्तमी के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। वैदिक पंचाग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। शीतला सप्तमी के दिन भक्त व्रत रखकर पूरे विधि विधान और भक्ति भाव से माता शीतला की पूजा की जाती है। अगले दिन शीतला अष्टमी को माता को बसौड़े का भोग लगाया जाता है। इस दिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और पूरा परिवार भी बासी भोजन करता है, जिसको एक दिन पहले ही बनाकर रख लिया जाता है। मान्यता है कि देवी माता शीतला की पूजा से भक्तों को आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस साल शीतला सप्तमी का पर्व 21 मार्च को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…
शीतला सप्तमी की तिथि 2025 (Date of Sheetala Saptami 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 21 मार्च को देर रात 2 बजकर 44 मिनट पर शुरू होकर 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 22 मिनट तक रहेगी।
शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त 2025 ( Sheetala Saptami 2025 Shubh Muhurat 2025)
शीतला सप्तमी पर पूजा के लिए शुभ समय 21 मार्च को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 33 मिनट तक है।
बन रहे हैं ये 3 शुभ योग
- सिद्धि योग- शाम 6 बजकर 42 मिनट तक है। इस योग में मां शीतला की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता एवं सिद्धि मिलती है।
- रवि योग- शीतला सप्तमी पर रवि योग का भी संयोग है। इस योग में मां शीतला की साधना करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है।
- भद्रावास योग- शीतला सप्तमी को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट तक भद्रावास योग है।
शीतला अष्टमी का महत्व (Sheetala Ashtami 2025 Significance)
शीतला अष्टमी के दिन व्रत रखने के साथ विधिवत रूप से मां शीतला की पूजा करने का विधान है मान्यता है कि इस दिन मां शीतला की पूजा करने से सभी कष्टोंं से मुक्ति मिलती है। साथ ही आरोग्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति शीतला अष्टमी का व्रत रखता है इसे कभी भी चेचक, छोटी माता आदि नहीं होती है।